नई दिल्ली।
जूनियर टेनिस की दुनिया में जहां “बर्नआउट” आम है और असली सफलता दुर्लभ, वहीं हाई परफॉर्मेंस कोच गौरांग मेहता ने इस धारणा को चुनौती दी है। उनके लिए कोचिंग सिर्फ फोरहैंड या बैकहैंड की तकनीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है।
न्यू जर्सी के सेंटकोर्ट मार्लबोरो, जो राज्य की प्रमुख टेनिस अकादमियों में से एक है, में गौरांग हर सत्र को डेटा, अनुशासन और गहरी जुनून के मेल से गढ़ते हैं। गौरांग GPTCA लेवल-A प्रमाणित कोच हैं — और यह मान्यता हासिल करने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के कोचों में से एक हैं।

नई दिल्ली से शुरू हुई यात्रा
गौरांग की यात्रा यूरोप के रेड क्ले या यूएस ओपन के ब्लू कोर्ट से नहीं, बल्कि नई दिल्ली के एक छोटे से कोने से शुरू हुई। 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने गर्मियों में रैकेट उठाया और उसे कभी नहीं छोड़ा।
“यह एक शौक के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन समय के साथ यह पहचान बन गया हैं।
भले ही उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की, मगर दिल में हमेशा टेनिस ही बसता रहा।
2019 में उन्होंने खिलाड़ी से पूर्णकालिक कोच बनने का फैसला किया, और कुछ ही वर्षों में उनकी कोचिंग शैली ने उन्हें भारत की एक प्रतिष्ठित अकादमी में हाई-परफॉर्मेंस डायरेक्टर बना दिया।
डेटा-ड्रिवन कोचिंग का नया युग
गौरांग का प्रशिक्षण पारंपरिक दृष्टिकोण से आगे बढ़कर है।
उनके सत्रों में सिर्फ रैकेट स्विंग नहीं, बल्कि डेटा डैशबोर्ड, प्रदर्शन चार्ट और प्रोग्रेशन मॉडल भी शामिल होते हैं।
“मैं एक नंबरों वाला आदमी हूं,” वह मुस्कुराते हुए कहते हैं।
“आज का खेल केवल अनुभव पर नहीं, बल्कि साक्ष्य पर आधारित है। हमें आंकड़ों से सीखना होगा — ताकि हर खिलाड़ी की क्षमता वैज्ञानिक तरीके से उभरे।”
उनका दृष्टिकोण टेक्नीक, फिटनेस, रणनीति, मानसिक मजबूती, चोट से बचाव और टूर्नामेंट शेड्यूलिंग जैसे हर पहलू को कवर करता है।

टेनिस से परे कोचिंग का अर्थ
हालांकि गौरांग हर आयु और स्तर के खिलाड़ियों के साथ सहज हैं, लेकिन उनका असली जुनून है — हाई-परफॉर्मेंस डेवलपमेंट।
उनका मानना है कि टेनिस सिर्फ खेल नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है।“टेनिस सिखाता है अनुशासन, दबाव में टिकना और असफलता से दोबारा उठना। यह मानसिक शिक्षा है जो जीवनभर साथ रहती है।
आगे की राह
गौरांग का मिशन है युवा खिलाड़ियों को फिर से खेल से भावनात्मक रूप से जोड़ना।
“मैं चाहता हूं कि बच्चे खेल से फिर से प्यार करें — एक ऐसा प्यार जो उन्हें चुनौती दे, प्रेरित करे और विकसित होने में मदद करे,” वह बताते हैं।हाई-परफॉर्मेंस कोच गौरांग के लिए, यह सफर सिर्फ रैंकिंग और परिणामों का नहीं है — बल्कि हर खिलाड़ी को उसकी असली क्षमता पहचानने में मदद करने का मिशन है।