अमेठी, उत्तर प्रदेश— जनपद अमेठी में गौवंश संरक्षण को लेकर प्रशासन की सक्रियता और योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रशासन द्वारा जिले में संचालित 116 गौशालाओं में से 40 गौशालाओं का संपूर्ण समाधान दिवस के उपरांत औचक निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य जिले के गौशालाओं में संरक्षित गौवंश की देखभाल और उनकी स्थिति की समीक्षा करना था। इस निरीक्षण के दौरान लगभग 6539 गोवंश संरक्षित पाए गए, जिनमें से कई गोवंश की ईयर टैगिंग नहीं की गई थी।
ईयर टैगिंग क्यों है महत्वपूर्ण?
ईयर टैगिंग गोवंश की पहचान और उनकी ट्रैकिंग में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इससे न केवल प्रत्येक गोवंश की पहचान की जाती है, बल्कि गौशालाओं में उनकी देखभाल और चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं को भी सुचारू रूप से पूरा किया जा सकता है। निरीक्षण के दौरान प्रशासन ने पाया कि कई गोवंश की ईयर टैगिंग अभी तक नहीं हुई थी, जिसके बाद तत्काल ईयर टैगिंग कराने के निर्देश दिए गए।
ईयर टैगिंग का उद्देश्य यह है कि हर गोवंश को एक अद्वितीय पहचान दी जा सके, जिससे भविष्य में उनके स्थानांतरण, देखभाल, और चिकित्सा सहायता में आसानी हो। यह प्रक्रिया प्रशासनिक कार्यवाही में पारदर्शिता लाने और गौशालाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक है।
8 सितंबर को विशेष अभियान
प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि 8 सितंबर 2024 को जनपद में संचालित सभी स्थायी और अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अंतर्गत उन गोवंश की ईयर टैगिंग की जाएगी जिनकी टैगिंग अब तक नहीं की गई है। यह कदम गौशालाओं में गोवंश की संख्या और उनकी स्थिति को व्यवस्थित करने के लिए उठाया गया है।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी गोवंश की ईयर टैगिंग की प्रक्रिया पूरी हो और गौशालाओं में पारदर्शिता के साथ गोवंश संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों को इस अभियान को सफल बनाने के लिए निर्देश दिए हैं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोताही न हो।
गौशालाओं में व्यवस्थाओं की समीक्षा
औचक निरीक्षण के दौरान, प्रशासन ने गौशालाओं में व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की। निरीक्षण में पाया गया कि कुछ गौशालाओं में साफ-सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं थी। इसके अलावा, कुछ स्थलों पर गोवंश के खाने-पीने की व्यवस्था भी अपर्याप्त पाई गई। इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि गौशालाओं में गोवंश की देखभाल के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा और पानी की व्यवस्था हो। इसके अलावा, बीमार गोवंश के लिए चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए। अधिकारियों ने यह भी निर्देश दिए कि गौशालाओं में नियमित रूप से निरीक्षण किया जाए और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को तुरंत दूर किया जाए।
प्रशासन की सक्रियता
अमेठी जिला प्रशासन गौशालाओं के निरीक्षण और गोवंश की देखभाल में सक्रियता दिखा रहा है। इससे पहले भी प्रशासन ने कई बार गौशालाओं का निरीक्षण किया है और विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं। गोवंश की सुरक्षा और देखभाल के लिए प्रशासन द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। गौशालाओं की स्थिति को सुधारने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर निरीक्षण और सुधारात्मक उपाय किए जा रहे हैं।
गौशालाओं के निरीक्षण के दौरान, अधिकारियों ने गौशालाओं के संचालकों से भी बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना। प्रशासन ने यह भी वादा किया कि गौशालाओं में अगर किसी प्रकार की कमी है, तो उसे दूर करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
जनप्रतिनिधियों का रुख
अमेठी के जनप्रतिनिधियों ने भी गौशालाओं की व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि गौशालाओं में गोवंश की देखभाल और सुरक्षा को लेकर सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए। गौशालाओं की स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाना अनिवार्य है, ताकि गोवंश की देखभाल सही तरीके से की जा सके। जनप्रतिनिधियों का यह भी मानना है कि गोवंश संरक्षण के लिए आमजन का सहयोग भी आवश्यक है।
पर्यावरण और समाज पर असर
गौशालाओं का सही प्रबंधन न केवल गोवंश के लिए आवश्यक है, बल्कि इसका पर्यावरण और समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर गौशालाओं में गोवंश की सही देखभाल नहीं की जाती है, तो इसका असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो अंततः पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। इसके साथ ही, यह समाज के लिए भी चिंता का विषय बन जाता है।
गौशालाओं में साफ-सफाई और चारे-पानी की उचित व्यवस्था होने से गोवंश स्वस्थ रहते हैं और यह हमारे पर्यावरण को भी स्वच्छ और सुरक्षित रखने में मदद करता है।
स्थानीय प्रशासन का समर्थन
अमेठी जिला प्रशासन ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए अपने समर्पण को साबित किया है। गौशालाओं के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया और यह सुनिश्चित किया कि किसी भी प्रकार की कमी न रहे। प्रशासन ने गौशालाओं के संचालकों को निर्देशित किया कि वे गोवंश की सही देखभाल सुनिश्चित करें।
इसके अलावा, प्रशासन ने गौशालाओं की सफाई और चिकित्सा सेवाओं को सुधारने के लिए भी विभिन्न कदम उठाए हैं। गौशालाओं में चिकित्सा सेवाओं की कमी को दूर करने के लिए प्रशासन ने स्थानीय पशु चिकित्सकों की सेवाएं ली हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी बीमार गोवंश को तुरंत चिकित्सा सहायता दी जाए।
समाज की भागीदारी
गौशालाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज की भागीदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों को भी इस दिशा में जागरूकता फैलाने और गौशालाओं में सहायता करने की आवश्यकता है। गोवंश संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों को गौशालाओं में मदद करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
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अमेठी जनपद में गौशालाओं की स्थिति में सुधार और गोवंश संरक्षण के लिए प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गौशालाओं में ईयर टैगिंग की प्रक्रिया से गोवंश की पहचान और उनकी देखभाल को और बेहतर बनाया जा रहा है। इसके साथ ही, 8 सितंबर 2024 को एक विशेष अभियान के तहत उन गोवंश की ईयर टैगिंग की जाएगी जिनकी टैगिंग अब तक नहीं हुई है। प्रशासन की सक्रियता और सुधारात्मक कदमों से गौशालाओं की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा रही है। इस प्रयास में समाज की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि प्रशासन की सक्रियता। गौशालाओं की बेहतर देखभाल से न केवल गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि पर्यावरण और समाज पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।