
| संवाददाता, अली जावेद |
जालौन जनपद के कोंच तहसील के टोपोर गांव के हालात वाक़ई कष्टदायक हैं। पूरे गाँव की सड़कें दलदल में तब्दील हो चुकी हैं, श्मशान घाट तक जाने वाला मार्ग विशेष रूप से बदहाल है, जिससे अंतिम यात्रा जैसी संवेदनशील परिस्थिति भी पानी में घुसकर ही निभाई जा रही है।
News Time Nation Jalaun इस रिपोर्ट में जानेंगे कि आखिर स्थिति इतनी क्यों बिगड़ी, प्रशासन ने क्या प्रतिक्रिया दी, और आगे क्या उम्मीद की जा सकती है।
दलदल बनी सड़कें और परिजनों की पीड़ा
पिछले दिनों गांव में एक बुज़ुर्ग की मृत्यु हुई और अंतिम यात्रा ले जाने में ग्रामीणों को भारी कठिनाई हुई। जनश्रुति के अनुसार:
- सामान्य मार्ग दलदल में बदल गए, जिससे शव वाहन भी आगे बढ़ने में असमर्थ।
- कीचड़ और पानी से भरे रास्तों में पैदल चल कर जाना पड़ा, जिससे सभी भावुक और संकटग्रस्त हो उठे।
- श्मशान घाट भी जलमग्न हो गया, वहां भी दाह-संस्कार के दौरान पानी में खड़े रहकर अंतिम क्रिया पूर्ण करनी पड़ी।
ग्रामीणों ने कई बार प्रधान और अधिकारियों को स्थिति की सुधार की बात की, लेकिन अब तक कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं आया।
प्रशासन का संज्ञान — SDM ज्योति सिंह का बयान
यह मामले News Time Nation Jalaun के लिए जब हमने SDM ज्योति सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि:
“यह मामला संज्ञान में आया है। गांव के प्रधान को निर्देश दिए जाएंगे कि श्मशान घाट का जीर्णोद्धार व रास्तों की मरम्मत जल्द से जल्द कराई जाए, ताकि ग्रामीणों को इस तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।”
यद्यपि यह एक सकारात्मक पहल है, लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर कोई कार्यवाही नजर नहीं आई है।
हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। ….
जालौन में सड़कें — व्यापक समस्या का हिस्सा
यह मामला केवल टोपोर गांव तक सीमित नहीं है। पूरे जालौन जिले में:
- उरई–राठ मार्ग समेत कई रास्तों पर गहरे गड्ढे और जलभराव हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है Dainik Bhaskar।
- छौलापुर मार्ग पर जैसे स्कूल जाने वाले छात्र भी कीचड़ से जूझते हैं, जिन्हें धोते हुए स्कूल पहुंचना मुश्किल हो गया है Live Hindustan।
- छोटे गांवों की छात्राओं ने भी एसडीएम से सड़क निर्माण की मांग की है, जिसका समय पर निवारण नहीं हो पाया Amar Ujala।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि टोपोर गांव की समस्या कोई एकल मुद्दा नहीं, बल्कि स completion of infrastructural neglect की चौंकाने वाली तस्वीर पेश कर रही है।
ग्रामीणों का दर्द — स्वयं कैमिया गवाह
स्थानिक ग्रामीण इस स्थिति को लेकर बेहद आशंकित और निराश हैं:
“हमारी अंतिम यात्रा में दाह संस्कार के लिए पानी में खड़े रहना पड़ा; सोचिए कितनी दर्दनाक स्थिति होगी जब अपनी मृत्यु के बाद भी इंसान शांति से विदा नहीं हो सकता।”
यह बयान केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि basic civic infrastructure तक पहुँच न होना कितना गंभीर मानवाधिकार का सवाल है।
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। …
प्रशासनिक जवाबदेही — अब क्या रास्ता निकलेगा?
SDM के माध्यम से दिए गए निर्देश स्वागतयोग्य हैं, लेकिन ज़्यादा ज़रूरी है—मौके पर त्वरित कार्यवाई, तकनीकी सहायता, और पुनरावृत्ति रोकने की रणनीति:
- रास्तों की मरम्मत के लिए तुरंत टेंडर और कार्ययोजना बनाई जाए।
- स्थानीय पंचायत और ग्राम प्रधान को जिम्मेदारी देते हुए कार्यरूप की निगरानी सुनिश्चित हो।
- स्थानीय फंडिंग विकल्प (पंचायत बजट, पीएम ग्राम सड़क योजना आदि) की समीक्षा की जाए।
- वर्षा प्रबंधन व्यवस्था — जल निकासी और समतलीकरण जैसे तकनीकी उपाय अपनाए जाएं।
News Time Nation Jalaun का विश्लेषण
यह अदाकारी नहीं, बल्कि जीवन और मर्यादा की लड़ाई है। अंतिम संस्कार तक एक परेशानिपूर्ण यात्रा बन जाए—यह असहनीय है।
News Time Nation Jalaun मानता है कि अगर प्रशासन जनभावना को समझकर सक्रिय नहीं हुआ, तो केवल ग्रामीणों की ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की संवेदनशीलता खतरे में है।
निष्कर्ष
News Time Nation Jalaun इस रिपोर्ट के माध्यम से यह स्पष्ट करता है:
- टोपोर गांव का यह मामला सड़कों में कमी नहीं, बल्कि प्राथमिक मानव गरिमा की लड़ाई है।
- प्रशासनिक आदेश अच्छे हैं, लेकिन सच में बदलाव तभी आएगा जब कार्यदिवशता और निगरानी हो।
- हमारा संदेश है: “हर सड़क, हर अंतिम यात्रा, हर गांव—इन मूलभूत सुविधाओं का हक है और इसे मिलना चाहिए।”