रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
अहमदाबाद में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहाँ प्याज और लहसुन खाने के अलग-अलग रुझानों ने 23 साल पुरानी शादी को खत्म कर दिया। गुजरात हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पति-पत्नी के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का अंत कर दिया।

अहमदाबाद में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सामाजिक और कानूनी चर्चा को जन्म दिया। यह मामला एक पति-पत्नी के बीच 23 साल पुराने वैवाहिक संबंध का है, जो अंततः प्याज और लहसुन खाने को लेकर उठे विवाद के कारण टूट गया। 2002 में विवाह करने वाले इस दंपति के बीच लंबे समय से खाने की आदतों को लेकर तनाव रहा। पत्नी स्वामीनारायण संप्रदाय से संबंधित थीं और उन्होंने कभी भी प्याज और लहसुन का सेवन नहीं किया। दूसरी ओर, पति और उनके परिवार के अन्य सदस्य इन सब्जियों का सेवन करते थे। इस मतभेद ने रसोई में छोटी-छोटी बहसों को जन्म दिया, जो धीरे-धीरे गंभीर वैवाहिक समस्याओं में बदल गई।
पति का आरोप और पत्नी की प्रतिक्रिया
पति ने पत्नी पर उत्पीड़न और अत्याचार का आरोप लगाया था। इसके पहले, पति ने अहमदाबाद के महिला थाने में आवेदन देकर यह शिकायत दर्ज कराई थी कि पत्नी ने उनके साथ मनमानी और उत्पीड़न किया। तनाव के कारण पत्नी 2007 में अपने बच्चे के साथ ससुराल छोड़कर चली गई थीं। विवाह विच्छेद के मामले में पारिवारिक अदालत ने तलाक का आदेश दिया था, जिसे गुजरात हाईकोर्ट ने बरकरार रखा। हाईकोर्ट की ठाकोर खंडपीठ ने विवाह विच्छेद को चुनौती देने वाली महिला की अपील खारिज कर दी। न्यायमूर्ति संगीता विशेन और न्यायमूर्ति निशा ने केस की सुनवाई के दौरान इस तथ्य को ध्यान में रखा कि पत्नी की आस्था और संप्रदाय के कारण वह प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करती थीं।

गुजारा भत्ता और वित्तीय निर्णय
हाईकोर्ट की सुनवाई में महिला ने कहा कि पारिवारिक अदालत के निर्देशों के बावजूद उसे 18 महीने से गुजारा भत्ता नहीं मिला है। न्यायालय ने आदेश दिया कि सत्यापन के बाद बकाया राशि पत्नी के खाते में हस्तांतरित की जाए। साथ ही, पति को निर्देश दिया गया कि शेष राशि पारिवारिक अदालत में जमा कराए, जिससे महिला को पूरी राशि सुरक्षित रूप से मिल सके।
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि वैवाहिक जीवन में भोजन संबंधी आदतें और व्यक्तिगत आस्था गंभीर तनाव का कारण बन सकती हैं। पति की मां ने पत्नी के लिए अलग से प्याज और लहसुन रहित खाना तैयार किया, जबकि बाकी परिवार के लिए सामान्य खाना बनता रहा। इसके बावजूद, मतभेद लंबे समय तक हल नहीं हो पाए।स्थानीय लोगों और समाजशास्त्रियों का मानना है कि यह मामला व्यक्तिगत आस्था और पारिवारिक समझ के महत्व को उजागर करता है। पति-पत्नी के बीच छोटे मतभेद समय पर न सुलझाने पर जीवनभर के तनाव और विवाद में बदल सकते हैं।

अहमदाबाद की यह कहानी दिखाती है कि छोटी-छोटी आदतें और आस्थाएँ, जैसे प्याज और लहसुन न खाना, कभी-कभी वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। 23 साल के रिश्ते को अलग करने वाले इस विवाद ने यह संदेश दिया कि रिश्तों में परस्पर सम्मान, समझ और संवाद बेहद महत्वपूर्ण हैं।