संवाददाता , योगेश यादव
अयोध्या कोर्ट परिसर में संदिग्ध बैग से अवैध तमंचा और कारतूस मिलने के मामले ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार को हुई इस घटना के बाद पूर्व ब्लॉक प्रमुख और बाहुबली छवि वाले नेता यशभद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा विधायक विनोद सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को “हमले की साजिश” बताया और दावा किया कि उनकी जान को खतरा है।
संदिग्ध बैग में मिला असलहा, कोर्ट में मचा हड़कंप
शनिवार को अयोध्या कोर्ट परिसर में एक संदिग्ध बैग मिलने से हड़कंप मच गया। जांच में पता चला कि बैग में अवैध तमंचा और कारतूस रखे थे। यह बैग अदालत परिसर के शेड नंबर 5 में मिला था। चूंकि शनिवार को वहां कई महत्वपूर्ण पेशियां थीं, इस घटना को लेकर सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया।
सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए वकीलों और आम नागरिकों ने चिंता जताई कि न्यायिक परिसर में असलहा कैसे पहुंचा? प्रशासन ने घटना के बाद पूरे इलाके की सघन तलाशी ली और सीसीटीवी फुटेज खंगालने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
मोनू सिंह का बड़ा आरोप: “मेरी हत्या की साजिश रची जा रही है”
News Time Nation Sultanpur को मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को सुल्तानपुर जिले के मायंग गांव में अपने पैतृक आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मोनू सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने कहा:
“मुझे पूरा शक है कि भाजपा विधायक विनोद सिंह मेरी हत्या करवाना चाहते हैं। ये कोई सामान्य मामला नहीं है, बल्कि सोची-समझी साजिश है।”
उन्होंने कहा कि जिस दिन (शनिवार) यह घटना हुई, उसी दिन 2014 के एक पुराने मामले में उनकी अयोध्या कोर्ट में गवाही होनी थी। लेकिन संदिग्ध बैग से असलहा मिलने की खबर पाकर उन्होंने कोर्ट जाना स्थगित कर दिया।
2014 में भी कोर्ट में हुआ था जानलेवा हमला
मोनू सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 2014 में अयोध्या कोर्ट में पेशी के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ था। उस हमले में जो लोग शामिल थे, उनके साथ भाजपा विधायक विनोद सिंह का संपर्क सामने आया था।
यह बात सिर्फ आरोप तक सीमित नहीं रही। 2021 में पुलिस द्वारा की गई कॉल डिटेल्स जांच में भी यह स्पष्ट हुआ कि हमलावरों के संपर्क में विधायक विनोद सिंह थे।
2021 की कॉल डिटेल्स जांच: विधायक का नाम सामने
मोनू सिंह ने कहा कि 2021 में पुलिस द्वारा की गई कॉल डिटेल एनालिसिस में भाजपा विधायक का नाम सामने आया और इसके आधार पर उन्हें उस हमले के मामले में आरोपी बनाया गया। हालांकि, विधायक ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। लेकिन मोनू सिंह का कहना है कि सच्चाई को दबाने की कोशिशें अभी भी जारी हैं।
गवाही से पहले असलहा मिलना: इत्तेफाक या साजिश?
मोनू सिंह का सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह सब सिर्फ इत्तेफाक था कि जिस दिन उनकी गवाही होनी थी, उसी दिन कोर्ट परिसर में अवैध असलहा बरामद हुआ?
उन्होंने कहा:
“अगर मैं उस दिन कोर्ट चला गया होता, तो शायद मेरा नाम किसी साजिश में घसीटा जाता, या फिर मुझ पर हमला हो सकता था।”
उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं और अब स्थिति ऐसी है कि उन्हें अपनी जान बचाने के लिए प्रेस के माध्यम से जनता तक पहुँचना पड़ा।
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भाजपा विधायक विनोद सिंह का पक्ष
इस मामले में अब तक भाजपा विधायक विनोद सिंह का कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, 2014 और 2021 के पुराने मामलों में उन्होंने कानूनी प्रक्रिया के तहत स्टे लिया है और खुद को निर्दोष बताया है।
News Time Nation Sultanpur इस संबंध में विधायक का पक्ष लेने का प्रयास कर रहा है, ताकि खबर को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत किया जा सके।
कोर्ट परिसर में सुरक्षा पर उठे सवाल
कोर्ट परिसर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अगर अवैध असलहा और कारतूस मिलते हैं, तो यह किसी बड़े सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है। इस घटना के बाद प्रशासन ने दावा किया है कि सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जाएगा, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटना हुई हो।
2007 की याद दिलाता है मामला
अयोध्या कोर्ट परिसर में इससे पहले भी 2007 में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस नई घटना ने उन जख्मों को फिर से हरा कर दिया है।
सुल्तानपुर की राजनीति में हलचल
इस पूरे मामले ने सुल्तानपुर की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। बाहुबली नेताओं और सत्ता पक्ष के नेताओं के बीच पुराना विवाद अब खुले आरोपों और साजिश के दावों तक पहुँच चुका है।
News Time Nation Sultanpur के संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, जिले के कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे मामले पर स्वतंत्र जांच की मांग की है।
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पुलिस की प्रतिक्रिया और संभावित जांच
अयोध्या और सुल्तानपुर की पुलिस ने फिलहाल मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कोर्ट परिसर के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और जिन लोगों की उस दिन कोर्ट में मौजूदगी थी, उनकी संदिग्ध गतिविधियों की सूची बनाई जा रही है।
वहीं, एसएसपी ने यह भी कहा है कि कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल और ऑटोमेटेड किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
मोनू सिंह की मांग: CBI जांच हो
मोनू सिंह ने इस पूरे प्रकरण की CBI जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पुलिस पर राजनीतिक दबाव है और निष्पक्ष जांच तभी संभव है जब कोई स्वतंत्र एजेंसी इसकी जांच करे।
निष्कर्ष: क्या सच्चाई सामने आएगी?
इस पूरे मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या कोर्ट परिसर में असलहा मिलना महज इत्तेफाक था?
- क्या मोनू सिंह की जान को वाकई खतरा है?
- क्या पुलिस निष्पक्ष जांच कर पाएगी?
- क्या भाजपा विधायक इस मामले में निर्दोष हैं?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में जांच के बाद ही मिल पाएंगे। लेकिन एक बात तय है कि यह घटना सिर्फ एक सुरक्षा चूक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक तूफान की आहट है।