रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
गोरखपुर में पुलिस ने ऐसे फर्जी IAS अधिकारी को गिरफ्तार किया है, जिसने सरकारी प्रोटोकॉल, सिक्योरिटी, सोशल मीडिया इमेज और भ्रमित करने वाली रणनीतियों का इस्तेमाल करके तीन साल में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड तक फैला एक बड़ा जालसाजी नेटवर्क खड़ा कर लिया था। गौरव कुमार सिंह उर्फ़ ललित किशोर न केवल खुद को IAS बताकर लोगों को ठगता था, बल्कि सरकारी ठेकों का लालच देकर करोड़ों रुपये ऐंठने की कोशिश में था।
गोरखपुर जिले में पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जिसके कारनामों ने प्रशासन, आम जनता और सोशल मीडिया सभी को हैरान कर दिया है। पकड़ा गया आरोपी गौरव कुमार सिंह उर्फ ललित किशोर पेशे से IAS अधिकारी नहीं था, लेकिन उसने IAS जैसी जीवनशैली बनाए रखने के लिए हर महीने लाखों रुपये खर्च किए और खुद को असली अधिकारी की तरह प्रस्तुत किया।

IAS प्रोटोकॉल की फर्जी नकल
गौरव हर महीने लगभग 5 लाख रुपये सिर्फ IAS प्रोटोकॉल बनाए रखने में खर्च करता था। उसके साथ 10–15 लोगों की टीम रहती थी, जो उसके आगे-पीछे सुरक्षा कर्मियों की तरह चलती थी। इतना ही नहीं, वह सफेद इनोवा कार पर लाल-नीली बत्तियाँ लगाकर गाँवों का दौरा करता था, जिससे लोग उसे असली प्रशासनिक अधिकारी समझ लेते थे। गांवों में उसके इस रौब और दिखावे ने उसे लोगों के बीच तेजी से पहचान दिलाई। कई लोग उससे सरकारी कार्यों में सहायता, योजनाओं में मदद और ठेकों के लिए संपर्क भी करने लगे।
असली SDM से आमना-सामना
गौरव का फर्जी खेल तब अटक गया जब वह बिहार के भागलपुर क्षेत्र में दौरा कर रहा था। यहाँ एक जगह उसकी मुलाकात असली SDM से हो गई। बातचीत के दौरान SDM ने गौरव से बैच और रैंक से जुड़ी जानकारी पूछी तो गौरव जवाब न दे सका। इसके बजाय उसने SDM के साथ अभद्र व्यवहार किया और reportedly थप्पड़ भी मारे। हैरानी की बात यह रही कि वास्तविक SDM ने इस घटना की शिकायत दर्ज नहीं कराई, जिससे गौरव का हौसला और बढ़ गया।

सोशल मीडिया पर ‘फर्जी IAS इमेज’
गौरव ने अपनी फर्जी पहचान को मजबूत करने के लिए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग किया। उसके साले अभिषेक कुमार ने उसकी मदद की और प्रोफेशनल फ़ोटोशूट, अफसर वाली पोस्ट, सरकारी बैठकों जैसी एडिटेड इमेज और प्रभावशाली कैप्शनों की मदद से उसे ‘IAS’ की इमेज दी। यही सोशल मीडिया इमेज उसकी ठगी का सबसे बड़ा हथियार बनी, क्योंकि लोग उसे ऑनलाइन देखकर असली अधिकारी मान लेते थे।
राज्यों में फैला जालसाजी नेटवर्क
गौरव ने अपने संपर्कों को बढ़ाने के लिए परमानंद गुप्ता नाम के युवक की मदद ली, जो उसके साले का दोस्त था। केवल तीन साल में गौरव का नेटवर्क
- यूपी,
- बिहार,
- मध्य प्रदेश,
- और झारखंड
तक फैल गया।
इस नेटवर्क के ज़रिये वह बिल्डरों और कारोबारियों को सरकारी ठेकों का लालच देता था। ठेकों की फर्जी प्रक्रिया को असली दिखाने के लिए वह AI की मदद से नकली टेंडर पेपर भी तैयार करता था।

करोड़ों की ठगी की कोशिश
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि गौरव ने बिहार के एक बड़े कारोबारी को 450 करोड़ रुपये के सरकारी टेंडर का झांसा दिया था। इसके एवज में उसने कारोबारी से लगभग 5 करोड़ रुपये और दो इनोवा कारें रिश्वत के रूप में ले ली थीं।यह रकम और संसाधन उसके फर्जी IAS रुतबे को मजबूत करने के लिए उपयोग किए जाते थे।
मोबाइल से अहम सुराग मिले
गौरव के फोन से कई महत्वपूर्ण चैट्स और दस्तावेज़ मिले हैं, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि वह न केवल आर्थिक जालसाजी में शामिल था, बल्कि लोगों को भ्रमित करके अपनी निजी ज़िंदगी में भी मनचाहा फायदा उठा रहा था। पुलिस इन सभी चैट्स और संपर्कों की जांच कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जा सके।

पुलिस ने गौरव, उसके सहयोगियों और नेटवर्क से जुड़े लोगों पर कई धाराओं में मामला दर्ज किया है। जाँच एजेंसियाँ यह भी पता लगाने में लगी हैं कि इतने समय तक वह कैसे बिना किसी आधिकारिक जांच के विभिन्न राज्यों में घूमता रहा।यह मामला बताता है कि कैसे फर्जी पहचान और सोशल मीडिया की सजाई हुई छवि का उपयोग करके कोई व्यक्ति बड़े पैमाने पर ठगी कर सकता है। प्रशासन ने इस घटना के बाद ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी के संकेत दिए हैं।