
| संवाददाता, मो.आज़म |
अयोध्या की पावन नगरी एक बार फिर धर्म और संस्कृति की दिव्य चेतना से गूंज उठी, जब जानकी घाट स्थित तपस्वी छावनी के प्रांगण में देव सनातन धर्म संसद का भव्य आयोजन हुआ। इस धर्म संसद का नेतृत्व तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंसाचार्य जी महाराज ने किया।
इस आयोजन में अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयागराज और देश के विभिन्न भागों से आए संत, महंत, धर्माचार्य, विचारक और हिंदूवादी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। धर्म संसद में देश और धर्म से जुड़े 10 सूत्रीय प्रस्तावों पर गंभीर मंथन और चर्चा की गई।
🕉️ धर्म संसद का मुख्य उद्देश्य: सनातन संस्कृति और राष्ट्र चेतना को सशक्त करना
इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान या प्रवचन भर नहीं था, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चेतना के नवोदय का प्रयास था। चर्चा के केंद्र में भारतीय संस्कृति, गौ रक्षा, धर्मग्रंथों की महत्ता और हिंदू राष्ट्र की अवधारणा रही।
News Time Nation Ayodhya की रिपोर्ट के अनुसार, धर्म संसद में जो 10 मुख्य सूत्र उठाए गए, वे देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दिशा को प्रभावित करने वाले हैं।
🔟 धर्म संसद के प्रमुख 10 प्रस्ताव
- भारत को संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।
- गौवंश को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिया जाए।
- गोमांस भक्षण पर संवैधानिक प्रतिबंध लागू किया जाए।
- रामायण और भगवद् गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए।
- गंगा को पूर्णतः अविरल और निर्मल बनाया जाए।
- लव जिहाद और धर्मांतरण के विरुद्ध सख्त कानून बने।
- शिक्षा व्यवस्था में वैदिक व सनातन शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।
- मंदिरों का सरकारी नियंत्रण समाप्त हो।
- सभी मठ-मंदिरों की सुरक्षा हेतु विशेष बल का गठन हो।
- धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण और अशुद्ध गतिविधियों पर रोक लगे।
इन प्रस्तावों पर घंटों तक मंथन हुआ और सर्वसम्मति से इनपर केंद्र व राज्य सरकारों से कार्यवाई की मांग की गई।
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🙏 जगतगुरु परमहंसाचार्य का आह्वान: “धर्म संसद का प्रस्ताव केवल मांग नहीं, संकल्प है”
तपस्वी छावनी के महंत जगतगुरु परमहंसाचार्य जी ने कहा कि यह संसद केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि सनातन धर्म की पुकार है। उन्होंने कहा:
“भारत की आत्मा सनातन धर्म है। जब तक गौ माता की रक्षा नहीं होगी, जब तक गंगा मैया को सम्मान नहीं मिलेगा, और जब तक रामायण और गीता को राष्ट्र की पहचान नहीं बनाया जाएगा, तब तक भारत अधूरा रहेगा।”
👥 प्रमुख अतिथि: बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे उर्फ जगद्गुरु गोविंदाचार्य
धर्म संसद में विशेष रूप से उपस्थित रहे बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, जो अब आध्यात्मिक पथ पर हैं और वर्तमान में जगद्गुरु गोविंदाचार्य के रूप में पहचाने जाते हैं।
उन्होंने कहा:
“जब तक हिंदू समाज एकजुट नहीं होगा, तब तक कोई परिवर्तन संभव नहीं है। गौ हत्या, धर्मांतरण और हिंदू विरोधी ताकतों को रोकने के लिए अब जागरूकता ही नहीं, सक्रियता की जरूरत है।”
उनका यह वक्तव्य सभा में उपस्थित जनसमुदाय में जागरूकता और जागृति का भाव पैदा कर गया।
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🔱 हिंदूवादी संगठनों की व्यापक भागीदारी
धर्म संसद में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, सनातन सेवा समिति, अखिल भारतीय संत समिति, और अन्य दर्जनों संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने एकमत होकर कहा कि यह समय केवल चिंतन का नहीं, क्रियाशील होने का समय है।
News Time Nation Ayodhya के संवाददाता ने बातचीत में कई संगठन प्रमुखों से जाना कि वे जल्द ही इन प्रस्तावों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपेंगे, और मांगों को जन आंदोलन का रूप देंगे।
🛕 अयोध्या की भूमिका: केवल राम की नगरी नहीं, सनातन की धुरी
धर्म संसद के आयोजकों ने स्पष्ट कहा कि अयोध्या केवल धार्मिक नगरी नहीं, बल्कि सनातन धर्म की धुरी है। यहां से निकली आवाज पूरे देश को आंदोलित करती है। यही कारण है कि इस आयोजन को ‘अयोध्या धर्म संकल्प’ का नाम भी दिया गया।
जगतगुरु परमहंसाचार्य ने कहा:
“राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के बाद अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम भारत को धर्मराज्य के रूप में पुनः स्थापित करें।”
📜 रामायण और गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग
धर्म संसद में यह भी मांग की गई कि जिस प्रकार से दुनिया के अन्य देशों में उनके धार्मिक ग्रंथों को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकारा गया है, उसी तरह भारत में भी:
- रामायण और
- भगवद् गीता
को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए।
वक्ताओं ने कहा कि इन ग्रंथों में केवल धर्म नहीं, जीवन प्रबंधन, नैतिकता और राष्ट्र निर्माण की पूरी दृष्टि निहित है।
🐄 गौवंश की रक्षा और संवैधानिक अधिकारों पर चर्चा
धर्म संसद में यह गंभीर चर्चा हुई कि जब तक गोमांस खाने वालों को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, तब तक गौ रक्षा केवल नारेबाज़ी बनी रहेगी। इसीलिए मांग उठाई गई कि:
- गोमांस भक्षण पर प्रतिबंध लगाया जाए,
- और गौवंश को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।
📣 News Time Nation Ayodhya की विश्लेषणात्मक टिप्पणी
News Time Nation Ayodhya मानता है कि यह धर्म संसद केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में संतों का सीधा हस्तक्षेप है। जिस प्रकार से समाज की धारा धर्म के मूल्यों से भटकती जा रही है, ऐसे में यह प्रयास एक आध्यात्मिक पुनर्जागरण की चिंगारी है।
यह जरूरी है कि संत समाज द्वारा रखे गए बिंदुओं को केवल आस्था का मामला न मानकर, नीतिगत और राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाया जाए।
📍 निष्कर्ष: अयोध्या से उठी आवाज पूरे भारत की पुकार
धर्म संसद का समापन संतों के आशीर्वाद, आहुति और संकल्प के साथ हुआ। अंत में यह स्पष्ट किया गया कि यदि सरकार इन प्रस्तावों पर कार्यवाई नहीं करती है, तो देशव्यापी जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
News Time Nation Ayodhya इस ऐतिहासिक धर्म संसद की रिपोर्टिंग के साथ यह संदेश देता है कि भारत की आत्मा को समझना है तो अयोध्या के इन स्वरूपों को गंभीरता से सुनना होगा।