AI का चमत्कार: भारतीय छात्रों ने बनाया बोलने से चलने वाला कृत्रिम हाथ, कीमत सिर्फ 13 हजार

रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा

ग्रेटर नोएडा में शारीरिक रूप से अशक्त जनों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। भारतीय तकनीकी छात्रों ने एआई आधारित ऐसा कृत्रिम हाथ विकसित किया है, जो न केवल स्विच से बल्कि आवाज़ से भी काम करेगा। महंगे आयातित उपकरणों के मुकाबले यह स्वदेशी हाथ सिर्फ 13 हजार रुपये में उपलब्ध हो सकेगा।

ग्रेटर नोएडा। तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में भारत ने एक और बड़ी छलांग लगाई है। शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्तियों के लिए वैज्ञानिकों और तकनीकी छात्रों की एक टीम ने ऐसा कृत्रिम हाथ विकसित किया है, जिसे आवाज़ के निर्देश (वॉइस कमांड) देकर भी चलाया जा सकता है। यह एआई आधारित स्वदेशी उपकरण—”ग्रैप्स-एक्स”—अपने कम खर्च, आसान उपयोग और उच्च कार्यक्षमता की वजह से बेहद खास माना जा रहा है।

PG09 1617644878280 1617679760150 1

एआई आधारित अत्याधुनिक प्रोस्थेटिक हैंड

अब तक बाजार में मिलने वाले अधिकतर कृत्रिम हाथ केवल स्विच से या रिक्शु तकनीक से संचालित होते थे, जो महंगे और जटिल होते हैं। इनकी कीमत 20 से 25 लाख रुपये तक होती है, जिससे सामान्य लोगों की पहुँच से बाहर रहते हैं। वहीं, भारत में तैयार किया गया “ग्रैप्स-एक्स” मात्र 13 हजार रुपये में उपलब्ध होगा, जो इसे हर जरूरतमंद तक पहुँचाने की दिशा में बड़ा कदम है।

यह तकनीक इंदौर स्थित स्वामी विवेकानंद ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के “सस्टेनेबल ह्यूमन सेंट्रिक इनोवेशन फॉर लो-कॉस्ट प्रोस्थेटिक्स” प्रोजेक्ट के तहत विकसित की गई है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस परियोजना की जिम्मेदारी तकनीकी संस्थानों को दी थी। कई महीनों की मेहनत के बाद टीम ने इसे सफलतापूर्वक तैयार किया और ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित जी.एल. बजाज इंस्टीट्यूट में आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन—हार्डवेयर एडिशन—में प्रस्तुत किया।

13 1617646020514 1617680406735

छात्रों की टीम ने किया कमाल

अर्पित यादव, वश नागोरिया, जयंत, प्रियक्षा और निशांत की टीम ने लंबे समय तक अनुसंधान और परीक्षण के बाद इस एआई संचालित कृत्रिम हाथ को विकसित किया। टीम सदस्य अर्पित यादव बताते हैं कि—
“ग्रैप्स-एक्स एक सामान्य मानव हाथ की तरह कार्य करेगा। इसमें छह स्विच दिए गए हैं, जिन पर अलग-अलग कमांड सेट की गई हैं। खास बात यह है कि यह एआई आधारित वॉइस कंट्रोल सिस्टम पर भी काम करता है। यानी उपयोगकर्ता सिर्फ बोलकर हाथ को संचालित कर सकता है।”

कम खर्च, आसान उपयोग—सभी के लिए उपयुक्त

यह उपकरण उन लोगों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है जो अत्यधिक महंगे प्रोस्थेटिक्स खरीदने में सक्षम नहीं हैं। इसके प्रमुख लाभ हैं—

  • कीमत मात्र 13,000 रुपये
  • स्विच और वॉइस दोनों से संचालित
  • उपयोगकर्ता को किसी विशेष प्रशिक्षण की जरूरत नहीं
  • एक बार चार्ज करने पर 6–10 घंटे तक कार्यशील
  • पूरी तरह स्वदेशी तकनीक
class 11 student builds paraspeak an ai tool for slurred speech 265015522

अब तक उपलब्ध प्रोस्थेटिक हाथों में स्विच के जटिल संचालन और रिक्शु तकनीक की वजह से उपयोगकर्ता को लंबी ट्रेनिंग लेनी पड़ती थी। वहीं, “ग्रैप्स-एक्स” इसमें क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है। आवाज़ के साधारण आदेश—जैसे “ओपन”, “क्लोज”, “ग्रैब”, “रिलीज”—से यह हाथ आसानी से काम कर लेता है।

विकलांग जनों के लिए नई उम्मीद

इस तकनीक का मकसद सिर्फ एक उपकरण बनाना नहीं, बल्कि लाखों ऐसे लोगों के जीवन में आत्मनिर्भरता लाना है, जो किसी हादसे, बीमारी या जन्मजात समस्या की वजह से हाथ खो चुके हैं। कम लागत और आसान उपयोग इसे ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने में भी मदद करेगा। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2025 में इस प्रोजेक्ट को बड़ी सराहना मिली और विशेषज्ञों ने इसे “भविष्य की तकनीक” बताया, जो भारत को प्रोस्थेटिक्स निर्माण में आत्मनिर्भर बना सकती है।

G627UEGJSJAT3KW6KHJSTPSD3Q

सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मिलेगा बल

यह स्वदेशी उपकरण न केवल आयातित उत्पादों पर निर्भरता कम करेगा बल्कि देश में कम लागत वाले चिकित्सा उपकरणों के निर्माण का रास्ता भी खोलेगा। उम्मीद है कि भविष्य में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा और इसे सरकारी योजनाओं के तहत जरूरतमंदों तक पहुँचाया जाएगा।

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

Leave a Comment