News Time Nation Amethi | संवाददाता, मो. तौफ़ीक |
अमेठी जिले की राजनीति और सामाजिक चर्चाओं के केंद्र में रहे उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिला अध्यक्ष और भाजपा नेता महेश सोनी पर लगे आरोपों की हकीकत आखिरकार सामने आ गई है। जिलाधिकारी संजय चौहान और पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक के निर्देश पर हुई तहकीकात के बाद यह स्पष्ट हुआ कि महेश सोनी के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार और बेबुनियाद हैं।
आरोपों की शुरुआत
तहसील क्षेत्र के जंगल रामनगर गांव की बुजुर्ग महिला कमला देवी ने शिकायत पत्र देकर भाजपा नेता महेश सोनी पर जमीन कब्जाने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि उनकी जमीन पर सोनी ने गलत तरीके से कब्जा करने की कोशिश की है।
इसी तरह, रायपुर फुलवारी निवासी राम सजीवन ने भी 2021 में अपनी जमीन का बैनामा कराए जाने के बाद पैसे न मिलने का आरोप लगाया था।
मामला जैसे ही भाजपा नेता से जुड़ा, यह खबर पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई।
जांच में क्या निकला?
प्रशासन द्वारा गठित टीम ने सभी साक्ष्यों और दस्तावेजों की गहन जांच की। नतीजे में यह सामने आया कि:
- कमला देवी की जमीन से महेश सोनी का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
- राम सजीवन को उनकी जमीन का पूरा भुगतान समय पर मिल चुका था और उनकी जमीन का दाखिल-खारिज (mutation) भी पूरा हो चुका है।
- शिकायतों में लगाए गए आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं थे और इन्हें व्यक्तिगत व राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से जोड़कर देखा जा सकता है।
महेश सोनी की प्रतिक्रिया
जांच रिपोर्ट आने के बाद भाजपा नेता महेश सोनी ने कहा:
“यह सब मेरी बढ़ती लोकप्रियता से घबराए कुछ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की साजिश है। गरीबों का सहारा लेकर मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। मैंने कभी कमला देवी से कोई जमीन खरीदी ही नहीं और राम सजीवन को उसकी जमीन का पूरा पैसा दे चुका हूं।”
सोनी ने यह भी कहा कि हाल ही में उन्होंने देवीपाटन मंदिर सौंदर्यीकरण में हुए भ्रष्टाचार और कई स्थानीय मुद्दों को उठाया था। उसके बाद से ही विरोधियों ने उन्हें निशाना बनाने का षड्यंत्र शुरू कर दिया।
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जनता और स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया
- स्थानीय व्यापारियों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने महेश सोनी को मिली क्लीन चिट का स्वागत किया।
- कई लोगों ने इसे “सच की जीत” बताया और कहा कि राजनीतिक षड्यंत्रों से जनता को गुमराह नहीं किया जा सकता।
- वहीं, कुछ विपक्षी दलों ने अभी भी इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए।
प्रशासन का रुख
जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि प्रशासन पूरी तरह निष्पक्ष होकर कार्य करता है। किसी भी शिकायत को गंभीरता से लिया जाता है और तथ्यों के आधार पर ही निस्तारण किया जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि Amethi जैसे संवेदनशील राजनीतिक जिले में छोटी-छोटी अफवाहें भी बड़ी हो जाती हैं, इसलिए जनता को केवल सत्यापित जानकारी पर भरोसा करना चाहिए।
अमेठी की राजनीति और असर
अमेठी पहले से ही राजनीति का केंद्र रहा है। यहां हर छोटी-बड़ी घटना चर्चा का विषय बन जाती है। महेश सोनी जैसे सक्रिय भाजपा नेताओं पर लगे आरोपों ने भी जिले का माहौल गर्म कर दिया था।
लेकिन अब जांच रिपोर्ट आने के बाद यह साफ है कि मामला सिर्फ राजनीतिक चालबाजी था।
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सोशल मीडिया पर चर्चा
यह खबर सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हुई।
- कई लोगों ने महेश सोनी का समर्थन करते हुए #TruthWins और #Amethi जैसे हैशटैग चलाए।
- कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा बताया।
- वहीं, कुछ यूजर्स ने यह सवाल भी उठाया कि झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही होगी?
भविष्य की राजनीति पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस जांच रिपोर्ट के बाद महेश सोनी की छवि और मजबूत होगी। जनता के बीच उनकी लोकप्रियता और बढ़ सकती है। वहीं, विरोधियों को करारा झटका लगा है क्योंकि उनकी रणनीति उलटी पड़ गई।
जमीन कब्जे के आरोपों से घिरे भाजपा नेता महेश सोनी को प्रशासनिक जांच ने क्लीन चिट दे दी है। यह साफ हो गया है कि आरोप निराधार थे और इन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तहत फैलाया गया था।
Amethi की जनता अब चाहती है कि ऐसे मामलों में झूठी शिकायतें करने वालों के खिलाफ भी कार्यवाही हो, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए झूठे आरोप न लगाए।