
Ayodhya। सियासत की पवित्र भूमि अयोध्या एक बार फिर से राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गई है। इस बार मौका था जनसत्ता दल पार्टी की ओर से आयोजित समीक्षा बैठक का, जो आगामी पंचायत चुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के उद्देश्य से बुलाई गई थी।
सिविल लाइन स्थित सर्किट हाउस, अयोध्या में पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर आगामी चुनावों को लेकर योजना तैयार की। इस बैठक में पार्टी की ओर से पहुंचे वरिष्ठ नेता और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने संगठन की दिशा, चुनावी लक्ष्य और अन्य राजनीतिक मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की।
पंचायत चुनाव पर रणनीति तैयार, कार्यकर्ता उत्साहित
जनसत्ता दल की यह बैठक केवल एक रस्मी आयोजन नहीं थी, बल्कि इसे लेकर कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह देखा गया। Ayodhya जिले के कोने-कोने से कार्यकर्ता पहुंचे थे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी अब ग्राम स्तर से लेकर विधानसभा तक अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है।
बैठक में यह साफ कर दिया गया कि जनसत्ता दल पंचायत चुनाव को हल्के में नहीं ले रहा है। पार्टी नेतृत्व ने यह निर्देश दिया कि प्रत्येक पंचायत स्तर पर बूथ समिति बनाई जाए, और घर-घर जनसंपर्क कर पार्टी की नीति और विचारधारा से लोगों को जोड़ा जाए।
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2027 विधानसभा चुनाव को लेकर जनसत्ता दल का ऐलान
बैठक के दौरान अक्षय प्रताप सिंह ‘गोपाल जी’ ने बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए कहा:
“जनसत्ता दल 2027 के विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेगा, किसी भी पार्टी के साथ फिलहाल कोई गठबंधन नहीं होगा। अगर सरकार नहीं बनती है तो उस वक़्त स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा।”
यह बयान उत्तर प्रदेश की सियासत में एक स्वतंत्र विकल्प की भूमिका निभाने के संकेत देता है, जहां BJP, SP, Congress जैसी बड़ी पार्टियों के बीच जनसत्ता दल जनता के लिए तीसरा रास्ता बनकर उभरना चाहता है।
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Ayodhya से सियासी संदेश: गठबंधन की नहीं, अपने दम पर सरकार की तैयारी
Ayodhya, जो कि राम मंदिर निर्माण के बाद लगातार राजनीतिक और धार्मिक केंद्र बना हुआ है, वहां से इस तरह का संदेश देना जनसत्ता दल की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। गोपाल जी ने यह भी कहा कि यदि जनता ने समर्थन दिया तो हम सरकार बनाएंगे, और अगर बहुमत नहीं मिला, तो आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
राहुल गांधी पर हमला: वोट कटने के आरोपों पर दिया जवाब
राहुल गांधी द्वारा उठाए गए “वोट चोरी” के आरोपों पर गोपाल जी ने तीखा पलटवार करते हुए कहा:
“जब राहुल गांधी की सरकार थी, तब क्या वोट नहीं कटते थे? अब वोट कटने की बात कर रहे हैं तो समीक्षा होनी चाहिए।”
उन्होंने वोटर लिस्ट की गड़बड़ी पर गंभीर सवाल उठाए और सुझाव दिया कि:
“सभी चुनाव – ग्राम पंचायत, विधानसभा और लोकसभा – की वोटर लिस्ट एक जैसी होनी चाहिए, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी या भ्रम की स्थिति पैदा न हो।”
उनकी यह बात चुनावी सुधार के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
Ayodhya से डिंपल यादव के अपमान पर भी बोले गोपाल जी
दिल्ली की एक मस्जिद में डिंपल यादव के साथ हुए कथित अपमान पर बोलते हुए गोपाल जी ने कहा:
“जब हम शादी करते हैं, तो पत्नी की रक्षा करने की कसम खाते हैं। लेकिन यदि कोई पति अपनी पत्नी के अपमान पर भी चुप रहता है, तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
यह बयान सीधे तौर पर अखिलेश यादव की ओर इशारा करता है, और दर्शाता है कि जनसत्ता दल व्यक्तिगत मुद्दों को भी राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में उठा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि:
“अखिलेश यादव एक जाति और धर्म की राजनीति कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के अपमान पर भी कुछ नहीं कहा।”
Ayodhya: राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का केंद्र
जनसत्ता दल द्वारा Ayodhya को अपने राजनीतिक संदेश का माध्यम बनाना कोई संयोग नहीं है। राम मंदिर निर्माण और भाजपा के धार्मिक एजेंडे के बीच जनसत्ता दल खुद को एक स्थानीय और जनहित केंद्रित दल के रूप में पेश करना चाहता है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि Ayodhya को राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के मुख्य मंच के रूप में चुना गया है क्योंकि:
- यहां भाजपा की मजबूत पकड़ है, लेकिन जनता स्थानीय मुद्दों पर उपेक्षा महसूस कर रही है।
- समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी Ayodhya में कमजोर हैं।
- जनसत्ता दल को स्थानीय नेताओं और युवाओं का समर्थन मिल रहा है।
संगठनात्मक विस्तार की योजना
बैठक में तय हुआ कि पार्टी अब ब्लॉक और ग्राम स्तर पर अपनी इकाइयाँ गठित करेगी। प्रत्येक विधानसभा में ‘जनसत्ता विजय संकल्प अभियान’ चलाया जाएगा, जिसमें:
- जनसंवाद
- पदयात्रा
- पंचायत स्तर पर जनसभा
- सोशल मीडिया प्रचार
जैसे माध्यमों से पार्टी को घर-घर तक पहुँचाया जाएगा।
महिला और युवा मोर्चा पर जोर
पार्टी नेतृत्व ने बताया कि महिलाओं और युवाओं को पार्टी में विशेष स्थान दिया जाएगा। इसके लिए महिला मोर्चा और युवा प्रकोष्ठ की समीक्षा बैठकें अलग से होंगी। महिलाओं की भागीदारी पंचायत चुनाव में निर्णायक हो सकती है, इस पर विशेष चर्चा हुई।
Ayodhya में विकास बनाम जाति की राजनीति
बैठक में कई वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि Ayodhya जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर में सिर्फ धार्मिक मुद्दों से नहीं, बल्कि विकास और रोजगार जैसे विषयों से जनता को जोड़ा जाना चाहिए। जनसत्ता दल अब तक की राजनीति से अलग एक नया राजनीतिक नैरेटिव बनाना चाहती है:
“न मंदिर, न मस्जिद, अब जनता पूछेगी – शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की बात।”
निष्कर्ष: Ayodhya से सियासी बिगुल
जनसत्ता दल की यह समीक्षा बैठक स्पष्ट संकेत देती है कि पार्टी अब केवल क्षेत्रीय उपस्थिति तक सीमित नहीं रहना चाहती। Ayodhya से शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी ने यह जता दिया कि वह 2027 में सशक्त विकल्प बनने के लिए तैयार है।
पंचायत चुनाव को प्राथमिकता देना, युवाओं और महिलाओं को साथ जोड़ना, और स्पष्ट राजनीतिक स्टैंड लेना – यह दर्शाता है कि जनसत्ता दल अब केवल छाया राजनीति नहीं, बल्कि मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने को आतुर है।