| संवाददाता, शाहबाज़ खां |
बरसात का आना अब कोई नई घटना नहीं, लेकिन नगर पालिका की भेंट पर जो बर्बादी हुई है, वह हैरान कर देने वाली है। रामपुर में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, नगर पालिका द्वारा नालों की सफाई का दावा व्यर्थ सिद्ध हुआ है। 20 लाख रुपये खर्च कर भी नालों की सफाई अधूरी रह गई, और शहर खुद ही जलमग्न हो गया। हालात इतने बुरे हैं कि सड़कें, सूखी राहें और नगर पालिका वाहन तक पानी में डूब गए।
नालों की सफाई जरूर की गई लेकिन… यह सिर्फ दिखावा था
अमर उजाला की स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, पालिका ने महज एक माह पहले से नालों–नालियों की सफाई शुरू कर दी थी, लेकिन भारी बारिश आते ही यह कारनामा कम पड़ गया। लगभग 20 लाख रुपये खर्च किए गए, फिर भी:
- नालियाँ उफान पर रहीं — पूरे कॉलोनियों में पानी जमा हुआ।
- जेसीबी से केवल कुछ हिस्सों की सफाई की, बाकियों की साफ-सफाई नहीं की गई।
- तोपखाना, लाल कवर, मछली बाजार, कलकत्ता, घेर सरबदाल, घेर सैफुद्दीन, जेल रोड, बरेली गेट, मिस्टनगंज, राजद्वारा, शाहबाद गेट सहित कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बनी रही।
खुले नाले अब खतरे का रूप ले रहे हैं
हिंदुस्तान की रिपोर्ट में बताया गया है कि रामपुर शहर में 84 बड़े-मझोले और छोटे नाले हैं, जिनमें से तीन प्रमुख नाले—मो़री गेट (गांधी समाधि नजदीक), अजीतपुर और बिलासपुर गेट—जो चीनी मिल से होते हुए निकलते हैं, पूरी तरह खुले रहे। इन नालों की सफाई और संरक्षक (capping) नहीं होने के कारण:
- सड़कों पर जलभराव हुआ।
- लापरवाही स्पष्ट हुई—भले ही 100 लेबरों और निजी संसाधन से सफाई की गई, पर मानसून में नालियाँ ब्लॉक हो गईं।
नगर पालिका ने आश्वासन दिया है कि स्लैब डालकर इन्हें ढकने की योजना बनाई जा रही है, और इसके लिए प्रस्ताव बोर्ड मीटिंग में जल्द पास कराया जाएगा।
सीवर लाइनों की ठोस समस्या – बीमारियों का खतरा बढ़ा
भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, कई मोहल्लों में सीवर लाइन चोक होने के कारण सड़कें बाढ़ में डूब गईं। इससे:
- गंदा पानी जमा होने की समस्या पैदा हुई।
- स्वास्थ्य संबंधी संभावित जोखिम दिखाई दे रहे हैं।
- नागरिकों ने जल निगम विभाग में शिकायतें सौंपकर सफाई और सुधार की मांग की है—
- मशीन से सीवर लाइन सफाई,
- खुले सीवर कनेक्शनों का नालियों से जोड़ना,
- बरसात से पूर्व संवेदनशील इलाकों की सफाई।
जल निगम ने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बारिश के बाद शहर ही बन गया तालाब
हिंदुस्तान की अन्य रिपोर्ट बताती है कि बार-बार की बारिश के बावजूद नगर पालिका का इंफ्रास्ट्रक्चर दबाव झेल नहीं पाया। नालों की नकसी पूरी नहीं होने की वजह से:
- शाहबाद रोड, ज्वालानगर, अजीतपुर, शाहबाद रोड समेत कई क्षेत्रों में जलभराव हुआ।
- लोगों को डिवाइडर काटना पड़ा, बाइकें फंस गईं, और हालत तर्ज पर ही बनी रही।
- पालिका ने साठ लाख रुपये खर्च किए, लेकिन नतीजा नाकाफी रहा।
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शहर की स्थिति vs नगर पालिका की तैयारी
समस्या | विवरण |
---|---|
नालों की सफाई | 20 लाख रुपये में सफाई, पर अधूरी तैयारी |
खुले नाले | तीन प्रमुख खुले नालों से निकासी नहीं |
सीवर लाइन चोक | गंदावर जल भराव, बीमारी का खतरा |
प्रशासनिक कार्रवाई | स्लैब इत्यादि प्रस्तावों में, अभी निर्णय अधर में |
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News Time Nation Rampur का विश्लेषण
यह सिर्फ बारिश नहीं बल्कि प्रशासन की अक्षम तैयारी की विफल सामूहिक कहानी है। नालों की सफाई महज दिखावा थी, नतीजा—शहर जलमग्न हुआ, नागरिकों को कड़ी परेशानी हुई और भ्रष्टाचार की हवा साफ हो गई।
- प्रशासन चालू खर्च पर जवाबदेही समझे।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ले।
- लंबी अवधि की जल निकासी योजना अपनाए, सिर्फ सफाई नहीं।
आगे क्या होना चाहिए?
- नालों की पूर्ण और गहरी सफाई, स्लैब और कवरिंग सहित।
- नियमित रखरखाव योजना—साफ नालियाँ, कार्यरत ड्रेनेज।
- सीवरेज सुधार—जहाँ मिस है, जोड़ने की व्यवस्था।
- आपदा प्रबंधन टीम तैयार, जलभराव की स्कैनिंग और समन्वय।
- लोकल मॉनिटरिंग और शिकायत पोर्टल ताकि नागरिक भी सक्रिय हों।
निष्कर्ष:
यह स्थिति सिर्फ बारिश की मार नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिचायक है। नागरिकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए अब समय है योजना बनाकर काम करने का। News Time Nation Rampur आपके साथ हर कदम पर रहेगा, जब तक रामपुर पूरी तरह से सुरक्षित और सुविधाजनक नहीं बन जाता।
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