बरेली में विधवा पेंशन योजना के नाम पर चल रहे बड़े घोटाले की परतें अब खुलती जा रही हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर पुलिस ने कार्यवाई तेज कर दी है। एसएसपी द्वारा बनाई गई विशेष जांच टीम (SIT) ने 25 विवाहित महिलाओं पर FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं, जिन्होंने खुद को विधवा बताकर योजना का लाभ लिया। अब इस मामले में बिचौलियों और सत्यापन करने वाले कर्मचारियों पर भी कार्यवाई की तैयारी है।

बरेली में सामने आया विधवा पेंशन घोटाला एक बार फिर सरकारी कल्याण योजनाओं में फैले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की ओर इशारा करता है। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब जिला प्रशासन ने पेंशन प्राप्तकर्ताओं के दस्तावेजों और स्थिति की दोबारा जांच करने के निर्देश दिए। जांच में पाया गया कि कई महिलाएँ, जो विधवा पेंशन ले रही थीं, वास्तव में विवाहित थीं और अपने पति के साथ सुखपूर्वक जीवन बिता रही थीं। यह खुलासा प्रशासन को चौंकाने वाला था, क्योंकि यह न केवल सरकारी धन की चोरी है, बल्कि एक ऐसी योजना के दुरुपयोग का उदाहरण है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर विधवाओं को सहायता प्रदान करना है।
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तुरंत कार्यवाई करने के आदेश दिए। इसके बाद एसएसपी ने एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया, जिसे मामले की विस्तृत जांच की जिम्मेदारी सौंप दी गई। प्रारंभिक जांच में 25 ऐसी विवाहित महिलाओं की पहचान की गई, जिन्होंने झूठे दस्तावेजों के आधार पर स्वयं को विधवा घोषित किया और मासिक पेंशन प्राप्त करती रहीं। SIT ने इन सभी महिलाओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

सिर्फ लाभ लेने वाली महिलाओं पर ही नहीं, बल्कि इस पूरे मामले में शामिल बिचौलियों और सत्यापन प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इतने बड़े स्तर पर योजना का दुरुपयोग तभी संभव है जब किसी न किसी स्तर पर सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही या मिलीभगत सामने आए। कई मामलों में पाया जाता है कि बिचौलिए लालच में आकर गलत दस्तावेज तैयार करने में मदद करते हैं और संबंधित कर्मचारी कागज़ी कार्यवाई पूरी कर देते हैं। बरेली का यह मामला भी उसी नेटवर्क की ओर संकेत देता है।
विधवा पेंशन योजना सरकार की उन योजनाओं में से एक है, जिन्हें सामाजिक सुरक्षा के लिए बनाया गया है। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की विधवाओं को मासिक सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे अपने जीवन-यापन में समर्थ हो सकें। लेकिन जब ऐसे मामलों में घोटाले सामने आते हैं, तो न केवल सरकारी खजाने को नुकसान होता है बल्कि वास्तविक लाभार्थियों के हक पर भी चोट पहुँचती है। इस घोटाले के सामने आने से कई असली विधवाएँ अपनी पेंशन से वंचित हो सकती हैं, क्योंकि योजनाओं के दुरुपयोग के कारण अक्सर पात्र महिलाओं तक सहायता समय पर नहीं पहुँच पाती।
सूत्रों की मानें तो जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ महिलाओं ने पेंशन के लिए फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र और अन्य गलत दस्तावेज जमा किए थे। यह अपने आप में एक दंडनीय अपराध है और कानून में इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है। SIT इन सभी दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन दस्तावेजों को तैयार करने और सत्यापित करने में कौन-कौन शामिल था।

जांच अधिकारियों का कहना है कि यह मामला सिर्फ 25 महिलाओं तक सीमित नहीं है। संभावना है कि जांच आगे बढ़ने पर कई और ऐसे नाम सामने आ सकते हैं जिन्होंने नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए पेंशन प्राप्त की है। इसीलिए SIT ने दस्तावेजों की गहन जांच, संबंधित कर्मचारियों की पूछताछ और डिजिटल रिकॉर्ड का विश्लेषण शुरू कर दिया है।
बरेली प्रशासन इस मामले को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य में पेंशन योजनाओं की सत्यापन प्रक्रिया को और मजबूत किया जाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने भी इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए प्रशासन की कार्यवाई का स्वागत किया है। उनका मानना है कि ऐसी कार्यवाई से अन्य जिलों में भी एक संदेश जाएगा कि सरकारी योजनाओं का गलत इस्तेमाल करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर दिखाया है कि सरकारी कल्याण योजनाओं की पारदर्शिता और निगरानी मजबूत किए बिना समाज के वास्तविक जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुँचाना चुनौतीपूर्ण है। उम्मीद है कि SIT की जांच पूरी होने के बाद दोषियों पर कठोर कार्यवाई होगी और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी।