इंडिगो एयरलाइन द्वारा बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द करने के बाद यात्रियों को हुई परेशानी के चलते सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। DGCA ने चार फ्लाइट इंस्पेक्टरों को बर्खास्त किया, प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच शुरू की और केंद्र ने एयरलाइन को 59 करोड़ रुपये के GST बकाये का नोटिस भेजा है। एयरलाइन के मुख्य अधिकारी पीटर एल्बर्स और मुख्य परिचालन अधिकारी इसिड्रे पौरक्वेरास से DGCA की चार सदस्यीय जांच समिति ने पूछताछ की।

पिछले कुछ दिनों में इंडिगो एयरलाइन ने लगातार उड़ानें रद्द कीं, जिससे लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। गुरुवार को दिल्ली और बेंगलुरु हवाई अड्डों से 200 से अधिक उड़ानें रद्द की गईं, जबकि शुक्रवार को लगभग 160 उड़ानें रद्द की गईं। दिल्ली में 105 उड़ानें प्रभावित हुईं, जिनमें 52 प्रस्थान और 53 आगमन की उड़ानें शामिल थीं।
इंडिगो के इस व्यवधान के बाद DGCA ने कड़ा कदम उठाते हुए चार फ्लाइट इंस्पेक्टरों को बर्खास्त किया। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई एयरलाइन द्वारा उड़ानों में लगातार व्यवधान डालने और संचालन में ढिलाई बरतने के खिलाफ की गई है। इसके साथ ही, प्रतिस्पर्धा आयोग ने भी इंडिगो मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि एयरलाइन ने अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग तो नहीं किया।
सरकार ने तीसरे कदम के तहत इंडिगो को 59 करोड़ रुपये के GST बकाये का नोटिस भी भेजा है। इस कदम से यह साफ संदेश गया है कि सरकार और नियामक संस्थान एयरलाइंस के व्यवधानों को गंभीरता से ले रहे हैं।
जांच के दौरान इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर एल्बर्स और मुख्य परिचालन अधिकारी इसिड्रे पौरक्वेरास DGCA द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय जांच समिति के सामने पेश हुए। अधिकारियों से क्रमशः सात घंटे और पांच घंटे तक पूछताछ की गई।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि एयरलाइन के व्यवधानों से प्रभावित यात्रियों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा। इंडिगो ने प्रभावित यात्रियों को 10-10 हजार रुपये के ट्रैवलिंग वाउचर देने का एलान किया है, लेकिन मंत्रालय इस बात का मूल्यांकन कर रहा है कि यह वाउचर यात्रियों के लिए पर्याप्त हैं या नहीं।

विशेषज्ञों का मानना है कि एयरलाइंस के व्यवधान और उड़ानों में रद्दीकरण से यात्रियों का विश्वास प्रभावित हो सकता है। DGCA और प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच से यह स्पष्ट होगा कि एयरलाइन ने नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि एयरलाइन इंडस्ट्री में यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर नियामक संस्थानों की भूमिका कितनी प्रभावी है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियामक संस्थानों की जांच और कार्यवाई के बाद एयरलाइंस को नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा और यात्रियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी।