सुल्तानपुर: दिव्यांग से फर्जी आवासीय पट्टा बनवाकर 2 लाख की वसूली-स्पेशल जज SC/ST कोर्ट ने लिया संज्ञान, लेखपाल पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश

सुल्तानपुर संवाददाता :- अंकुश यादव

सुल्तानपुर। दिव्यांग व्यक्ति व उसके भाई से फर्जी आवासीय पट्टा बनवाकर दो लाख रुपये ठगने के आरोप में स्पेशल जज एससी/एसटी एक्ट राकेश पांडेय की अदालत ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए आरोपी लेखपाल प्रवीण कुमार सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने अमेठी कोतवाल को मामले की निष्पक्ष जांच कर सप्ताह भर में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

अमेठी कोतवाली क्षेत्र के बेनीपुर गांव निवासी दिव्यांग हरीकरन कनौजिया व उनके भाई हरिकेश द्वारा लगाए गए आरोपों ने एक बार फिर से राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला वर्ष 2018 का है, जब गांव के तत्कालीन लेखपाल प्रवीण कुमार सिंह ने आवासीय पट्टा दिलाने के नाम पर दोनों भाइयों से एक-एक लाख रुपये की मांग की थी।

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लेखपाल ने मांगी थी दो लाख की रकम

वादकारियों के अनुसार, लेखपाल ने भरोसा दिलाया था कि उन्हें सरकारी भूमि पर आवासीय पट्टा दिला दिया जाएगा। दिव्यांग होने के कारण हरीकरन ने इस आश्वासन पर विश्वास करते हुए किस्तों में रकम अदा कर दी। कुछ समय बाद लेखपाल ने उन्हें पट्टे के कागजात भी उपलब्ध करा दिए। इन कागजों पर भरोसा करते हुए दोनों भाइयों ने जमीन पर कब्जा भी ले लिया और अपना आवास बनाना शुरू कर दिया।मामले में मोड़ तब आया जब विपक्षियों ने अधिकारियों से शिकायत की। शिकायत पर राजस्व टीम मौके पर जांच करने आई। जब वादी पक्ष ने उन्हें अपना आवासीय पट्टा दिखाया, तो जांच टीम ने बताया कि वह कागज पूरी तरह फर्जी है और सरकारी अभिलेखों में ऐसा कोई पट्टा दर्ज ही नहीं है।यह जानकारी मिलते ही पीड़ितों के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने तुरंत लेखपाल से संपर्क किया तो लेखपाल ने उन्हें “सही कागज जल्द उपलब्ध कराने” का आश्वासन देकर टालना शुरू कर दिया। कई महीनों तक इंतजार करने के बाद भी जब लेखपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो पीड़ित अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे, परन्तु कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।

कथित संरक्षण पर भी उठे सवाल

वादी हरीकरन कनौजिया का आरोप है कि मामले की शिकायत के बाद भी अधिकारियों ने लेखपाल पर कोई कार्रवाई नहीं की और उल्टा अपने अधीनस्थ को संरक्षण देते रहे। इससे पीड़ित का विश्वास पूरी तरह टूट गया। मामला उस समय काफी चर्चा में रहा और कई मीडिया संस्थानों ने भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था।वादी के अधिवक्ता ने अदालत में मीडिया रिपोर्ट, टीवी चैनलों की कवरेज के क्लिपिंग और आरोपी लेखपाल द्वारा प्रदान किए गए फर्जी पट्टा कागजात भी सबूत के तौर पर प्रस्तुत किए।

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इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी जमा किए गये

वादी पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि लेखपाल से हुई बातचीत के कई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी उनके पास मौजूद हैं, जिसमें लेखपाल ने रकम लेने और पट्टा उपलब्ध कराने की बात स्वीकार की है। ये सभी साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए गए। सभी तथ्यों और साक्ष्यों को देखते हुए स्पेशल जज एससी/एसटी एक्ट राकेश पांडेय ने मामले में गंभीरता से संज्ञान लिया। अदालत ने फैसला सुनाया कि लेखपाल प्रवीण कुमार सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

अदालत ने आदेश दिया कि—

  • अमेठी कोतवाल एक सप्ताह के अंदर जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करें।
  • पूरे मामले की छानबीन पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से की जाए।
  • पीड़ितों को न्याय दिलाने में कोई विलंब न हो।

अदालत के इस आदेश के बाद दिव्यांग हरीकरन कनौजिया और उनके भाई को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। उनका कहना है कि सालों से वे अधिकारियों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। अब अदालत के हस्तक्षेप के बाद पीड़ितों ने राहत की सांस ली है।

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राजस्व विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल

यह मामला केवल एक परिवार के साथ हुए धोखे का नहीं बल्कि उस राजस्व प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है जो आम नागरिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के बजाय भ्रष्टाचार को ढाल बनाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में शामिल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई गरीब या दिव्यांग व्यक्ति इस तरह धोखे का शिकार न हो।

Khursheed Khan Raju

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