
News Time Nation Amethi – अमेठी जिले में किसानों को यूरिया खाद के लिए भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में जायस तहसील के बहादुर स्थित इफको केंद्र पर उस समय अफरातफरी मच गई जब खाद वितरण केंद्र खुलते ही किसानों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। खाद पाने की होड़ में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई और कई किसान एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते नजर आए। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
सुबह से लगी थी किसानों की लंबी लाइन
स्थानीय किसानों के अनुसार, केंद्र पर यूरिया मिलने की सूचना मिलते ही वे सुबह चार बजे से लाइन में लग गए थे। कुछ किसान रात में ही पहुंचकर केंद्र के बाहर चटाई और बोरा बिछाकर डेरा डाल चुके थे। जैसे ही सुबह केंद्र का दरवाज़ा खुला, भीड़ ने एक साथ भीतर घुसने की कोशिश की और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
“हम तो तीन दिन से आ रहे हैं, आज सोचा जल्दी आकर लाइन में लग जाएँगे लेकिन यहां तो कानून-व्यवस्था ही नहीं है,” – रामप्रसाद यादव, स्थानीय किसान
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खाद की कमी नहीं, फिर भी अव्यवस्था क्यों?
News Time Nation Amethi की पड़ताल में सामने आया कि शासन स्तर से खाद की आपूर्ति नियमित है। इफको और अन्य सरकारी वितरण एजेंसियों को यूरिया, डीएपी और अन्य उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति हो रही है। लेकिन वितरण केंद्रों पर प्रबंधन की कमी, कमीशनबाज़ी, और भ्रष्टाचार जैसे कारणों से यह संकट उत्पन्न हो रहा है।
कई किसानों ने आरोप लगाया कि:
- बिचौलियों को पहले से ही यूरिया दे दिया जाता है।
- जो किसान नकद भुगतान नहीं कर पाते, उन्हें टरका दिया जाता है।
- कई बार वितरण केंद्र बंद रहते हैं जबकि रजिस्टर पर दिखाया जाता है कि वितरण हो गया।
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वीडियो वायरल: सोशल मीडिया पर उठे सवाल
जायस के बहादुर इफको केंद्र का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें सैकड़ों किसान केंद्र के बाहर धक्का-मुक्की करते नजर आ रहे हैं। वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि कोई प्रशासनिक अधिकारी या पुलिस बल मौके पर नहीं है। इससे किसानों में गुस्सा और असंतोष और बढ़ गया।
“इस वीडियो ने जिले की खाद वितरण व्यवस्था की पोल खोल दी है। किसानों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए।” – शिवकुमार सिंह, कृषि विशेषज्ञ
प्रशासनिक चुप्पी: अधिकारी नदारद
घटना के बाद News Time Nation Amethi की टीम ने जिला कृषि अधिकारी और एसडीएम जायस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। स्थानीय स्तर पर मौजूद अधिकारियों ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
हालांकि, कुछ अधिकारियों ने अनौपचारिक बातचीत में यह स्वीकारा कि वितरण प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है और जल्द ही एक नया टोकन सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे भीड़ और भगदड़ की स्थिति रोकी जा सके।
खाद वितरण में पारदर्शिता लाने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खाद वितरण प्रक्रिया को डिजिटाइज किया जाए, तो किसानों को काफी राहत मिल सकती है। जैसे:
- ऑनलाइन टोकन बुकिंग प्रणाली
- SMS के माध्यम से समय और तारीख की सूचना
- ग्राम पंचायत स्तर पर वितरण
- ई-पॉस मशीन से बिक्री की निगरानी
- सीसीटीवी कैमरे और लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था
“जब राशन कार्ड के जरिए खाद्यान्न वितरण ट्रैक किया जा सकता है, तो उर्वरक वितरण में पारदर्शिता क्यों नहीं?” – डॉ. प्रवीण तिवारी, ग्रामीण योजना विशेषज्ञ
News Time Nation Amethi: किसानों की आवाज़ बनकर उभरा
News Time Nation Amethi लगातार अमेठी जिले में कृषि, ग्रामीण समस्याएं, प्रशासनिक चुनौतियां और सामाजिक मुद्दों की खबरों को उठाता रहा है। इस घटना की रिपोर्टिंग न केवल किसानों की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि खाद वितरण जैसी आवश्यक सेवा कैसे अव्यवस्था का शिकार हो सकती है।
किसानों की मांग: वितरण हो नियमित और व्यवस्थित
किसानों ने तीन मुख्य मांगें प्रशासन के सामने रखीं हैं:
- खाद वितरण का समय सार्वजनिक रूप से घोषित हो।
- लाइन और टोकन सिस्टम को सख्ती से लागू किया जाए।
- प्रत्येक केंद्र पर एक निगरानी अधिकारी तैनात हो।
“सरकार को डिजिटल इंडिया चाहिए तो खाद वितरण को भी डिजिटल करे। नहीं तो हम खेत में कैसे उत्पादन बढ़ाएंगे?” – माधव पासी, युवा किसान
राजनैतिक प्रतिक्रिया भी सामने आई
इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी प्रशासन को घेरा है। एक स्थानीय विधायक ने कहा:
“जब सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है, तो खाद जैसी बुनियादी चीज़ के लिए किसान सड़क पर क्यों है?”
कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं और प्रशासन से तत्काल सुधार की मांग की।
अमेठी का कृषि परिदृश्य: खाद की भूमिका
अमेठी जिला मुख्यतः धान, गेहूं, मक्का और सरसों जैसी फसलों के लिए जाना जाता है। यहां की कृषि में यूरिया, डीएपी और पोटाश का महत्वपूर्ण स्थान है। यदि खाद की आपूर्ति और वितरण में व्यवधान आता है, तो इसका सीधा प्रभाव उत्पादन और किसान की आमदनी पर पड़ता है।
“खाद की कमी उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे किसान कर्ज के जाल में फंसता है।” – प्रो. शैलेंद्र मिश्रा, कृषि विश्वविद्यालय, रायबरेली
क्या हो रहा है दूसरे जिलों में?
बहराइच, प्रतापगढ़, रायबरेली जैसे पड़ोसी जिलों में भी खाद वितरण केंद्रों पर भीड़ और अव्यवस्था की खबरें आती रही हैं। हालांकि कुछ जिलों में ऑनलाइन टोकन सिस्टम लागू किया गया है, जिससे स्थिति कुछ हद तक नियंत्रित हुई है।
News Time Nation Amethi की रिपोर्ट के अनुसार, अमेठी में भी ऐसा सिस्टम लागू करना अब अति आवश्यक हो गया है।
निष्कर्ष
News Time Nation Amethi के इस विशेष रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि अमेठी जिले में यूरिया खाद के वितरण में भारी अव्यवस्था है। किसानों की पीड़ा केवल खाद की आपूर्ति की नहीं, बल्कि प्रबंधन और पारदर्शिता की कमी की है। प्रशासन को तुरंत सख्त और संगठित कदम उठाने होंगे ताकि आने वाले रबी सीजन में किसान बेहाल न हों।
यदि खाद की उपलब्धता और वितरण प्रणाली पारदर्शी व सुगठित होती है, तो इससे न केवल किसानों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।