| संवाददाता, मो.आज़म |
Ayodhya। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर एक बार फिर अयोध्या जनपद में जनप्रतिनिधियों और जनता की सक्रियता देखने को मिली। समाजवादी पार्टी के महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सरोज यादव के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं ने सिविल लाइन स्थित प्रेस क्लब से रैली निकालकर एसडीएम सदर को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा।
महिलाओं ने अपने ज्ञापन में क्षेत्र की खाद आपूर्ति में हो रही गड़बड़ियों, महंगाई, और वोट चोरी जैसे गंभीर चुनावी मसलों पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया। यह पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और इसे स्थानीय जनता, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी समर्थन दिया।
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अयोध्या में महिलाओं की चेतावनी: जल्द समाधान नहीं तो होगा बड़ा आंदोलन
महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष सरोज यादव ने प्रदर्शन के दौरान स्पष्ट कहा कि अगर प्रशासन ने किसानों को खाद उपलब्ध कराने, कालाबाजारी रोकने, और चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसे मसलों पर ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे और महिलाएं जिले में एक व्यापक जन आंदोलन शुरू करेंगी।
उन्होंने कहा:
“Ayodhya जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक शहर में अगर महिलाएं और किसान ही असुरक्षित महसूस करने लगें, तो यह शासन और व्यवस्था की बड़ी विफलता है। हमारी माँगें जायज हैं और इनका समाधान होना ही चाहिए।”
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प्रेस क्लब से कलेक्ट्रेट तक गूंजे नारे
सैकड़ों महिलाओं का समूह महिला मोर्चा के बैनर तले प्रेस क्लब अयोध्या में एकत्रित हुआ, जहाँ से वे नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुँचे। “खाद घोटाला बंद करो”, “महिलाओं की आवाज़ सुनो”, “निष्पक्ष चुनाव कराओ”, जैसे नारे गूंजते रहे।
इस आयोजन में शामिल महिलाएं अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से थीं, जिनका सीधा संबंध खेती-किसानी और सरकारी योजनाओं से है। उन्होंने कहा कि खाद की कमी के कारण खेती करना मुश्किल हो गया है, और सरकारी डीलरों द्वारा खाद की कालाबाजारी की जा रही है।
खाद संकट: अयोध्या की ज़मीनी हकीकत
Ayodhya जनपद में इन दिनों खाद संकट बड़ी समस्या बन चुका है। किसानों को उचित मूल्य पर खाद नहीं मिल पा रही है, और कई क्षेत्रों में कथित तौर पर ब्लैक मार्केट में खाद बेची जा रही है। इस संकट का सीधा प्रभाव रबी फसलों की बुआई और उत्पादन पर पड़ रहा है।
महिला मोर्चा की सदस्य गुलशन यादव ने बताया:
“सरकारी केंद्रों पर खाद नहीं है, और जहाँ है वहाँ 300-400 रुपये अधिक लेकर बेचा जा रहा है। किसान कर्ज में हैं, महिला किसान बेहाल हैं और सरकार मौन है।”
ज्ञापन में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
ज्ञापन में कुल 5 प्रमुख मुद्दों को प्रमुखता से शामिल किया गया, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल थे:
- खाद की कालाबाजारी पर रोक
- महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए ज़मीनी स्तर पर योजनाओं की निगरानी
- शुद्ध पेयजल की उपलब्धता
- ग्राम पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना
- निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करना
चुनावी पारदर्शिता पर भी उठे सवाल
सरोज यादव ने अपने बयान में साफ कहा कि आगामी पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में “वोट चोरी” की शिकायतें पहले भी आ चुकी हैं। उन्होंने प्रशासन से मतदाता सूची की गहन जांच, ईवीएम की सुरक्षा, और स्थानीय बूथों पर महिला सुरक्षा बल की तैनाती की मांग की।
उनका कहना था कि अगर चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे, तो महिलाओं, गरीबों और पिछड़े वर्गों की आवाज़ को दबा दिया जाएगा, और यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं होगा।
प्रशासन का रवैया: “सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन”
प्रदर्शन के बाद महिला मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम सदर से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। एसडीएम ने ज्ञापन को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने और आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया।
हालांकि, महिलाओं ने स्पष्ट कहा कि वे आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हैं, और अगर ठोस कार्यवाई नहीं हुई तो अगले चरण में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
अयोध्या की राजनीति में महिला नेतृत्व की बढ़ती भूमिका
पिछले कुछ वर्षों में Ayodhya की राजनीति में महिला नेतृत्व की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। चाहे सामाजिक मुद्दे हों, पंचायत चुनाव हों या स्थानीय समस्याएं, महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व लगातार सामने आ रहा है।
सरोज यादव जैसी नेता महिलाओं को न केवल संगठित कर रही हैं, बल्कि वे स्थानीय और प्रशासनिक स्तर पर उनकी समस्याओं की आवाज़ भी बुलंद कर रही हैं। यह बदलाव अयोध्या की सामाजिक और राजनीतिक संरचना में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
सामाजिक संगठन और आम जनता का समर्थन
इस प्रदर्शन को न केवल महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला, बल्कि अयोध्या के कई सामाजिक संगठनों, किसान यूनियनों, और स्थानीय नागरिकों ने भी इसे नैतिक समर्थन दिया।
पूर्व अध्यापिका रीता मिश्रा ने कहा:
“यह अच्छा संकेत है कि महिलाएं अब चुप नहीं बैठतीं। जब उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए खाद्यान्न नहीं मिलता, या खेतों में फसल नहीं होती, तो वे आवाज़ उठाती हैं। यही असली लोकतंत्र है।”
निष्कर्ष: Ayodhya में बदलाव की दस्तक
Ayodhya, जो अब तक धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता रहा है, अब सामाजिक जागरूकता और महिला नेतृत्व की भी पहचान बनता जा रहा है। महिला मोर्चा के इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने न केवल समस्याओं को उजागर किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि महिलाएं अब नीति निर्धारण और प्रशासनिक जवाबदेही में अपनी भूमिका चाहती हैं।
अगर प्रशासन इन मांगों पर समय रहते कार्यवाई नहीं करता है, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।