ब्रजघाट श्मशान घाट पर हड़कंप: अंतिम संस्कार के लिए लाई गई डमी से पर्दाफाश, 50 लाख बीमा क्लेम की साजिश नाकाम

तीर्थनगरी ब्रजघाट के मुख्य श्मशान घाट पर गुरुवार दोपहर उस समय अफरातफरी मच गई जब अंतिम संस्कार के लिए लाई गई लाश की जगह प्लास्टिक और कपड़े से बनी डमी निकली। मौके पर मौजूद लोगों ने कार से दो और डमी बरामद कीं। पुलिस ने दिल्ली के दो युवकों को गिरफ्तार कर 50 लाख रुपये की बीमा धोखाधड़ी की साजिश का खुलासा किया है।

तीर्थनगरी ब्रजघाट में गुरुवार दोपहर करीब 1:30 बजे ऐसा मामला सामने आया जिसने स्थानीय लोगों और पंडों को हैरान कर दिया। अंतिम संस्कार के लिए लाई गई लाश जब रस्मों के दौरान खोली गई तो उसमें इंसान का शव नहीं बल्कि कपड़े और प्लास्टिक से बनाई गई एक डमी निकली। यह देखते ही श्मशान घाट पर मौजूद पंडितों और ग्रामीणों में हड़कंप मच गया।

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स्थानीय लोगों ने शव लेकर पहुंचे दोनों व्यक्तियों को रोका और उनकी कार की तलाशी ली। तलाशी के दौरान कार की डिग्गी से दो और मानव आकार की डमी बरामद हुई। इसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दिल्ली के कैलाश कॉलोनी निवासी कमल कुमार सोमानी और जैन कॉलोनी (उत्तम नगर) निवासी आशीष खुराना को हिरासत में ले लिया। पुलिस की पूछताछ में कमल कुमार ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि वह दिल्ली में कपड़ों की दुकान चलाता है और कई वर्ष से यह व्यवसाय कर रहा है। उसके अनुसार बीमा राशि हड़पने के लिए उसने और उसके साथियों ने एक योजना बनाई। योजना के तहत उसके कर्मचारी अंशुल के नाम से टाटा AIA लाइफ इंश्योरेंस की 50 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी कराई गई।

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कमल ने बताया कि हाल ही में अंशुल की तबीयत खराब थी, जिसे वह बहाना बनाकर उसे दिल्ली के पालम स्थित अंसारी अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। इसी बीच 26 नवंबर की रात कमल ने यह अफवाह फैला दी कि डॉक्टरों ने अंशुल को मृत घोषित कर दिया है। इसके बाद उसने मानव आकार की डमी खरीदी और अपने साथी आशीष के साथ गुरुवार दोपहर ब्रजघाट श्मशान घाट पहुंच गया। उनकी योजना थी कि डमी का दाह संस्कार कराकर श्मशान घाट की पर्ची ली जाए, जिससे बाद में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा कंपनी से 50 लाख रुपये का क्लेम लिया जा सके।

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लेकिन उनकी योजना उस समय फेल हो गई जब अंतिम संस्कार की रस्मों के दौरान पंडितों ने डमी को देख लिया। पंडितों ने बताया कि जब अंतिम स्नान और कपड़े बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई तो शव में कोई अंग दिखाई नहीं दिया, केवल कपड़ों और प्लास्टिक का ढांचा मिला। शक होने पर उन्होंने तुरंत कपड़ा हटाया और धोखाधड़ी का राज खुल गया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों को गिरफ्तार कर लिया। उनकी कार से मिली दो अन्य डमी ने भी पूरे मामले की पुष्टि कर दी।

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एसपी ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि आरोपी बीमा धोखाधड़ी की बड़ी योजना पर काम कर रहे थे। अस्पताल प्रशासन ने भी आरोपी द्वारा झूठी मौत की सूचना देने को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। पुलिस ने बताया कि अंशुल को अस्पताल में ही सुरक्षित रखा गया है और उसकी स्थिति ठीक है। मामले में आगे की कानूनी कार्यवाई की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पंडितों की सतर्कता न होती तो आरोपी अपने मकसद में सफल हो सकते थे। यह घटना प्रशासन और बीमा कंपनियों के लिए भी बड़ा संकेत है कि इस तरह के संगठित फर्जीवाड़े पर नजर रखना जरूरी है।

Khursheed Khan Raju

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