| संवाददाता, खुर्शीद खान राजू |
दुर्घटना का विवरण
तारीख: 26 अगस्त 2025
स्थान: मलाक हरहर से लाला लाजपत राय मार्ग तक बनने वाले सिक्स‑लेन ब्रिज का निर्माण स्थल, गंगा नदी, प्रयागराज
परियोजना: 9.90 किलोमीटर लंबा, 1948.25 करोड़ रुपये लागत का ब्रिज परियोजना, जिसे फरवरी 2025 तक महाकुंभ 2025 से पहले पूरा करने का लक्ष्य था
घटना की स्थिति:
- निर्माण कंपनी ने पिलर को ट्रक से नदी पर चढ़ा रहा था, अचानक ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया और भारी पिलर कार चालक सहित गंगा नदी में समा गया
- सौभाग्यवश, समय पर कोई भी कर्मचारी या अधिकारी पास मौजूद नहीं था, जिस वजह से कोई जनहानि नहीं हुई
- हादसे का वीडियो वायरल हो गया, जिसने सुरक्षा प्रबंधन और निर्माण की गुणवत्ता को लेकर अनेक सवाल खड़े कर दिए
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चुनौतियाँ और परियोजना की स्थिति
- समय‑सीमा पर प्रभाव: परियोजना पहले से ही बार‑बार डेडलाइन बढ़ा चुकी थी—पहले फरवरी 2024 से बढ़ाकर फरवरी 2025, और अब इस हादसे से और संभावित विलंब की आशंका है
- स्थानीय नाराजगी: इलाके के लोग और मजदूर सुरक्षा मानकों की खामियों पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं
- राजनीतिक प्रतिक्रिया: समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस घटना को गंभीर प्रशासनिक चूक बताया और परियोजना में भ्रष्टाचार व लापरवाही के आरोप लगाए
इतिहास में सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ
- इससे पहले दिसंबर 2023 में इसी पुल पर काम करते समय आरसीसी बीम लोड करते समय एक साइड का रोलर जैक फेल होने से बीम गिर गया, जिससे अफरातफरी मच गई थी. यह भी एसपी सिंघला कंपनी द्वारा ही निर्मित एक हादसा था, जहां छात्र और स्थानीय लोगों ने कार्यदायी संस्था के खिलाफ प्रदर्शन किया था .
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विस्तृत विश्लेषण और असर — 2,000 शब्द का खाका
1. परियोजना का महत्व
महाकुंभ 2025 के दृष्टिकोण से यह ब्रिज प्रयागराज की यातायात संरचना को मजबूत करने और श्रद्धालुओं के आवागमन को सुगम बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
2. हादसे की तकनीकी विश्लेषण
- क्या चालक अथवा वाहन में कोई तकनीकी खामी थी?
- रोलर जैक और लोडिंग उपकरणों की विश्वसनीयता और निरीक्षण की स्थिति?
- क्या पर्याप्त सुरक्षा और संचालन प्रोटोकॉल बनाए गए थे?
3. सुरक्षा गुणक और ग्लोबल मानक
- निर्माण कार्यों के दौरान बफर क्षेत्र, चेतावनी चिह्न, नियंत्रित मार्ग, प्रशिक्षण, और जोखिम मूल्यांकन।
4. राजनीतिक और प्रशासनिक जवाबदेही
- अखिलेश यादव द्वारा उठाए मुद्दे: भ्रष्टाचार, निगरानी कमी, पारदर्शिता की मांग
- परियोजना की निगरानी के जिम्मेदार अधिकारियों और एजेंसियों की भूमिका क्या रही?
5. सामाजिक और स्थानीय प्रतिक्रिया
- मजदूरों, स्थानीय निवासियों, और छात्र नेताओं की प्रतिक्रिया।
- पर्यावरणीय और जमीनी स्तर से जुड़े खतरे।
6. कानूनी और अनुबंध संबंधी प्रश्न
- निर्माण कंपनी के अनुबंध में सुरक्षा प्रावधान क्या थे?
- यदि विफलता मामले में दायित्व और जुर्माना का प्रावधान है—तो क्या विधिक कार्यवाई उठाई जाएगी?
7. भविष्य की योजनाएं और सुधार
- क्या परियोजना की समयसीमा और बजट में संशोधन की जरूरत है?
- ऑफ-ग्राउंड मॉनिटरिंग, थर्ड-पार्टी निरीक्षण और आकस्मिक बचाव योजना।
8. निष्कर्ष
- संतुलित निष्कर्ष, जिसमें सुरक्षा की अनदेखी, परियोजना की महत्ता, और निर्माण संबंधी चुनौतियों पर प्रकाश हो।