अमेठी: ग्रामीणों ने युवक को चोर समझकर पीटा, वीडियो वायरल | News Time Nation Amethi

| संवाददाता, मो. तौफ़ीक़ |

अमेठी जनपद के जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भगीरथपुर गांव से एक चिंताजनक और शर्मनाक घटना सामने आई है, जहाँ ग्रामीणों ने एक युवक को चोर समझकर पकड़ लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। ग्रामीणों ने युवक को रस्सी से बांधकर, जमकर लाठी-डंडों से पीटा। इस पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पूरे जिले में सनसनी फैला दी है।


क्या है पूरा मामला?

घटना भगीरथपुर गांव की है जहाँ एक संदिग्ध युवक किसी निजी काम से आया हुआ था। गांव के कुछ लोगों ने उसे अजनबी समझा और चोरी की आशंका जताते हुए पकड़ लिया। बात इतनी बढ़ गई कि ग्रामीणों ने न सिर्फ युवक को रस्सियों से बांध दिया, बल्कि उसकी सरेआम पिटाई भी की।

गांववालों के अनुसार, उन्होंने युवक को घरों के पास संदिग्ध हालत में घूमते देखा, जिसके बाद उन्हें संदेह हुआ कि वह चोरी की नीयत से आया है। युवक ने काफी सफाई दी कि वह किसी काम से आया है और उसका चोरी से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन ग्रामीणों ने उसकी एक न सुनी।


सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

इस घटना की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि किसी ग्रामीण ने इस पिटाई का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि युवक को रस्सी से बांधा गया है और कुछ लोग उसके साथ मारपीट कर रहे हैं

वीडियो वायरल होते ही जिला प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। News Time Nation Amethi ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि युवक जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र का ही निवासी है और गांव में किसी परिचित से मिलने आया था।


ग्रामीणों ने दी पुलिस को सूचना

घटना के बाद ग्रामीणों ने खुद ही पुलिस को सूचना दी कि एक संदिग्ध युवक गांव में पकड़ा गया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने युवक को ग्रामीणों के चंगुल से छुड़ाया और थाने ले जाकर पूछताछ शुरू की। फिलहाल युवक से पूछताछ की जा रही है और उसके गांव आने के उद्देश्य की जांच की जा रही है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब तक चोरी की कोई पुष्टि नहीं हुई है। युवक का पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड भी सामने नहीं आया है।


पुलिस की प्रतिक्रिया

जगदीशपुर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक ने News Time Nation Amethi को बताया:

हमें सूचना मिली कि एक युवक को चोर समझकर ग्रामीणों ने पीटा है। मौके पर जाकर युवक को सुरक्षित निकाल लिया गया है। जांच की जा रही है कि वह गांव में क्यों आया था और पिटाई करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने यह भी संकेत दिया है कि कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यदि युवक निर्दोष पाया गया तो पिटाई करने वालों पर कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।


क्या यह भीड़ तंत्र की बर्बरता है?

यह घटना भीड़ तंत्र (Mob Justice) की एक और शर्मनाक मिसाल है, जहाँ कोई प्रमाण या जांच के बिना, केवल शक के आधार पर किसी व्यक्ति को सज़ा दे दी जाती है। भारत में ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं जहाँ सिर्फ संदेह के आधार पर निर्दोष लोगों को पीटा गया, यहां तक कि कुछ मामलों में मौत तक हो गई।

भगीरथपुर की घटना भले ही जानलेवा ना हो, लेकिन यह भी स्पष्ट करती है कि लोगों में कानून पर भरोसा कम होता जा रहा है और भीड़ खुद ही ‘न्याय’ करने पर उतर आती है।


कानून की नजर में अपराध

भारत में किसी व्यक्ति को बिना पुलिस जांच के पकड़ना, बांधना और मारना अपराध की श्रेणी में आता है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323, 342, 147, 148, 149 और 307 जैसी धाराएं ऐसे मामलों में लगाई जा सकती हैं:

  • धारा 323: चोट पहुंचाने के लिए सजा
  • धारा 342: गलत तरीके से बंधक बनाना
  • धारा 147/148: दंगा करना
  • धारा 149: गैरकानूनी सभा
  • धारा 307: हत्या का प्रयास (यदि चोट गंभीर हो)

इस मामले में अगर युवक निर्दोष साबित हुआ, तो ग्रामीणों के खिलाफ ये धाराएं लग सकती हैं।


News Time Nation Amethi की पड़ताल

News Time Nation Amethi की टीम ने जब भगीरथपुर गांव पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट की, तो पाया कि गांव के कई लोग अब घटना को लेकर अफसोस जता रहे हैं। कुछ लोगों ने कहा कि:

हमें उस पर शक हुआ क्योंकि वह नया चेहरा था। लेकिन अब लग रहा है कि शायद गलती हो गई।

यह बयान भीड़ मानसिकता की एक आम प्रतिक्रिया है — पहले पीटो, फिर सोचो।


सोशल मीडिया पर बहस

घटना के वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने ग्रामीणों की कार्रवाई को गलत बताया है और कहा कि “यह जंगलराज है, कानून का मखौल उड़ाया जा रहा है।”

वहीं कुछ लोग ग्रामीणों का समर्थन कर रहे हैं, यह कहते हुए कि “अगर पुलिस समय पर काम नहीं करती, तो जनता को खुद सुरक्षा करनी होगी।”

यह दोनों पक्ष दिखाते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को लेकर लोगों में भरोसे की कमी है।


क्या कहता है मानवाधिकार आयोग?

भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) कई बार भीड़ द्वारा हिंसा के मामलों पर कड़ी टिप्पणी कर चुका है। आयोग का कहना है कि कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। भीड़ तंत्र को प्रोत्साहित करना लोकतंत्र के लिए घातक है।


प्रशासन की भूमिका

अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि:

  1. तत्काल निष्पक्ष जांच कराए
  2. युवक को न्याय दिलाए (यदि वह निर्दोष है)
  3. भीड़ में शामिल लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे
  4. गांव में कानून और नागरिक अधिकारों को लेकर जागरूकता अभियान चलाए

अमेठी में बढ़ती कानून व्यवस्था की चुनौतियाँ

News Time Nation Amethi की रिपोर्ट्स में यह बात पहले भी सामने आ चुकी है कि अमेठी के ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस व्यवस्था कमजोर है। कई मामलों में लोगों ने सीधे पुलिस को सूचना देने के बजाय खुद निर्णय लिया, जो कभी-कभी हिंसक रूप ले लेता है।


निष्कर्ष

भगीरथपुर गांव की यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की पिटाई नहीं, बल्कि समाज की गिरती संवेदनशीलता और कानून पर से भरोसे के पतन की कहानी है। यह जरूरी है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाए और कानून के दायरे में सभी को जवाबदेह बनाए।

भीड़ तंत्र को बढ़ावा देना न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है, बल्कि निर्दोष लोगों के जीवन के लिए भी। News Time Nation Amethi इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और न्याय की मांग करने के लिए प्रतिबद्ध है।

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

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