पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर पिछले नौ महीनों से जारी तनाव को कम करने की दिशा में भारत और चीन के बीच एक अहम समझौता हुआ है। भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया और बुधवार की सुबह ही दोनों देशों के सैनिक पीछे हटना शुरू कर दिए। इतना ही नहीं, पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से तोपें भी पीछे हट रही हैं। जिस रफ्तार से चीन पैंगोंग त्सो झील के किनारों से तोपों को हटा रहा है, वह वाकई चौंकाने वाला है।
दरअसल, गुरुवार तक चीनी सेना यानी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट से 200 से अधिक प्रमुख युद्धक टैंकों को वापस कर लिया था और लद्दाख के फिंगर 8 के उत्तरी तट से अपने सैनिकों को वापस ले जाने के लिए 100 भारी वाहन तैनात किए थे। चीनी सेनाओं और टैंकों की वापसी की गति वास्तव में भारतीय सेना से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को आश्चर्यचकित किया है।
नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि भारत और चीन के बीच समझौते के बाद बुधवार को सुबह 9 बजे पैंगोंग त्सो पर डिसइंगेजमेंट शुरू हो गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर, अजीत डोवाल सहित शीर्ष मंत्रियों और अधिकारियों द्वारा बीजिंग के समकक्षों के बीच कई दौर की बैक-चैनल वार्ताओं के बाद भारत और चीन के बीच यह समझौता हुआ। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति पर कायम रहा।
मोदी सरकार में एक सीनियर सदस्य ने कहा, ‘बुधवार से चीनी सेनाओं और टैंकों की वापसी की गति भी उनकी तैनाती की क्षमता को दर्शाती है। यह एक सैन्य कला है। भारतीय पक्ष ने भी अपनी सेना को पीछे किया है, मगर सबसे खराब स्थिति के लिए भी आकस्मिक योजनाएं तैयार हैं।’ अधिकारियों के अनुसार, चीनी सेना ( PLA) और भारतीय सेना दोनों शनिवार तक अपने सैनिकों को पीछे कर लेंगे और सहमत पोजिशन से भी हट जाएंगे। उन्होंने कहा कि समझौता हुआ है कि डिसइंगेजमेंट तीन दिनों में पूरा हो जाएगा।