सुल्तानपुर संवाददाता :- अंकुश यादव
सुल्तानपुर। महिला आरक्षी से दुष्कर्म के बहुचर्चित मुकदमे में आरोपी इंस्पेक्टर नीशू तोमर को आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान मंगलवार को एफटीसी प्रथम जज राकेश यादव की अदालत में हाजिर होना पड़ा। हालांकि, उनकी ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि डिस्चार्ज अर्जी खारिज होने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और याचिका लंबित है। इस आधार पर समय देने का अनुरोध किया गया।
अदालत ने इस दलील को अंतिम अवसर के रूप में स्वीकार किया है, लेकिन अगली सुनवाई पर इंस्पेक्टर नीशू तोमर की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। मुकदमे में आरोप तय करने के लिए 24 नवंबर की तारीख निर्धारित की गई है।

महिला आरक्षी ने लगाया था गंभीर आरोप
14 जुलाई 2022 को कोतवाली नगर में तैनात एक महिला आरक्षी ने इंस्पेक्टर नीशू तोमर के खिलाफ दुष्कर्म, यौन शोषण और अन्य गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता के आरोपों ने विभाग में हड़कंप मचा दिया था।
मामले में इंस्पेक्टर की ओर से एक उन्मोचन (डिस्चार्ज) अर्जी लगाई गई थी, जिसे अदालत पहले ही खारिज कर चुकी है। इसके बाद अदालत ने उन्हें चार्ज पर सुनवाई के लिए तलब किया था, लेकिन वे लगातार गैरहाजिर रहे या पेशी पर राहत मांगते रहे।
अभियोजन की कड़ी आपत्ति
अभियोजन पक्ष का कहना है कि आरोपी इंस्पेक्टर द्वारा लगातार समय मांगना और गैरहाजिर रहना केवल ट्रायल को लंबित करने की रणनीति है। अभियोजन ने इसे न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास बताया है। अदालत ने भी इस रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि अगली तारीख अंतिम अवसर है, अन्यथा आवश्यक कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
ट्रायल लंबे समय से अटका
दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोपों वाले इस मामले में चार्ज फ्रेमिंग की कार्यवाही महीनों से लटकी हुई है। अदालत के सख्त रुख के बाद अब उम्मीद है कि आगामी तारीख पर आरोप तय करने की कार्रवाई आगे बढ़ सकेगी।
- अगली सुनवाई: 24 नवंबर
- व्यक्तिगत उपस्थिति: इंस्पेक्टर नीशू तोमर को अनिवार्य
- मामला लंबित: हाईकोर्ट में दायर याचिका का हवाला
- ट्रायल की स्थिति: चार्ज फ्रेमिंग की प्रक्रिया अभी बाकी