| संवाददाता, मो. तौफ़ीक़ |
एक ओर सरकार चला रही “जल संरक्षण अभियान”, दूसरी ओर Amethi रेलवे स्टेशन पर पानी की बेहिसाब बर्बादी
उत्तर प्रदेश के Amethi जनपद स्थित रेलवे स्टेशन से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण एक नल से लगातार पानी बह रहा है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने रेलवे प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
सरकार द्वारा “जल बचाओ – जीवन बचाओ” जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को पानी की एक-एक बूंद की अहमियत समझाई जाती है। लेकिन Amethi रेलवे स्टेशन पर जिस तरह से एक प्याऊ के नल की टोटी गायब होने के कारण दिन-रात कीमती पानी बर्बाद हो रहा है, वह न केवल प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि जल संरक्षण के प्रयासों पर भी सवाल खड़े करता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
घटना का एक वीडियो एक यात्री द्वारा रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है। वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि एक ओर यात्री पानी की एक-एक बूंद पाने के लिए कतार में खड़े हैं, जबकि दूसरी ओर नल से निरंतर बहता पानी जमीन पर बेकार बह रहा है।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि:
- नल की टोटी पूरी तरह से गायब है।
- आसपास कोई साफ-सफाई का प्रबंध नहीं।
- पानी बहता हुआ नाली में जा रहा है।
- किसी भी रेलवे कर्मी या ज़िम्मेदार अधिकारी की मौजूदगी नहीं है।
हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। ….
स्थानीय लोगों और यात्रियों में नाराज़गी
Amethi के स्थानीय निवासियों और यात्रियों में इस लापरवाही को लेकर गहरा आक्रोश है। यात्रियों का कहना है कि यह समस्या कई दिनों से बनी हुई है, लेकिन रेलवे विभाग अब तक आंख मूंदे बैठा है। किसी ने न तो नल को ठीक कराने की जहमत उठाई, न ही बहते पानी को रोकने की कोई व्यवस्था की गई।
एक यात्री ने बताया:
“हम यहाँ दिनभर धूप में खड़े रहते हैं। जब पानी पीने की जरूरत होती है तो नल से सिर्फ बर्बादी नजर आती है। क्या यही व्यवस्था है?”
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। …
जिम्मेदारी किसकी?
रेलवे स्टेशन पर मौजूद ऐसी मूलभूत सुविधाओं की देखरेख की जिम्मेदारी रेलवे विभाग की होती है। परंतु Amethi रेलवे स्टेशन पर साफ दिख रहा है कि निगरानी व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो चुकी है। यह लापरवाही न केवल यात्रियों की सुविधा में बाधा बन रही है, बल्कि जल संसाधनों की भी बर्बादी कर रही है।
यह घटना दर्शाती है कि:
- रेलवे स्टेशन की नियमित निगरानी नहीं होती।
- सफाई कर्मी व तकनीकी स्टाफ या तो नहीं हैं या ड्यूटी पर ध्यान नहीं दे रहे।
- स्थानीय प्रशासन भी इस पर गंभीर नहीं है।
जल संरक्षण को लेकर सरकार की योजनाएं और ग्राउंड रियलिटी
भारत सरकार और राज्य सरकारें पिछले कई वर्षों से जल संरक्षण को लेकर अनेक अभियान और योजनाएं चला रही हैं। उदाहरण के तौर पर:
- जल शक्ति अभियान
- अमृत योजना
- नमामि गंगे परियोजना
- Catch the Rain अभियान
इन अभियानों के अंतर्गत आम जनता को जागरूक किया जाता है, सरकारी भवनों में जल बचाव तकनीकों को अनिवार्य किया जाता है, और जल स्रोतों की सफाई व पुनरुद्धार की जाती है। लेकिन Amethi जैसे इलाकों में जब बुनियादी व्यवस्था भी नहीं दिखती, तो सवाल उठता है — क्या यह सब सिर्फ कागजों पर ही है?
वीडियो वायरल होने के बाद क्या हुआ?
अभी तक रेलवे प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस वीडियो को वायरल हुए कई घंटे हो चुके हैं, लेकिन:
- न तो कोई अधिकारी मौके पर आया।
- न ही नल को ठीक करने के लिए कोई मैकेनिक पहुँचा।
- न ही पानी की बर्बादी को रोकने की अस्थायी व्यवस्था की गई।
यह चुप्पी और निष्क्रियता रेलवे विभाग की संवेदनहीनता को दर्शाती है।
जल संकट की गंभीरता
भारत के कई हिस्सों में पहले से ही जल संकट बना हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार:
- हर साल करोड़ों लीटर पानी सिर्फ लीकिंग पाइपलाइन या खराब नलों से बर्बाद हो जाता है।
- ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को आज भी कई किलोमीटर चलकर पानी लाना पड़ता है।
- भविष्य में भारत को “जल युद्ध” का सामना करना पड़ सकता है, अगर इस तरह की लापरवाही नहीं रोकी गई।
Amethi जैसे इलाके, जहां संसाधनों की उपलब्धता सीमित है, वहां इस तरह की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं।
लोगों की मांग: अब ठोस कार्यवाई हो
स्थानीय निवासियों, यात्रियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से रेलवे विभाग से निम्नलिखित मांगें की जा रही हैं:
- नल की मरम्मत तुरंत करवाई जाए।
- स्टेशन पर तकनीकी और सफाई स्टाफ की नियमित तैनाती हो।
- नियमित निरीक्षण की व्यवस्था की जाए।
- CCTV कैमरों के जरिए निगरानी की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
- जल संरक्षण के लिए स्टेशन पर बोर्ड, पोस्टर और घोषणाएं कर जागरूकता फैलाई जाए।
निष्कर्ष
Amethi रेलवे स्टेशन पर नल से बहता कीमती पानी एक मामूली समस्या नहीं, बल्कि एक बड़ी चेतावनी है। यह घटना न केवल विभागीय लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि इस बात का भी सबूत है कि नीतियों और जमीनी हकीकत के बीच गहरी खाई है।
जल संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े अभियान और घोषणाएं तभी सार्थक होंगी, जब स्थानीय स्तर पर भी ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्यवाई की जाएगी। अमेठी जैसे क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं पर तुरंत और ठोस कदम उठाना आवश्यक है, ताकि जल जैसे अमूल्य संसाधन की बर्बादी रोकी जा सके।