भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Freedom movement) में बहुत से क्रांतिकारियों को योगदान है जिनका कभी जिक्र ठीक ढंग से नहीं किया है. या तो हम गांधीजी और कांग्रेस से जुड़े नेताओं को जानते हैं या फिर अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाने वाले कुछ क्रांतिकारियों को. इनके अलावा भी बहुत सारे लोग ऐसे थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए बड़े काम किए हैं. इन्हीं में से एक हैं मैडम भीकाजी रुस्तम कामा (Bhikaji Kama) जो विदेश में भारत का झंडा (Indian Flag) फहराने वाली पहली महिला के रूप में जानी जाती हैं. लेकिन देश के लिए उनका योगदान इससे कहीं ज्यादा रहा था.
भीकाजी कामा मुंबई के संपन्न पारसी परिवार में 24 सितंबर 1861 को पैदा हुई थीं. कई भाषाओं में पारंगत भीकाजी का विवाह रुस्तम कामा के साथ हुआ था. शादी के बाद भीकाजी ने अपना ज्यादातर समय समाज सेवा और जनकल्याण की गतिविधियों में बिताया था. 1896 में बंबई प्रेसिजेंसी में आए आकाल और उसके बाद प्लेग के दौरन भीकाजी ने लोगों की बहुत सहायता की और खुद भी प्लेग से ग्रसित हो गई थीं.
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद की ओर
इलाज के लिए उन्होंने 1902 में ब्रिटेन भेज दिया गया था. लंदन में वे श्यामजी कृष्ण वर्मा और फिर दादाभाई नौरोजी से मिली जिसके बाद वे होम रूल सोसाइटी की सहयोगी बन गईं. लंदन में ही उनसे अंग्रेज सरकार ने इस शर्त पर उनकी वापसी तय की वे लिखित दस्तावेज पर हस्ताक्षर करें कि भारत लौटकर वे राष्ट्रवादी गतिविधियों में भाग नहीं लेंगी. ऐसे करने से उन्होंने इनकार कर दिया.