लखीमपुर खीरी संवाददाता :- हर्ष गुप्ता
लखीमपुर खीरी के लालपुर स्टेडियम में आयोजित ब्लॉक स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान बच्चों को परोसा गया खराब गुणवत्ता वाला भोजन अब विवाद का कारण बन गया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कच्चे और दानेदार चावल के साथ फीकी सब्ज़ी दिखाई देने पर अभिभावक भड़क उठे हैं और जिम्मेदारों पर सख्त कार्यवाई की मांग तेज हो गई है।
लखीमपुर खीरी के लालपुर स्टेडियम में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित ब्लॉक स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन बच्चों के उत्साह और खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन इस कार्यक्रम में बच्चों को परोसे गए खराब भोजन ने न केवल आयोजन की व्यवस्थाओं, बल्कि विभाग की संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में स्पष्ट दिखाई देता है कि बच्चों को जो चावल दिया गया वह आधा पका हुआ, मोटा और दानेदार था। कई बच्चों ने बताया कि चावल बिल्कुल भी खाने योग्य नहीं थे और सब्जी में सिर्फ पानी जैसा पतला घोल था, जिसमें मसाले या सब्जी की मात्रा नगण्य थी। भोजन का स्वाद लगभग न के बराबर था, जिससे बच्चों ने इसे खाने से मना कर दिया।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, बढ़ी नाराजगी
कार्यक्रम के तुरंत बाद ही बच्चों और अभिभावकों के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए, जिसमें प्लेटों में अधपके चावल और बेस्वाद सब्ज़ी साफ दिख रही थी। वीडियो तेजी से वायरल हो गया और देखते ही देखते यह स्थानीय स्तर से लेकर जिले भर में चर्चा का विषय बन गया। कई अभिभावकों ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। उनका कहना था कि खेलकूद आयोजन बच्चों के लिए प्रेरणा और उत्साह का माध्यम होता है, लेकिन खराब भोजन व्यवस्था ने पूरे कार्यक्रम को शर्मनाक बना दिया।
घटनास्थल पर मौजूद बच्चों ने शिकायत की कि जब उन्होंने भोजन चखा तो वह बिल्कुल कच्चा था। मजबूरी में कई बच्चों को खाना फेंकना पड़ा और कुछ तो बिना खाए ही घर लौट गए। छोटे बच्चों के लिए यह स्थिति बेहद परेशान करने वाली थी, क्योंकि उन्होंने दिन भर खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था और उन्हें पौष्टिक भोजन की आवश्यकता थी।अभिभावकों ने कहा कि बच्चों को इतनी मेहनत के बाद खाने में ऐसा खराब भोजन परोसना सीधी लापरवाही है। शिक्षा विभाग को इस मामले में तुरंत कड़ा एक्शन लेना चाहिए।

आयोजन समिति पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय लोगों और अभिभावकों का कहना है कि भोजन व्यवस्था की जिम्मेदारी आयोजन समिति की थी, जिसे बच्चों के भोजन की गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए था। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं किया गया।
अभिभावकों के अनुसार, यदि भोजन बनाने की प्रक्रिया की समय पर जांच की जाती या भोजन परोसने से पहले उसकी गुणवत्ता चेक की जाती, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती। इससे स्पष्ट होता है कि कार्यक्रम की मॉनिटरिंग बेहद कमजोर थी।
प्रशासन से जांच और कार्रवाई की मांग
इस मामले ने अभिभावकों और जनता के बीच रोष पैदा कर दिया है। सभी की मांग है कि इस घटना की जांच की जाए और जिन लोगों की लापरवाही के कारण बच्चों को खराब भोजन दिया गया, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस मामले पर कार्रवाई के लिए ज्ञापन दिए जाने की तैयारी है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना को बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए इसे गंभीर मुद्दा बताया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, अधपके चावल और कम मसाले वाली मीठी या गंधयुक्त सब्ज़ी बच्चों के पेट के लिए हानिकारक हो सकती है। इससे फूड पॉइजनिंग, पेट दर्द और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए आयोजित कार्यक्रमों में भोजन की गुणवत्ता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में स्पष्ट रूप से लापरवाही बरती गई है।

स्थानीय प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेकर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि वीडियो की सत्यता, भोजन बनाने वाली टीम, आपूर्तिकर्ता और निरीक्षण से जुड़े कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जाएगी। अधिकारी यह भी देखेंगे कि भोजन की तैयारी और वितरण के दौरान क्या स्कूल या आयोजन समिति की ओर से किसी प्रकार की गुणवत्ता जांच की गई थी या नहीं। लोगों का कहना है कि सरकार और विभाग बच्चों में खेल और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। लेकिन यदि जमीन पर कार्यक्रमों की गुणवत्ता ऐसी रहेगी तो इसका सीधा नुकसान बच्चों को ही होगा।माता-पिता ने कहा कि जो लोग ऐसे आयोजनों में बच्चों की बुनियादी जरूरतों तक को ठीक से नहीं संभाल सकते, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो।
लखीमपुर खीरी के लालपुर स्टेडियम की यह घटना सिर्फ एक भोजन व्यवस्था की गलती नहीं, बल्कि बच्चों के प्रति संवेदनहीनता का उदाहरण है। यह मामला शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।