Sultanpur। जनप्रतिनिधियों द्वारा जनता की सुविधा के लिए कराए जाने वाले कार्य तब तक ही सार्थक होते हैं जब उनका देखरेख और रख-रखाव समय-समय पर होता रहे। परंतु Sultanpur जिले के इसौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बंधुआ कला गांव स्थित बाबा जी का सगरा पर लगा हाईमास्ट लाइट अब लोगों की आशाओं का नहीं, अंधेरे का प्रतीक बन गया है।
दो वर्ष पूर्व इसौली के विधायक ताहिर खान द्वारा इस स्थान पर हाईमास्ट लाइट लगवाई गई थी। उद्देश्य था – शिव मंदिर परिसर और आसपास के इलाके को रात्रि में भी प्रकाशमय बनाना। लेकिन अब वही हाईमास्ट, जो कभी विकास का प्रतीक माना गया था, खराब होकर बंद पड़ा है और क्षेत्रवासियों को अंधेरे में जीने पर मजबूर कर रहा है।
बाबाजी का सगरा: धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल अंधेरे में डूबा
Sultanpur जिले का बाबाजी का सगरा, बंधुआ कला गांव में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पूजा-अर्चना और ध्यान के लिए आते हैं। शिव मंदिर के आसपास का क्षेत्र सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी खासा महत्व रखता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हाईमास्ट लगने के बाद क्षेत्र को बहुत लाभ हुआ था। रात्रि में सुरक्षा, श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर की शोभा बढ़ी थी। लेकिन पिछले कई महीनों से यह हाईमास्ट खराब पड़ा है, और अब तक प्रशासन या जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई कार्यवाई नहीं की गई।
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“अंधेरे में डूबा विकास” – स्थानीय लोगों का तंज
बंधुआ कला के ग्रामवासियों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाए हैं। रामसनेही मिश्रा, एक स्थानीय निवासी ने बताया:
“हाईमास्ट तो लगा, लेकिन अब वो सिर्फ नाम का है। दो साल भी ठीक से नहीं चला। आज हालत ये है कि रात्रि में मंदिर परिसर और रास्ता पूरा अंधेरे में डूबा रहता है। ये कैसा विकास?”
सुल्तानपुर (Sultanpur) जिले में ऐसे कई स्थान हैं जहाँ जन प्रतिनिधियों द्वारा किए गए कार्य शुरुआत में सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन बाद में रखरखाव के अभाव में बेकार साबित होते हैं।
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ताहिर खान की “लाइट पॉलिटिक्स” पर सवाल
इसौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक ताहिर खान द्वारा लगाए गए इस हाईमास्ट को लेकर अब राजनीतिक चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ चुनावी स्टंट था या वास्तव में कोई स्थायी समाधान देने की मंशा थी?
स्थानीय नेता संतोष सिंह ने कहा:
“विधायक जी ने खूब फोटो खिंचवाए, प्रेस रिलीज छपवाई, लेकिन अब जब लाइट बंद है तो कोई पूछने वाला नहीं। क्या जनता का पैसा यूं ही बर्बाद होता रहेगा?”
तकनीकी खराबी या लापरवाही?
सूत्रों से पता चला है कि हाईमास्ट लाइट में टेक्निकल फॉल्ट आने के कारण यह बंद हो गई है। पर बड़ा सवाल यह है कि इसका मेंटेनेंस कौन करेगा? क्या नगर पंचायत या ग्राम पंचायत को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी? या यह विधायक निधि से लगे प्रोजेक्ट का कोई स्थायी सिस्टम नहीं है?
Sultanpur जिले में यह समस्या नई नहीं है। जिले भर में ऐसे कई हाईमास्ट लाइट हैं जो स्थानीय निकायों के ध्यान न देने के कारण बंद पड़े हैं।
RTI में मांगी जाएगी जानकारी
कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत विधायक निधि से लगाए गए इस हाईमास्ट लाइट की पूरी जानकारी मांगने की योजना बनाई है।
उनका कहना है कि जनता के पैसे से लगे प्रोजेक्ट का अगर देखरेख नहीं हो पा रहा है, तो इसके लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए।
प्रशासन की चुप्पी
अब तक इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से कोई स्पष्ट बयान या पहल नहीं हुई है। Sultanpur जिला प्रशासन यदि चाहे तो ग्राम पंचायत, विद्युत विभाग या विधायक कार्यालय से समन्वय कर इस खराब हाईमास्ट को ठीक करा सकता है। लेकिन फिलहाल ऐसी कोई कोशिश नहीं दिख रही है।
समस्याएं जो अंधेरे के साथ बढ़ रहीं
- सुरक्षा संकट – रात के समय अंधेरे में महिला और बुजुर्गों के लिए मंदिर जाना जोखिम भरा है।
- चोरी की घटनाएं – बीते सप्ताह शिव मंदिर के पास से जूते और अन्य सामान चोरी होने की शिकायत मिली है।
- श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट – अंधेरे और असुविधा के कारण मंदिर में आने वाले लोगों की संख्या घटी है।
- प्राकृतिक दुर्घटनाओं का खतरा – सागरतट पर पानी होने के कारण रात में गिरने की संभावना बढ़ गई है।
समाधान क्या?
✅ जनजागरण अभियान
स्थानीय युवाओं ने तय किया है कि वे सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर अभियान चलाकर प्रशासन को जगाने की कोशिश करेंगे।
✅ स्थानीय प्रतिनिधियों को पत्र
ग्राम पंचायत और क्षेत्रीय विधायक को लिखित रूप में ज्ञापन देने की योजना है।
✅ जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत
उत्तर प्रदेश सरकार के जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
Sultanpur जिले में कितनी जगह हैं ऐसी?
यह सवाल अब बड़ा हो गया है। अगर बंधुआ कला में हाईमास्ट बंद है, तो क्या जिले में और भी ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं जो:
- सिर्फ उद्घाटन तक सीमित रहे?
- जिनका रख-रखाव नहीं हो रहा?
- जिनकी गुणवत्ता पर कभी सवाल नहीं उठाए गए?
Sultanpur जैसे जिले में विकास की बात करना तब तक बेमानी है जब तक जनता को दी गई सुविधाओं को सतत बनाए रखने की योजना न हो।
निष्कर्ष: विकास की रोशनी या वोट की चकाचौंध?
Sultanpur जिले के बंधुआ कला गांव में हाईमास्ट लाइट का बंद होना सिर्फ एक तकनीकी खराबी नहीं है, यह प्रशासनिक असफलता और राजनीतिक असंवेदनशीलता का प्रतीक है।
जनता अब जागरूक है और सवाल कर रही है। हर वह विकास कार्य जो केवल उद्घाटन समारोह तक सीमित है, उसे अब जनता के पैमाने पर तौला जाएगा।
जब तक व्यवस्था जवाबदेह नहीं बनेगी, तब तक Sultanpur जैसे जिले अंधेरे से बाहर नहीं निकल पाएंगे — चाहे लाइट कितनी भी ऊँची क्यों न लगाई जाए।