संवाददाता , योगेश यादव
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी मंच की मोहताज नहीं होती। जयपुर में आयोजित 48वीं यूपी स्टेट शॉटगन शूटिंग चैंपियनशिप 2025 में गंजेहड़ी गांव के युवा और प्रतिभावान निशानेबाज़ कलीम उल्लाह खान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ट्रैप शूटिंग प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त कर सिल्वर मेडल अपने नाम किया।
यह उपलब्धि न सिर्फ जिले के लिए गर्व की बात है, बल्कि राज्य स्तर पर सुल्तानपुर की खेल प्रतिभा की पहचान को और मजबूत करने वाला क्षण है।
कलीम उल्लाह खान: मेहनत, प्रतिबद्धता और प्रतिभा का प्रतीक
News Time Nation Sultanpur के संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, कलीम उल्लाह खान एक प्रशिक्षित और रिनाउन्ड शूटर हैं जो पहले भी डबल ट्रैप शूटिंग में कई उपलब्धियाँ हासिल कर चुके हैं।
उनकी तकनीक, एकाग्रता और फोकस ने उन्हें यूपी स्टेट ट्रैप शूटिंग चैंपियनशिप 2025 में प्रतिस्पर्धियों के बीच अलग पहचान दिलाई।
क्या है ट्रैप शूटिंग?
ट्रैप शूटिंग एक प्रकार की शॉटगन शूटिंग प्रतियोगिता है जिसमें खिलाड़ी को तेज़ गति से निकलती क्ले टारगेट्स (उड़न डिस्क) को सटीक निशाने से शूट करना होता है। यह खेल अत्यधिक एकाग्रता और प्रशिक्षण की मांग करता है, और कलीम उल्लाह ने इसे बखूबी निभाया।
मेडल जीतने के बाद गांव में भव्य स्वागत
जब यह खबर गांव पहुंची कि गंजेहड़ी के कलीम ने ट्रैप शूटिंग में सिल्वर मेडल जीत लिया है, तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा। जैसे ही वह गांव लौटे, स्थानीय लोगों ने उनका फूल-मालाओं से स्वागत किया।
स्वागत समारोह में बड़ी संख्या में ग्रामीण और समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।
उपस्थित विशिष्टजन
- परवेज़ करीम – स्थानीय समाजसेवी
- मेराज खान सेनानी (बिहार) – विशिष्ट अतिथि
- ग्राम प्रधान मोहम्मद हसीब
- डॉ. जिगर, डॉ. डी.एम. मिश्र
- जावेद खान, रिजवान अहमद, शबीह अहमद
- इमरान, पुष्कर और अन्य समाजसेवी
सुल्तानपुर की मिट्टी से निकले चैंपियन
News Time Nation Sultanpur अपने क्षेत्र की ऐसी प्रतिभाओं को हमेशा प्रमुखता देता रहा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद असाधारण उपलब्धियाँ हासिल करते हैं।
कलीम उल्लाह खान उसी श्रेणी के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने गांव से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है।
उनकी सफलता यह बताती है कि यदि उचित मार्गदर्शन और संसाधन मिलें, तो सुल्तानपुर के बच्चे भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छा सकते हैं।
शूटिंग करियर की झलक: कलीम की यात्रा
शुरुआती संघर्ष
कलीम उल्लाह खान का सफर आसान नहीं था। सीमित संसाधनों में उन्होंने अपने शौक को जुनून में बदला, और तमाम कठिनाइयों के बावजूद कभी हार नहीं मानी। उनके पहले कोच सरताज अहमद ने बताया कि कलीम की एकाग्रता और अभ्यास करने का जुनून उन्हें सबसे अलग बनाता है।
डबल ट्रैप में उत्कृष्टता
कलीम सिर्फ ट्रैप शूटिंग ही नहीं, बल्कि डबल ट्रैप शूटिंग में भी कई प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में नियमित प्रतिभागी रहे हैं और उनके निशाने की सटीकता प्रशंसनीय रही है।
खेल मंत्रालय और प्रशासन से अपेक्षाएँ
हालांकि कलीम की सफलता प्रेरणादायक है, लेकिन इससे यह भी उजागर होता है कि सुल्तानपुर जैसे जिलों में शूटिंग जैसे खेलों के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है।
News Time Nation Sultanpur के माध्यम से आम जन और प्रशासन से यह अपील की जाती है कि:
- जिले में शूटिंग रेंज की स्थापना की जाए
- खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता मिले
- प्रशिक्षण केंद्रों और कोचिंग सुविधाओं का विस्तार किया जाए
- ग्रामीण स्तर पर टैलेंट हंट प्रोग्राम्स चलाए जाएं
सामाजिक प्रभाव और युवाओं के लिए प्रेरणा
कलीम उल्लाह खान की उपलब्धि सिर्फ एक पदक जीतने की कहानी नहीं है। यह कहानी है गांव के युवाओं को प्रेरित करने वाली शक्ति की।
आज सुल्तानपुर का हर युवा जो किसी खेल में करियर बनाना चाहता है, वह कलीम को रोल मॉडल की तरह देख सकता है।
सोशल मीडिया पर छाया जश्न
उनकी जीत की खबर फैलते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बधाईयों की बाढ़ आ गई।
#KalimmUllahKhan, #SultanpurPride, और #TrapShootingSilver जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
News Time Nation Sultanpur ने इस मौके पर एक विशेष डिजिटल कवर स्टोरी भी प्रकाशित की, जिसे जिलेभर में सराहा गया।
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कलीम का संदेश: “मेहनत से बढ़कर कोई हथियार नहीं”
अपने स्वागत समारोह में कलीम ने कहा:
“मैं यह पदक अपने गांव, अपने परिवार और उन युवाओं को समर्पित करता हूं जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखना नहीं छोड़ते। मेहनत सबसे बड़ा हथियार है, बस भरोसा रखिए।”
News Time Nation Sultanpur की विशेष टिप्पणी
News Time Nation Sultanpur का हमेशा प्रयास रहा है कि वह स्थानीय प्रतिभाओं को मंच प्रदान करे, जो अक्सर राष्ट्रीय मीडिया में स्थान नहीं पाते।
कलीम उल्लाह खान की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सुल्तानपुर जैसे जिले में खेल प्रतिभा की कोई कमी नहीं, जरूरत है तो पहचान और प्रोत्साहन की।
निष्कर्ष: कलीम का पदक – सुल्तानपुर के लिए प्रेरणा
कलीम उल्लाह खान का यह सिल्वर मेडल न सिर्फ उनके व्यक्तिगत करियर के लिए मील का पत्थर है, बल्कि पूरे सुल्तानपुर के लिए गौरव का क्षण है।
अब जरूरत है कि उनके जैसे खिलाड़ियों को लगातार सपोर्ट किया जाए, ताकि वे देश का नाम भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर रौशन कर सकें।