
| संवाददाता, मो.आज़म |
Ayodhya को लगा बड़ा झटका, राजघराने के राजा और राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य नहीं रहे
Ayodhya, जिसने हमेशा देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा दी है, आज शोक की गहरी छाया में डूब गया। अयोध्या राजघराने के राजा और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का निधन हो गया। 71 वर्षीय राजा ने राजसदन में अंतिम सांस ली।
उनके निधन से न सिर्फ राजपरिवार, बल्कि पूरे अयोध्या, संत समाज, राम मंदिर आंदोलन और उससे जुड़े करोड़ों श्रद्धालुओं को गहरा आघात लगा है।
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👑 कौन थे राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र?
राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र Ayodhya राजघराने के वर्तमान प्रतिनिधि थे। वे एक शालीन, विद्वान और धार्मिक रूप से प्रतिबद्ध व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे।
उनका योगदान:
- 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद
- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में नामित हुए
- वे राम जन्मभूमि मंदिर के पहले ट्रस्टी सदस्य थे जिन्होंने तत्कालीन फैजाबाद कमिश्नर से मंदिर का चार्ज विधिवत रूप से प्राप्त किया
- ट्रस्ट की संविधानिक और धार्मिक संरचना में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही
🏛️ Ayodhya में उनके योगदान का ऐतिहासिक महत्व
राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का जीवन धर्म, संस्कृति और सेवा के लिए समर्पित था। वे हमेशा Ayodhya के मूल स्वरूप की रक्षा के लिए कार्य करते रहे।
उन्होंने:
- राम मंदिर आंदोलन के बाद की पुनर्संरचना में सक्रिय भागीदारी निभाई
- धार्मिक सौहार्द और सामाजिक समरसता के पक्षधर रहे
- अयोध्या के सामाजिक और आध्यात्मिक स्वरूप को सहेजने में लगे रहे
💐 अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
राजा साहब का पार्थिव शरीर राजसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। वहां हजारों की संख्या में आमजन, संत समाज, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और उनके चाहने वाले उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे।
आज शाम सरयू तट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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🧘♂️ संत समाज की प्रतिक्रिया
Ayodhya के प्रमुख संत-महंत, जिनमें हनुमानगढ़ी, कनक भवन, रामवल्लभाकुंज, दिगंबर अखाड़ा आदि के प्रमुख धर्माचार्य शामिल हैं, सभी ने गहरा दुख व्यक्त किया।
महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा:
“राजा साहब धर्म के प्रहरी थे। उनका जाना हमें व्यक्तिगत और धार्मिक रूप से बहुत बड़ा नुकसान है।”
🙏 धर्मनिरपेक्ष सद्भाव की मिसाल: इकबाल अंसारी ने भी दी श्रद्धांजलि
बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी राजसदन पहुंचकर राजा साहब के पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। यह घटना Ayodhya के सांप्रदायिक सौहार्द और समरसता की मिसाल बन गई।
इकबाल अंसारी का बयान:
“राजा साहब सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उनके जैसा व्यक्ति अब शायद ही मिल पाए।”
🧡 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर शोक व्यक्त करते हुए कहा:
“राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र जी का निधन अत्यंत दुखद है। उन्होंने अयोध्या और श्रीराम मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रभु श्रीराम उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति।”
📸 अंतिम विदाई की झलकियां
- राजसदन के बाहर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
- पार्थिव शरीर के दर्शन को उमड़े रामभक्त
- सरयू तट की ओर ले जाया गया शव वाहन, मंत्रोच्चारण के बीच
- सेना और प्रशासन की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर
📜 राजा साहब की जीवन यात्रा पर एक दृष्टि
विवरण | जानकारी |
---|---|
👑 नाम | राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र |
🎂 जन्म | 1954, अयोध्या |
🧠 शिक्षा | पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा दोनों में निपुण |
📿 धार्मिक कार्य | राम मंदिर ट्रस्ट, सांस्कृतिक संरक्षण, यज्ञ-पूजन |
🏛️ ट्रस्ट से जुड़ाव | 2019 से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी |
🕯️ निधन | 24 अगस्त 2025, राजसदन, अयोध्या |
🕊️ Ayodhya की जनता की भावना
राजा साहब के निधन के बाद Ayodhya में गहन शोक और भावनात्मक वातावरण है। लोग न केवल उन्हें धार्मिक नेता के रूप में, बल्कि एक विनम्र और सहज राजा के रूप में याद कर रहे हैं।
रामसेवक सिंह, स्थानीय निवासी:
“राजा साहब हमेशा मंदिर के लिए ही नहीं, गांव-गरीबों के लिए भी खड़े रहते थे।”
📈 SEO दृष्टिकोण से Ayodhya का महत्व
इस घटना से स्पष्ट है कि:
- Ayodhya सिर्फ धार्मिक नगरी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का केंद्र है
- यहां की हर हलचल, प्रत्येक नेतृत्वकर्ता की भूमिका, भारत के सांस्कृतिक इतिहास को प्रभावित करती है
- राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र जैसे व्यक्तित्व का जाना Ayodhya की सांस्कृतिक विरासत के लिए अपूर्णीय क्षति है
📢 क्या अब ट्रस्ट में बदलाव होगा?
राजा साहब की मौत के बाद सवाल उठने लगे हैं कि:
- क्या ट्रस्ट में कोई नया सदस्य जोड़ा जाएगा?
- क्या किसी अन्य राजपरिवार के सदस्य को प्रतिनिधित्व मिलेगा?
- क्या ट्रस्ट की कार्यशैली पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
फिलहाल ट्रस्ट ने कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है।
🧭 निष्कर्ष: Ayodhya की आत्मा को गहरा आघात
राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का निधन केवल एक व्यक्ति का निधन नहीं, बल्कि Ayodhya की ऐतिहासिक परंपरा, धार्मिक चेतना और नेतृत्व की एक अध्याय का अंत है।
उनकी स्मृति में आने वाले वर्षों तक श्रद्धांजलि सभाएं, यज्ञ, और स्मृति ग्रंथों का प्रकाशन संभव है।