- क्रिप्टोकरेंसीज की लोकप्रियता में हाल के वर्षों में काफी तेजी आई है
- भारत में 10 करोड़ से अधिक लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसीज होने का अनुमान
- लेकिन बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज पर सरकार का रुख अभी साफ नहीं है
- सरकार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में इस पर एक बिल ला सकती है
दुनियाभर में पिछले कुछ वर्षों से बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसीज की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। इंडस्ट्री के सूत्रों की मानें तो देश में 10 करोड़ से अधिक लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी है। इसमें युवाओं के साथ सीनियर सिटीजंस (Senior Citizens) भी शामिल हैं। देश में क्रिप्टो ऑनर्स की संख्या अमेरिका से अधिक है। हालांकि होल्डिंग की वैल्यू के हिसाब से अमेरिका आगे है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसीज पर सरकार का रुख अभी साफ नहीं है जिससे क्रिप्टो ऑनर्स दुविधा में हैं।
सरकार इस समय दुविधा में नजर आ रही है और उसका आखिरी फैसला क्या होगा, इसका पता तो संसद में विधेयक पेश किए जाने के बाद ही पता चल पाएगा। देश में क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर अभी कोई सरकारी गाइडलाइन या नियम-कानून नहीं हैं। सरकार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में एक बिल पेश कर सकती है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरकार बिटकॉइन सहित सभी क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगा सकती है।
सरकार की दुविधा
हालांकि बिल में तकनीक को जारी रखने की बात कही गई है। इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। इंडस्ट्री का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसीज पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है और बिटकॉइन, ईथर और डॉगकॉइन जैसी करेंसीज को रियायत मिल सकती है। वर्चुअल करेंसी को रेगुलेट करने पर सरकार की एससी गर्ग समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसके अलावा सरकार के पास कई मंत्रालयों की एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट भी है।
जानकारों का कहना है कि एससी गर्ग समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में पाबंदी लगाने की सलाह दी है। लेकिन मार्च में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने संकेत दिए थे कि वर्चुअल करेंसियों को केवल रेगुलेट किया जाएगा, उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार एक जोखिम भरा क्षेत्र है और यह नियामक ढांचे में नहीं है। इस लिए इस पर अच्छी-तरह से विचार करना बेहद जरूरी है।