सुल्तानपुर संवाददाता :- अंकुश यादव
सुल्तानपुर में बीमा कंपनी से 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए वाहन और चालक की कथित रूप से गलत संलिप्तता दिखाने का मामला सामने आया है। बीमा कंपनी टाटा एआईजी के सीनियर मैनेजर की शिकायत पर मां-बेटे सहित तीन लोगों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ है। मामले की जांच एसआई अशोक कुमार को सौंपी गई है।
सुल्तानपुर में एक पुराने सड़क दुर्घटना मामले ने अचानक नया मोड़ ले लिया है। लगभग चार साल से चल रहे मोटर दुर्घटना दावे के प्रकरण में अब बीमा कंपनी की ओर से गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वाहन दुर्घटना में मृतक के परिजनों द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों में कई विसंगतियां सामने आने के बाद मां-बेटे सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला अब पुलिस जांच और न्यायालय दोनों के स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?
घटना की शुरुआत 25 फरवरी 2019 को हुई सड़क दुर्घटना से होती है, जिसमें यशवंत कनौजिया की मृत्यु हो गई थी। मृतक के बेटे राहुल चौधरी ने लगभग साढ़े तीन महीने बाद, 7 जून 2019 को कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया। दुर्घटना में मौत होने के कारण मृतक की पत्नी सरोज कुमारी, पुत्र राहुल चौधरी और पुत्री प्रज्ञा चौधरी की ओर से मोटर क्लेम अधिकरण में क्षतिपूर्ति के लिए याचिका दायर की गई।
याचिका में राधेश्याम शर्मा को वाहन चालक बताकर तथा टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी को पक्षकार बनाकर 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की गई। मामला अधिकरण में विचाराधीन था और दोनों पक्षों के बीच लोक अदालत में सुलह का प्रस्ताव रखा गया।

लोक अदालत में सुलह और 50 लाख का आदेश
लोक अदालत में हुई सुलह के आधार पर अधिकरण ने 8 जुलाई 2023 को आदेश जारी करते हुए बीमा कंपनी को 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति अदा करने का निर्देश दिया। इसके बाद कंपनी ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत याची पक्ष को 12.50 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। शेष 37.50 लाख रुपये अधिकरण के खाते में सुरक्षित रखे गए थे, जिन्हें जल्द जारी किया जाना था।
इसी बीच, मामले में एक बड़ा ट्विस्ट आया। वाहन चालक राधेश्याम शर्मा ने बीमा कंपनी को पत्र भेजकर स्वयं को दुर्घटना में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। यही नहीं, उसने यह भी कहा कि जिस वाहन का ज़िक्र किया गया है, उसका दुर्घटना से कोई संबंध नहीं था।

बीमा कंपनी की आपत्ति और अधिकरण में आवेदन
राधेश्याम के पत्र के आधार पर टाटा एआईजी बीमा कंपनी ने क्लेम कोर्ट में अर्जी दायर की। कंपनी का कहना था कि क्षतिपूर्ति पाने के लिए गलत तथ्य पेश किए गए और वाहन तथा चालक की गलत संलिप्तता दर्शाई गई।
क्लेम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले दिए गए आदेश की पुनर्विचार प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद अधिकरण ने निर्णय लिया कि अधिकरण खाते में जमा 37.50 लाख रुपये वापस किए जाएं। साथ ही, याची पक्ष को दिए गए 12.50 लाख रुपये भी 30 दिन के भीतर ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया गया।
कौन-कौन मुकदमे में आरोपी?
शिकायत के आधार पर कोतवाली नगर में जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, उनके नाम हैं—
- सरोज देवी (मृतक की पत्नी)
- राहुल चौधरी (पुत्र)
- प्रज्ञा चौधरी (पुत्री)
इन तीनों पर जानबूझकर गलत तथ्य पेश करने और क्षतिपूर्ति पाने के लिए गलत वाहन व चालक को शामिल करने का आरोप है।

जांच और कई सवाल अभी अनुत्तरित
मामले की जांच एसआई अशोक कुमार को सौंपी गई है। हालांकि, अभी भी कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब आने बाकी हैं। उदाहरण के लिए—
- 2019 की दुर्घटना में वाहन कैसे चिन्हित हुआ?
- चार्जशीट दाखिल होने तक विवेचक ने किन दस्तावेज़ों पर भरोसा किया?
- चालक राधेश्याम का अब बयान बदलना क्यों महत्वपूर्ण माना जा रहा है?
- क्या यह गलत संलिप्तता थी या जांच में किसी स्तर पर चूक हुई?
इन सभी पहलुओं की तथ्यात्मक पुष्टि पुलिस जांच के बाद ही संभव होगी।

कानूनी प्रक्रिया अभी जारी
बीमा कंपनी के दावे के बाद संबंधित न्यायालयों में भी प्रक्रिया चल रही है। चालक राधेश्याम शर्मा के खिलाफ एक अन्य एक्सीडेंटल केस भी मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित बताया जा रहा है। इससे पूरा मामला और जटिल हो गया है।कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी पक्ष को दोषी या निर्दोष करार देने से पहले निष्पक्ष जांच अनिवार्य है। बिना आधिकारिक रिपोर्ट के किसी भी नतीजे पर पहुँचना कानूनन उचित नहीं माना जाता।
फिलहाल सभी की निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं। याची पक्ष, वाहन स्वामी, चालक, विवेचक और अन्य संबंधित लोगों की भूमिका स्पष्ट होने के बाद ही मामले की सच्चाई सामने आएगी। 50 लाख की क्षतिपूर्ति के इस विवाद ने बीमा कंपनियों की प्रक्रियाओं, जांच एजेंसियों की कार्यशैली और न्यायालयी आदेशों के पालन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले के अगले अपडेट के साथ और तथ्य सामने आने की संभावना है।