| संवाददाता, शाहबाज़ खां |
रामपुर (सिविल लाइन, डालमिया हॉस्पिटल के समीप) में ऐसा दृश्य सामने आया, जो खुद कानून के मुखर प्रतिपादक—मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों की अवहेलना है। दिन-दहाड़े पेट्रोल पंप पर हेलमेट पहने बिना बाइक सवारों को पेट्रोल डाला जा रहा है, जैसे कि नियमों और कानूनों की कोई परवाह ही नहीं।
न्यूज़ टाइम नेशन के संवाददाता शाहबाज़ ख़ां ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस पेट्रोल पंप के कर्मचारी खुले आम और निर्भीक होकर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस कहीं नजर नहीं आ रहे हैं, और न ही पंप संचालकों को सीएम के आदेशों का कोई डर दिखाई दे रहा है।
सरकार का “नो हेलमेट, नो फ्यूल” अभियान: कानूनी आधार और उद्देश्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यभर में 1 से 30 सितंबर 2025 तक “नो हेलमेट, नो फ्यूल” विशेष सड़क सुरक्षा अभियान चलाने का आदेश दिया है ।
• इस बीच, जिम्मेदारी जिलाधिकारी, जिला सड़क सुरक्षा समिति (DRSC), पुलिस, परिवहन, राजस्व और खाद्य व रसद विभागों को सौंपी गई है ।
• अभियान का उद्देश्य दंडात्मक कार्रवाई न होकर, नागरिकों को सड़क सुरक्षा की आदत अपनाने के लिए प्रेरित करना है—स्लोगन: “हेलमेट पहले, ईंधन बाद में” ।
• इस पहल को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 129 (हेलमेट अनिवार्यता) और धारा 194D (उल्लंघन पर जुर्माना) का कानूनी आधार है ।
• सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति ने भी राज्य सरकारों को हेलमेट अनुपालन को कड़ाई से लागू करने की सलाह दी है ।
रामपुर vs प्रदेश: क्या हो रही है कार्रवाई?
- हालाँकि राज्यभर में अभियान लागू है, रामपुर में अनियमितता का आलम यह है कि पंप कर्मचारी बिना हेलमेट वाले ग्राहकों को पेट्रोल दे रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश सख्ती से पालन की बात कह रहे हैं।
- फिर भी, कुछ सकारात्मक पहल हुई है। जनवरी 2025 में राज्य के पूर्ति विभाग ने रामपुर में तीन पेट्रोल पंपों पर छापा मारा और नोटिस जारी किए गए हैं, हालांकि ये कार्रवाई मुख्यतः स्टॉक या मिलावट संबंधी थी, न कि हेलमेट नियम उल्लंघन पर ।
- अन्य जिलों में विधानसभा की कार्यवाई और जुर्माने की योजना तो बन रही है—लखनऊ से लेकर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों तक, नोटिस के बाद भी अनुपालन नहीं होने पर जुर्माने पर विचार किया जा रहा है ।
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। …
गहराई से विश्लेषण: कब और कैसे हो सकती है कार्यवाई?
- सरकारी निगरानी और निरंतरता की कमी
यद्यपि सरकारी फ्लैगशिप अभियान चल रहा है, रामपुर में दिख रही स्थिति यह बताती है कि पेट्रोल पंपों पर निगरानी ढीली है। नोटिस जारी करना पहला कदम है, लेकिन जब तक जुर्माना या अन्य ठोस कार्यवाई नहीं होती, तब तक यह नीति सिर्फ कागज़ों पर सिमट कर रह जाती है। - विभागों का समन्वय न होना
अभियान में कई विभाग शामिल हैं — पुलिस, राजस्व, परिवहन, खाद्य व रसद, जनसंपर्क। लेकिन रामपुर में माहौल ऐसा बदला नहीं कि पंप संचालक कानून का पालन न करें। इसका मतलब है कि समन्वय अभी भी अधूरा है। - नियम तो मजबूत, प्रवर्तन कमजोर
आदर्श रूप से, तीन बार नोटिस मिलने के बाद जुर्माना होना चाहिए — अमर उजाला के अनुसार जुर्माने का आइडिया पहले ही सामने आ चुका है । यदि इसे रामपुर में लागू किया जाए, तो पंप संचालकों को नियम का पालन करना होगा। - सार्वजनिक जागरूकता और लोक दबाव की कमी
इन अभियानों में मीडिया और जनसंपर्क विभाग से उम्मीद की जाती है कि जनता को समझाया जाए कि लक्ष्य दंड नहीं, सुरक्षा है। रामपुर में लोगों के बीच जागरूकता और दम शायद अभी उतनी नहीं।
हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। …
निष्कर्ष: वास्तव में कार्यवाई कब?
- तुरंत नोटिस के बाद जुर्माने: अगर तीन नोटिस के बाद जुर्माना लगाने की व्यवस्था रामपुर में लागू होती है, तो मामला बदल सकता है।
- नियमित छापामारी और मॉनिटरिंग: खाद्य व रसद विभाग, पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त टीम ने पंपों की नियमित जांच शुरू करनी चाहिए।
- सार्वजनिक जागरूकता बढ़ानी होगी: लोगों को समझाया जाए कि हेलमेट जीवन रक्षा का साधन है, न कि केवल कसरत का नियम; “हेलमेट पहले, ईंधन बाद में” स्लोगन को सशक्त बनाना होगा।
- सकल जिलाधिकारी के नेतृत्व में DRSC की सख्त निगरानी: यदि DRSC और जिलाधिकारी रामपुर में अभियान को प्रभावी ढंग से संचालित करें, तो पंप संचालक रुकेंगे।
सम्पूर्ण खबर का सारांश (लेआउट सुझाव)
- हेडलाइन: “रामपुर में ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान की धज्जियाँ: चेतावनी और जुर्माने कब जागेंगे?”
- इंट्रो: संक्षेप में घटना, मुख्यमंत्री के आदेश और कैमरे में कैद अवहेलना।
- मध्य भाग:
- अभियान का कानूनी व प्रशासनिक आधार
- रामपुर की स्थिति और पूर्ति विभाग की कार्यवाई
- अन्य जिलों के सहयोगी या स्ट्रिक्ट मॉडलों की तुलना
- निष्कर्ष भाग:
- संभावित कार्यवाई
- सार्वजनिक सहभागिता व विभागों के समन्वय की जरूरत
- अंतिम संदेश: अभियान केवल क़ानून नहीं, सुरक्षा का प्रतिबद्धता है।