रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में जिला मेडिकल कॉलेज में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। एक महिला डॉक्टर ने आरोप लगाया कि उसके रिश्तेदार ने उसके पति की डॉक्टरेट डिग्री का गलत इस्तेमाल कर खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ बताकर मेडिकल कॉलेज में नौकरी हासिल की। शिकायत के बाद आरोपी ने तुरंत इस्तीफा दे दिया और जांच टीम गठित कर दी गई है।

ललितपुर जिले के जिला मेडिकल कॉलेज में एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने हेल्थ डिपार्टमेंट से लेकर प्रशासन तक को हिला दिया है। यहां एक व्यक्ति ने फर्जी तरीके से डॉक्टर बनकर न केवल नौकरी हासिल की बल्कि दो वर्षों से ज्यादा समय तक मरीजों का इलाज भी करता रहा। आरोप है कि उसने अपने ही जीजा की डॉक्टरेट डिग्री का इस्तेमाल करके खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ (Cardiologist) बताकर यह नौकरी प्राप्त की थी।
शिकायत से खुला फर्जीवाड़ा
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब डॉ. सोनाली सिंह नाम की महिला ने जिला मेडिकल कॉलेज प्रशासन को शिकायत दी। उन्होंने बताया कि उनका भाई अभिनव सिंह उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता की डॉक्टरेट डिग्रियों पर अपना नाम चिपकाकर खुद को डॉक्टर बताने लगा। डॉ. राजीव गुप्ता, जिनकी डिग्रियों का गलत इस्तेमाल हुआ, इस समय अमेरिका में डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वहीं उनका देवर अभिनव सिंह इन डिग्रियों का सहारा लेकर वर्ष 2022 में जिला मेडिकल कॉलेज, ललितपुर में हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त हो गया।
फर्जी डॉक्टर बनकर पूरे दो साल तक करता रहा इलाज
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आरोपी पिछले लगभग दो वर्षों से मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की जिम्मेदारी निभा रहा था। हृदय रोग विभाग में उसकी पोस्टिंग होने के कारण वह गंभीर मरीजों का इलाज भी कर रहा था। इस बात ने पूरे चिकित्सा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि नियुक्ति प्रक्रिया में दस्तावेज़ सत्यापन के बावजूद ऐसा बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे हो गया — यह भी जांच का एक अहम बिंदु है।

जैसे ही डॉ. सोनाली सिंह ने लिखित शिकायत देकर पूरा मामला उजागर किया, आरोपी अभिनव सिंह ने बिना कोई सफाई दिए तुरंत अपना इस्तीफा सौंप दिया। सूत्रों के अनुसार वह शिकायत के बाद डर गया और किसी कानूनी कार्रवाई से पहले ही कॉलेज से खुद को अलग कर लिया। हालांकि इस्तीफा देने भर से मामला खत्म नहीं होगा, क्योंकि अब जांच एजेंसियां उस पर फौजदारी कार्रवाई की तैयारी कर रही हैं। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मयंक शुक्ला ने पूरे मामले को “गंभीर और संवेदनशील” बताते हुए तत्काल जांच बैठा दी है। उन्होंने बताया कि:
- एक CMO लेवल की टीम गठित की गई है
- पूरी सर्विस हिस्ट्री, दस्तावेजों और डिग्रियों की जांच की जा रही है
- भर्ती प्रक्रिया में कहाँ चूक हुई, इसका भी आकलन किया जाएगा
डॉ. शुक्ला ने स्पष्ट किया कि अगर आरोप सही पाए गए, तो आरोपी के खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज की जाएगी और अब तक मिलने वाला पूरा वेतन भी रिकवर किया जाएगा।

क्यों है मामला अत्यंत गंभीर?
स्वास्थ्य व्यवस्था में डॉक्टर की भूमिका अत्यंत संवेदनशील होती है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति फर्जी डिग्री के सहारे विशेषज्ञ बनकर मरीजों का इलाज करे तो यह सीधा-सीधा:
- जनता के जीवन से खिलवाड़,
- मेडिकल सिस्टम का दुरुपयोग,
- और प्रशासनिक लापरवाही
सभी का गंभीर उदाहरण है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल फर्जीवाड़े का नहीं बल्कि सिस्टम के भीतर मौजूद loopholes का भी बड़ा सबूत है।अगर आरोपी वास्तव में दो साल से हृदय रोग विशेषज्ञ बनकर काम कर रहा था, तो सवाल यह उठता है कि भर्ती और सत्यापन प्रक्रिया कैसे असफल हो गई?

जांच पूरी होने तक आरोपी की गतिविधियों, उसके द्वारा किए गए इलाज के रिकॉर्ड और नियुक्ति से जुड़े सभी दस्तावेजों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प्रशासन ने संकेत दिया है कि:
- आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज़ और चिकित्सा अधिनियम के तहत मामला दर्ज होगा
- भर्ती प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई संभव है
यह घटना चिकित्सा संस्थानों में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन की कमजोरियों पर फिर से प्रकाश डालती है और यह सवाल छोड़ती है कि क्या सिर्फ एक डिग्री देखकर किसी को डॉक्टर मान लेना कितना खतरनाक हो सकता है।