| संवाददाता, मो.आज़म |
अयोध्या, उत्तर प्रदेश – एक ओर जहां सरकारें महिला सुरक्षा और न्याय की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आती है। News Time Nation Ayodhya की यह विशेष रिपोर्ट बीकापुर थाना क्षेत्र में घटित एक हृदयविदारक घटना को उजागर करती है, जहाँ एक बुजुर्ग महिला विद्यावती सिंह के साथ पुलिस द्वारा की गई बर्बरता ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बुजुर्ग महिला के साथ पुलिस की बर्बरता
अयोध्या के बीकापुर थाना क्षेत्र में रहने वाली विद्यावती सिंह, जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है, ने पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता का कहना है कि पुलिस ने जबरन उनके घर में घुसकर तोड़फोड़ की, और उन्हें चारपाई से घसीटकर नीचे फेंक दिया।
पीड़िता की किन्नर बेटी अंजलि सिंह का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बिना किसी कानूनी आदेश या वारंट के घर में घुसकर यह हरकत की। उनका कहना है कि यह सब सुशील सिंह नामक पड़ोसी की शह पर हुआ, जिससे उनका भूमि विवाद चल रहा है।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
News Time Nation Ayodhya की टीम ने जब स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि कुछ दिनों पहले पुलिस की एक टीम विद्यावती सिंह के घर पहुंची थी और वहाँ तोड़फोड़ व दुर्व्यवहार किया गया।
अंजलि सिंह ने बताया:
“हमने कई बार पुलिस में शिकायत की, लेकिन हमारी शिकायत नहीं सुनी गई। उल्टा हमारे ही परिवार के लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए गए।”
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क्या है पूरा मामला?
यह विवाद एक भूमि विवाद से जुड़ा है, जिसमें पड़ोसी सुशील सिंह का नाम सामने आ रहा है।
- सुशील सिंह का आरोप है कि अंजलि सिंह और उनके परिवार ने ज़मीन पर अवैध कब्जा कर रखा है।
- दूसरी ओर अंजलि का कहना है कि यह ज़मीन उनके पूर्वजों की है और उनके पास सभी कागजात हैं।
- मामला जब पुलिस तक पहुंचा, तो कथित रूप से सुशील सिंह की मिलीभगत से पुलिस ने अंजलि के परिवार को ही आरोपी बना दिया।
न्यायालय की शरण में पीड़िता
News Time Nation Ayodhya को मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत के आदेश दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस लगातार उत्पीड़न कर रही है।
अंजलि सिंह का आरोप है:
“हमने कोर्ट से राहत ली, इसके बावजूद पुलिस हमारे घर बार-बार आकर धमकी देती है। मेरी मां डर के मारे रात को सो नहीं पा रहीं।”
न्याय की तलाश में दर-दर की ठोकरें
पीड़िता और उनकी बेटी ने अब राज्य और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस महानिदेशक, मुख्य न्यायाधीश, और यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।
उन्होंने अपने पत्र में साफ तौर पर लिखा है:
“अगर हमें कुछ हुआ, तो इसकी जिम्मेदार बीकापुर पुलिस और सुशील सिंह होंगे।”
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News Time Nation Ayodhya की ग्राउंड रिपोर्ट
News Time Nation Ayodhya की टीम जब बीकापुर पहुंची, तो वहां की स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी।
पड़ोसियों की प्रतिक्रिया:
- कमला देवी, पड़ोस में रहने वाली महिला: “हमने अपनी आंखों से देखा कि पुलिस कैसे घर में घुसकर बवाल कर रही थी। इतनी बूढ़ी औरत के साथ ऐसा सुलूक? बहुत शर्मनाक है।”
- राजेश तिवारी, स्थानीय दुकानदार: “ये मामला बहुत पुराना है, लेकिन अब पुलिस एक पक्ष का साथ देती दिख रही है।”
क्या कहता है कानून?
भारत में किसी भी नागरिक के साथ पुलिस द्वारा शारीरिक हिंसा, अवैध प्रवेश, या बिना वारंट घर में घुसना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 166A के अनुसार, कोई भी सरकारी अधिकारी यदि कानून का उल्लंघन करता है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत पीड़िता की शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा संज्ञान में ली जा सकती है।
News Time Nation Ayodhya का विश्लेषण
यह घटना न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जब न्याय प्रणाली तक आम लोगों की पहुंच बाधित होती है, तो वे खुद को असहाय महसूस करने लगते हैं।
विशेष रूप से किन्नर समुदाय से आने वाली अंजलि सिंह को इस मामले में सामाजिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों से मांग
विद्यावती सिंह और उनके परिवार ने निम्नलिखित मांगें की हैं:
- बीकापुर पुलिस की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
- दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्यवाही की जाए।
- पीड़िता को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
- भूमि विवाद के मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
घटना के सामने आने के बाद कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने News Time Nation Ayodhya के माध्यम से इस घटना की निंदा की है।
- “समानता फाउंडेशन” के अध्यक्ष ने कहा: “यह न केवल मानवाधिकार का उल्लंघन है, बल्कि महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति भेदभाव का भी प्रतीक है।”
- स्थानीय पार्षद विनय तिवारी: “हम इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे। पीड़िता को न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है।”
जनभावना और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर #JusticeForVidyavati और #AyodhyaPoliceBrutality जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग पुलिस की इस कार्यशैली पर नाराजगी जता रहे हैं।
News Time Nation Ayodhya के फेसबुक पेज पर हजारों लोगों ने कमेंट कर पीड़िता के साथ एकजुटता दिखाई है।
निष्कर्ष: क्या यही है रामनगरी अयोध्या की तस्वीर?
News Time Nation Ayodhya का यह विशेष कवरेज एक बड़े सवाल को जन्म देता है – जब भगवान राम की नगरी अयोध्या में ही न्याय के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़े, तो आम लोगों का सिस्टम पर विश्वास कैसे कायम रहेगा?
यह समय है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले और बुजुर्ग महिला व उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।