| संवाददाता, मो. तौफ़ीक़ |
स्वास्थ्य सुविधाओं के सशक्तिकरण और ग्रामीण क्षेत्र की जनता को बेहतर चिकित्सा सेवा देने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर योजनाएं चला रही हैं। इन्हीं योजनाओं के अंतर्गत आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीण मरीजों, विशेषकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को गांव के स्तर पर ही इलाज, टीकाकरण और स्वास्थ्य परामर्श जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। लेकिन उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
उतेलवा गाँव का मामला – एक वर्ष पहले बना भवन, आज बना मुसीबत
अमेठी जिले के जगदीशपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले उतेलवा गाँव में एक वर्ष पूर्व लाखों रुपये की लागत से एक आयुष्मान आरोग्य मंदिर भवन का निर्माण किया गया। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब उन्हें इलाज के लिए दूर दराज नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन यह सपना चकनाचूर हो गया।
News Time Nation Amethi की जमीनी पड़ताल में सामने आया कि इस भवन का निर्माण बेहद घटिया क्वालिटी से किया गया। हल्की सी बारिश में ही भवन के भीतर पानी भर जाता है, छत से पानी टपकता है, और दीवारों से मोरंग गिरती है। ऐसे में यहां बैठकर कोई भी स्वास्थ्यकर्मी काम नहीं कर सकता। यही कारण है कि इस केंद्र की प्रभारी और अन्य स्टाफ पंचायत भवन के एक कमरे में बैठकर कार्य निपटा रहे हैं।
हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।
भवन निर्माण में भारी कमीशनखोरी की आशंका
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि भवन निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। कमीशनखोरी के चलते घटिया सामग्री का उपयोग हुआ, जिससे एक साल के अंदर ही भवन जर्जर होने लगा।
News Time Nation Amethi को मिली जानकारी के अनुसार, निर्माण कार्य की निगरानी के लिए जिम्मेदार अधिकारी या तो लापरवाह थे या मिलीभगत में शामिल। एक तरफ स्वास्थ्य विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा है कि ग्रामीणों को बेहतर सेवाएं मिल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ ये भवन खुद बीमारी की जड़ बन चुका है।
कर्मचारियों की जान को जोखिम
बारिश के समय जब छत से पानी टपकता है और भवन में जलभराव होता है, तो कर्मचारियों को वहां बैठना खतरे से खाली नहीं होता। बिजली के उपकरणों के चलते शॉर्ट सर्किट का खतरा बना रहता है। ऐसे में स्टाफ ने फैसला लिया कि वे अब उक्त भवन में कार्य नहीं करेंगे।
इस वजह से अब उतेलवा के पंचायत भवन में बैठकर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं, जिससे न केवल लोगों को असुविधा हो रही है बल्कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी सामने आ रहा है।
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। …
गर्भवती महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक प्रभावित
उतेलवा और आसपास के ग्रामीणों के अनुसार, आरोग्य केंद्र की सबसे बड़ी ज़रूरत गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु, और बुजुर्ग मरीज हैं। बारिश के समय इन लोगों को गंदगी और कीचड़ में आना पड़ता है, जबकि सरकारी दावा है कि ऐसी सुविधाएं ग्रामीणों के द्वार पर होनी चाहिए।
News Time Nation Amethi से बात करते हुए गाँव की एक महिला आशा कार्यकर्ता ने बताया:
“हम लोग गर्भवती महिलाओं की जाँच कराने के लिए जब भवन ले जाते थे, तो छत से पानी टपकता था, मरीज फिसल जाते थे, अब तो मजबूरी में पंचायत घर में काम कर रहे हैं।”
शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाई नहीं
सबसे हैरानी की बात यह है कि इस भ्रष्टाचार की शिकायतें संबंधित विभागों में की जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाई नहीं हुई है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई बार CM हेल्पलाइन और DM कार्यालय में शिकायतें की गईं, लेकिन अब तक सिर्फ जाँच के आश्वासन ही मिले हैं। यह लापरवाही प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
इस गंभीर मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी चुप हैं। न तो किसी विधायक ने इसकी सुध ली, न ही कोई ज़िला स्तरीय अधिकारी ने दौरा किया। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में यह भवन किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
क्या कहती है सरकारी गाइडलाइन?
सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक आयुष्मान आरोग्य मंदिर में शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय, उचित वेंटिलेशन और बारिश से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम होने चाहिए। लेकिन उतेलवा आरोग्य मंदिर में यह सब कागज़ों तक सीमित है।
News Time Nation Amethi की मांग: जिम्मेदारों पर हो कार्यवाई
हमारी टीम की स्पष्ट मांग है कि:
- भवन निर्माण की जांच कराई जाए।
- भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
- आरोग्य मंदिर की मरम्मत या पुनर्निर्माण तत्काल किया जाए।
- स्वास्थ्य सेवाओं को व्यवस्थित रूप से गांव में लागू किया जाए।
स्थानीय लोगों की अपील: सीएम योगी लें संज्ञान
ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वे इस मुद्दे को संज्ञान में लें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई सुनिश्चित करें ताकि आने वाले समय में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।
निष्कर्ष: योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन ज़मीन पर लापरवाही भारी
सरकार की नीयत और योजना पर सवाल नहीं उठता। योजनाएं जनहित में हैं, लेकिन जब उनके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार जुड़ जाता है, तो सारी मेहनत जमीनी हकीकत के सामने ध्वस्त हो जाती है।