Ayodhya में कॉलेज में शिक्षक द्वारा छात्रा की पिटाई; SDM एवं DDO ने लिया संज्ञान

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अयोध्या (Ayodhya) जिले के बीकापुर क्षेत्र में स्थित भारती इंटर कॉलेज में एक संविदा शिक्षक द्वारा इंटरमीडिएट की छात्रा की कथित पिटाई की घटना ने शिक्षा जगत में हड़कंप मचा दिया है। छात्रा की हालत बिगड़ने पर उसे सीएचसी बीकापुर से जिला अस्पताल रेफर किया गया। इस घटना ने शिक्षा संस्थानों में अनुशासन और सुरक्षा की बहस को भी प्रमुखता से उभारा है।


घटना का विस्तृत विवरण

स्थान: भारती इंटर कॉलेज, बीकापुर, अयोध्या
घटना: संविदा शिक्षक इंद्रसेन यादव द्वारा इंटरमीडिएट की छात्रा की मनमानी पिटाई की गई, जिससे वह बेहोश हो गई। छात्रा समेत दो अन्य छात्रों ने हस्तक्षेप किया, लेकिन उन्हें भी मारपीट का सामना करना पड़ा।
प्रतिक्रिया: छात्रा को सीएचसी ले जाया गया, जहाँ से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई। फिलहाल छात्रा खतरे से बाहर बताई जाती है लेकिन वैधानिक प्रक्रिया जारी है।


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प्रशासनिक कार्रवाई और जांच

  • SDM श्रेया ने मौके पर पहुंचकर विद्यालय का निरीक्षण किया और वापस आने वाले संविदा शिक्षक को तत्काल निलंबित करते हुए कहा कि वह विद्यालय में वापस प्रवेश न करे।
  • जिला विद्यालय निरीक्षक (DDO) पवन कुमार तिवारी ने टीम का गठन कर जांच आदेशित कर दी है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
  • यह घटना शिक्षा एवं जिला प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी की तरह है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नीतिगत समीक्षा आवश्‍यक है।

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संदर्भित घटनाओं की तुलना और शिक्षा क्षेत्र में सुरक्षा उपाय

  • अयोध्या के एक अन्य इंटर कॉलेज में शिक्षक द्वारा हाईवे किनारे छात्रों की डंडे से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद जांच के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक ने त्वरित कार्यवाई की थी।
  • दोनों घटनाओं में एक समानता यह है कि बच्चों के खिलाफ हिंसा मिलीभगत से नहीं बीते—it is unacceptable and demanding systematic corrective steps.

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व्यापक परिदृश्य: शिक्षा में छात्र संरक्षण का महत्व

  1. शिक्षक की जवाबदेही और निगरानी: संविदा शिक्षक जैसे अन्यथा बच्चे के साथ व्यवहार करते हैं, ऐसे में स्कूल प्रबंधन को पारदर्शिता और निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए।
  2. चाइल्ड राइट्स का सम्मान: शारीरिक और मनोवैज्ञानिक संरक्षण हर छात्र का संवैधानिक अधिकार है—इसका उल्लंघन अपराध है।
  3. अभिभावकों और समुदाय की जागरूकता: स्कूल में ऐसी घटनाएँ समाजीय जागरूकता और तुरंत प्रतिक्रिया से ही रोकी जा सकती हैं।
  4. प्रशासन की तत्परता: SDM और DDO की प्रतिक्रिया ने यह संकेत दिया है कि प्रशासन बच्चों की सुरक्षा में न लापरवाही बरतेगा।

उद्धरण

SDM श्रेया ने आदेश दिया:
“संविदा संपन्न शिक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है और उसकी विद्यालय में वापसी पर प्रतिबंध रहेगा।”

DDO पवन कुमार तिवारी ने कहा:
“हमने जांच के लिए टीम बनाई है और शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जाएगी।”


निष्कर्ष: Ayodhya में शिक्षा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

अयोध्या में यह घटना शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है। बाल सुरक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को प्राथमिकता देनी होगी। केवल शिक्षा तक सीमित न रहकर—शिक्षक, प्रबंधन, प्रशासन और समाज, सभी का साझा उत्तरदायित्व होना चाहिए।

Khursheed Khan Raju

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