Diwali Correct date 2022: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की ये हैं एकदम सही डेट

दिवाली भले एक दिन मनाई जाती है लेकिन यह पर्व पांच दिनों का होता है। यानि धनत्रयोदशी से शुरू होकर यम द्वितीया तक। शास्त्रत्तें में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है। इन पांच दिनों में यमराज, वैद्यराज धनवंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।

धनत्रयोदशी

इसे धनतेरस भी कहते हैं। इस दिन का मुख्य संबंध यमराज की आराधना से है। यह पर्व 22 अक्तूबर शनिवार को मनाया जाएगा। आयुर्वेद के प्रवर्तक धनवंतरि की जयंती भी इसी दिन होती है। यम दीप जलाना इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण है। महावीर पंचांग के संपादक पं. रामेश्वर ओझा के अनुसार शाम को यमराज के निमित्त दीप जलाकर घर के दरवाजे के बाहर रखना चाहिए। इस दिन लक्ष्मी पूजन की परंपरा भी है। लोक मान्यता के अनुसार इस दिन स्वर्ण या रजत मुद्राएं अथवा बर्तन खरीदना शुभ होता है।

नरक चतुर्दशी-

नरक चतुर्दशी को नरका चौदस और हनुमान जयंती के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त है। यह पर्व 23 अक्तूबर को मनाया जाएगा। शास्त्रतीय मान्यताओं के इस दिन शाम को चार बातियों वाला दीपक घर के बाहर कूड़े के ढेर पर जलाना चाहिए। खास यह कि दीपक पुराना होना चाहिए। इसके पीछे मान्यता यह है कि स्थान चाहे कोई भी हो शुभता का वास हर जगह है। समय विशेष पर उसका महत्व होता है। इस क्रिया से पूर्व प्रातकाल सरसों का तेल और उपटन लगाकर स्नान करना चाहिए। यमराज के निमित्त तर्पण करना न भूलें।

दिवाली

दीपावली सनातनी परंपरा में रात में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में एक है। यह पर्व 24 अक्तूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। तीसरी महानिशा में शुमार कालरात्रि का पर्व जनसामान्य में दीपावली या दिवाली के नाम से प्रतिष्ठित है। दीपावली के दिन सूर्यास्त से अगले सूर्योदय के बीच का काल विशेष रूप से प्रभावी है। मोहरात्रि, शिवरात्रि, होलिका दहन, शरद पूर्णिमा की भांति ही दीपावली में भी संपूर्ण रात्रि जागरण का विधान है। कालरात्रि वह निशा है जिसमें तंत्र साधकों के लिए सर्वाधिक अवसर होते हैं।

Exit mobile version