पीएम श्री विद्यालय, सुजानपुर — एक दर्दनाक तस्वीर

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1. परिचय: पीड़ात्मक परिप्रेक्ष्य

( News Time Nation Sultanpur )सुलतानपुर | संवाददाता योगेश यादव : की हालिया रिपोर्ट एक ऐसी त्रासदी सामने लाती है, जो न केवल शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करती है, बल्कि मानवता की संवेदना को भी झकझोर देती है। अमेठी जिले के गौरीगंज ब्लॉक के सुजानपुर गांव में स्थित प्रधानमंत्री श्री विद्यालय का मंजर अत्यंत बिकराल है—यह वही स्कूल है जिसे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गोद लिया था।
लेकिन आज यह विद्यालय पशुओं के मृत शरीर, भयंकर दुर्गंध, और सूखी पड़ी झाड़‑झंखाड़ियों के बीच अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।


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2. स्कूल का दर्दनाक हाल

विद्यालय परिसर में चारों तरफ पानी भरा हुआ है, यानी यह जगह अब शिक्षा का मंदिर नहीं, बल्कि बदबू का गड्ढा बन चुका है। परिसर में मृत गोवंश पड़े हैं, जिनपर कौए नोचते दिख रहे हैं — एक बेहद दर्दनाक और अमानवीय दृश्य।
इस दुर्गंध और स्वास्थ्य‑हत्या की स्थिति को देखकर प्रशासन ने काम करना शुरू किया — परन्तु हम देखते हैं कि सूचना मिलने के बावजूद ग्राम प्रधान और जिम्मेदार कर्मचारी मौके पर नहीं पहुँचे, जिससे ग्रामीणों में प्रशासनिक उदासीनता को लेकर गहरी नाराजगी बढ़ गई है।


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3. ग्रामीणों की प्रतिक्रिया और आरोप

गांव के शिक्षकों और ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने जानकारी देने के बावजूद, ग्राम प्रधान और जिम्मेदार कर्मचारी मौके पर नहीं पहुँचकर मृत गोवंश हटवाने की कार्रवाई नहीं की
इस बतौर न सिर्फ़ प्रशासनिक असंवेदनशीलता का प्रतीक है, बल्कि यह उस पाठ को भी दर्शाता है जहाँ अधिकार और जवाबदेही में असंतुलन जनता के सामने त्रासदी को दोगुना कर देता है।


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4. प्रशासन की प्रतिक्रिया: बीएसए का बयान

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) संजय तिवारी ने बताया कि मृत गोवंश को परिसर से हटवाने की कार्रवाई जारी है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए उन्हें पास के कंपोजिट विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है।
परन्तु, सवाल वहीं है—इस स्थिति तक पहुँचने की अनुमति कैसे दी गई? और, आधिकारिक चेतावनी या सुधारात्मक कदम क्यों समय रहते नहीं उठाए गए?


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5. पूर्व की जर्जर स्थिति: स्कूल की साख पर सवाल

समाचार में उल्लेख है कि इससे पहले भी स्कूल की जर्जर व्यवस्था के कारण शिक्षकों को बच्चों को खुले में पढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा था। यानी यह विद्यालय न केवल असुविधाजनक, बल्कि जोखिमपूर्ण भी मालूम पड़ता है। शिक्षा के मंदिर की इस दुर्दशा ने हमें प्रशासनिक लापरवाही और निजी गोद लेने के वादों की अक्षमता का खाका पेश कर दिया है।


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6. निष्कर्ष और आगे की राह

News Time Nation Sultanpur की यह रिपोर्ट हमें यह सिखाती है कि सिर्फ़ उद्घाटन या निजी गोद लेने से कुछ नहीं होता, बल्कि उस विद्यालय के देख‑भाल, प्रबंधन और समयबद्ध सुधार की निरंतरता ही मायने रखती है।
यह त्रासदी शिक्षा तंत्र के कई सवाल खड़े करती है:

  • क्या शिक्षा निकाय और स्थानीय प्रशासन समय रहते समस्या का समाधान कर सके?
  • बच्चों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य के बीच कैसे संतुलन सुनिश्चित किया जा सकता है?
  • ग्रामीण स्तर पर जवाबदेही और त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था कैसे मजबूत हो?

7. लेख को और समृद्ध कैसे बनाएँ?

  • प्रत्यक्ष उद्धरण: ग्रामीणों, शिक्षकों या बीएसए sanjay tIvării के डायरेक्ट शब्द बेहतर प्रभाव डालेंगे।
  • तथ्य और समयरेखा: कब सूचना मिली, स्कूल बंद कब हुआ, बच्चों का शिफ्टिंग कब हुई—ऐसे डेटा आकर्षण बढ़ाते हैं।
  • इमेज/वीडियो सुझाव: परिसर में पानी भराव, झाड़ियों में घिरा स्कूल, बच्चे शिफ्ट होते हुए, बीएसए का बयान—ऐसे दृश्य संवेदनशीलता के साथ लेख को जीवंत बनाएँ।

** संक्षिप्त सारांश तालिका**

अंशविवरण
घटनासुजानपुर का पीएम श्री विद्यालय, सुजानपुर।
स्थितिपरिसर पानी से भरा, मृत गोवंश व दुर्गंध।
प्रतिक्रियाशिक्षकों और ग्रामीणों द्वारा शिकायत; प्रधान/कर्मचारी अनुपस्थित।
प्रशासनबीएसए संजय तिवारी द्वारा कार्रवाई—गोवंश हटना और बच्चों को कंपोजिट स्कूल में भेजना।
पूर्व समस्यापत्राचार, स्कूल की जर्जर स्थिति, खुले में पढ़ाई।
शिक्षा तंत्र की समस्यागोद लेने से व्यवस्था सुधरने की गारंटी नहीं; लंबी निगरानी व कार्रवाई जरूरी।
भविष्य दिशाजवाबदेही, त्वरित मुआवलोचना/सुधार, समुदाय‑केन्द्रित मॉनिटरिंग।

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

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