रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
अमेरिका की 47 वर्षीय डेबी स्टीवंस ने अपने बॉस की जान बचाने के लिए किडनी दान की, लेकिन सर्जरी के बाद उनके साथ अमानवीय व्यवहार हुआ और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। मामला न्यूयॉर्क मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है, जहां डेबी ने औपचारिक शिकायत दर्ज की है।
अमेरिका में एक ऐसा दुर्लभ लेकिन चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने कॉर्पोरेट दुनिया और मानवता के मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 47 वर्षीय तलाकशुदा और दो बच्चों की मां डेबी स्टीवंस ने अपने बॉस की जान बचाने के लिए निस्वार्थ भाव से किडनी दान की, लेकिन बदले में उन्हें अपमान, क्रूरता और अंततः नौकरी से निकाले जाने का सामना करना पड़ा। यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब डेबी ने न्यूयॉर्क राज्य मानवाधिकार आयोग में अपने बॉस जैकी ब्रुशिया के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की।

किडनी दान करने तक की कहानी
डेबी स्टीवंस जिस कंपनी में काम करती थीं, वह अटलांटिक ऑटोमोटिव ग्रुप की एक शाखा थी – एक अरब डॉलर की बड़ी डीलरशिप चेन। उनके 61 वर्षीय बॉस जैकी ब्रुशिया, जो वेस्ट इस्लिप कंट्रोलर थे, को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। 2010 में डेबी फ्लोरिडा चली गई थीं, लेकिन बेटी से मिलने जब वे न्यूयॉर्क लौटीं, तो कंपनी के ऑफिस गईं जहाँ बॉस ने उन्हें अपनी मेडिकल समस्या बताई। डेबी ने सहानुभूति में कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे अपनी किडनी देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह बात इंसानियत के नाते कही थी, लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि आगे क्या होने वाला है।

फिर मिली नौकरी—और शुरू हुई असली कहानी
डेबी कुछ महीनों बाद लॉन्ग आइलैंड लौटीं और नौकरी मांगी। ब्रुशिया ने तुरंत उन्हें वापस रख लिया। फिर जनवरी 2011 में, बॉस ने डेबी को बुलाकर पूछा –“क्या तुम सच में किडनी दान करने को तैयार हो?” डेबी ने हाँ कहा। हालाँकि उनकी किडनी बॉस के शरीर से मैच नहीं हुई, लेकिन डेबी ने किसी अनजान मरीज को किडनी दान की, ताकि बदले में बॉस को एक संगत किडनी मिल सके। इसे Paired donation कहा जाता है। इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से डेबी की वजह से बॉस को किडनी ट्रांसप्लांट मिला।
सर्जरी के बाद शुरू हुआ अमानवीय व्यवहार
किडनी दान के बाद डेबी को डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी, लेकिन काम पर लौटने के तुरंत बाद उनके साथ बुरा व्यवहार शुरू हो गया। उन्होंने ABCNews.com को बताया “सर्जरी के बाद वह (ब्रुशिया) मेरे साथ भयानक और अमानवीय व्यवहार करने लगा। जैसे उसने मुझे सिर्फ अपनी किडनी लेने के लिए ही रखा था।” डेबी कहती हैं कि उन्हें छोटे-छोटे काम दिए जाते, दबाव बनाया जाता और अक्सर बेवजह डांटा जाता। कुछ ही समय में हालात इतने बिगड़े कि डेबी ने मानसिक और शारीरिक दबाव महसूस करना शुरू कर दिया।

किडनी दान का बदला—नौकरी से निकाला जाना
जब डेबी ने बार-बार डॉक्टर के कहने पर आराम के लिए छुट्टी मांगी, तो कंपनी ने उन्हें गैर-पेशेवर बताते हुए नौकरी से निकाल दिया। किडनी दान करने के बाद जिस इंसान की जिंदगी बची, उसी इंसान ने उन्हें काम से बाहर कर दिया। डेबी कहती हैं:
“मैंने यह इंसानियत के नाते किया था… नौकरी पाने के लिए नहीं। मैं नहीं चाहती थी कि वह मर जाए।”
मानवाधिकार आयोग में शिकायत
डेबी ने कंपनी और अपने बॉस के खिलाफ न्यूयॉर्क राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
उनका आरोप है कि—
- उनसे किडनी ली गई
- फिर उन्हें मानसिक उत्पीड़न किया गया
- और अंततः नौकरी से निकाल दिया गया

यह मामला अमेरिका में “ऑर्गन डोनेशन एथिक्स” पर बड़ी बहस छेड़ चुका है। जैसे ही यह खबर सामने आई, डेबी को लोगों का समर्थन मिलने लगा। कई लोगों ने कहा कि यह मानवता के साथ किया गया सबसे बड़ा विश्वासघात है। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक यदि आरोप साबित होते हैं, तो कंपनी और बॉस पर भारी जुर्माना लग सकता है।