Sultanpur: मेडिकल कॉलेज में सफाईकर्मी भर्ती घोटाला, डॉ. सलिल और बाबू पर गंभीर आरोप

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संवाददाता , योगेश यादव

📢 डॉ. सलिल श्रीवास्तव और बाबू अखिलेश श्रीवास्तव की “जुगलबंदी” पर उठे सवाल

Sultanpur स्थित मेडिकल कॉलेज में सफाईकर्मियों की नियुक्ति को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप हैं कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने विभागीय नियमों को दरकिनार कर मनमानी तरीके से 235 सफाईकर्मियों और 160 अन्य पदों पर नियुक्ति की निविदाएं जारी की हैं।

इस घोटाले के केंद्र में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सलिल कुमार श्रीवास्तव और बाबू अखिलेश श्रीवास्तव को बताया जा रहा है, जिनपर कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए नियमों की अनदेखी करने का आरोप है।


🧾 निविदा का विवरण और अनियमितताएं

🔍 निविदा संख्या: GEM/2025/B/6422130
👥 कर्मचारी नियुक्ति: 235 सफाईकर्मी, 160 अन्य स्टाफ
⚠️ मुख्य आरोप: विभागीय वर्गीकरण और पारदर्शिता की कमी

राजेश कुमार सिंह द्वारा दायर शिकायत में दावा किया गया है कि:

  • किसी भी कर्मचारी के तैनाती विभाग या कार्यक्षेत्र का स्पष्ट उल्लेख नहीं है
  • पेस्ट कंट्रोल, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट जैसे आवश्यक कार्यों को निविदा से बाहर कर दिया गया
  • बावजूद इसके, कुल लागत राशि में कोई संशोधन नहीं किया गया — जो वित्तीय गड़बड़ी की ओर इशारा करता है

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🏢 नामजद कंपनियों को फायदा पहुँचाने का आरोप

शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया है कि प्रिंसिपल और बाबू की मिलीभगत से नीचे दी गई कंपनियों को फायदा पहुँचाने की तैयारी की गई:

  1. प्राइम क्लीनिंग सर्विसेज
  2. A.N. कपूर जेनीटर्स प्रा.लि.
  3. सन फैसिलिटीज प्रा.लि.
  4. निर्मल फैसिलिटी सर्विसेस

शिकायत के अनुसार, इन कंपनियों के पूर्व अनुभव और क्षमता की जाँच किए बिना ही उन्हें अनुकूल शर्तों के साथ निविदा में बढ़त देने की कोशिश की जा रही है।


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📊 तुलना: पीलीभीत में पारदर्शी मॉडल

Sultanpur मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था को यदि पीलीभीत के स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय से तुलना की जाए, तो वहां:

  • 450 बेड के अस्पताल में मात्र 225 सफाईकर्मी तैनात
  • विभागीय वर्गीकरण पूरी तरह स्पष्ट
  • नियुक्ति के मानदंड पारदर्शी और संतुलित
  • विभागों में जैसे कि: मेडिसिन, सर्जरी, बाल रोग, ओपीडी, ICU, हॉस्टल आदि के लिए अलग-अलग सफाई कर्मचारी नियुक्त

यह तुलना Sultanpur की प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।


📣 शिकायत DGME तक पहुंची

राजेश कुमार सिंह ने यह पूरा मामला महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण (DGME) को सौंपते हुए जांच और कार्यवाई की मांग की है।

अब देखने की बात यह होगी कि:

  • क्या प्राथमिक जाँच शुरू होती है?
  • क्या फंडिंग और ठेके की प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रकाश डाला जाएगा?
  • या यह मामला फाइलों में दफन कर दिया जाएगा, जैसा पहले कई बार हो चुका है?

🧍 जनता और मरीजों का भरोसा डगमगाया

इस घोटाले के बाद आमजन और मरीजों के बीच मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्यशैली पर अविश्वास बढ़ा है:

  • कर्मचारियों की अस्पष्ट तैनाती
  • कम गुणवत्ता वाली सेवाएं मिलने की आशंका
  • स्वास्थ्य और स्वच्छता से समझौता

यह मामला दिखाता है कि यदि भर्ती और निविदा प्रक्रियाएं पारदर्शी न हों, तो उसका सीधा असर जनसेवा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ता है।


🤐 मेडिकल कॉलेज प्रशासन की चुप्पी

अब तक इस पूरे प्रकरण पर:

  • प्रिंसिपल डॉ. सलिल कुमार श्रीवास्तव ने कोई बयान नहीं दिया
  • बाबू अखिलेश श्रीवास्तव से संपर्क का प्रयास निष्फल रहा
  • कॉलेज की पब्लिक रिलेशन विंग भी पूरी तरह से चुप

इस चुप्पी को जनता कबूल नहीं कर रही, बल्कि उसे संदेह के रूप में देख रही है।


🧠 क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

“यदि विभागीय वर्गीकरण के बिना इतनी बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाती है, तो यह सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है और पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।”
वरिष्ठ प्रशासनिक विश्लेषक


🙋 जनता की मांग: जांच हो निष्पक्ष, कार्रवाई हो सख्त

स्थानीय नागरिकों, स्वास्थ्य कर्मियों और मीडिया की मांग है कि:

  • DGME इस मामले की स्वतंत्र जांच कराए
  • निविदा की सभी शर्तें और चयन प्रक्रिया सार्वजनिक की जाए
  • यदि अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो डॉ. सलिल और अखिलेश श्रीवास्तव पर कार्रवाई हो
  • दोषी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए

📑 निष्कर्ष: Sultanpur मेडिकल कॉलेज में जवाबदेही की परीक्षा

यह मामला सिर्फ सफाईकर्मियों की भर्ती का नहीं, बल्कि सरकारी संस्थानों की विश्वसनीयता और जन स्वास्थ्य की गुणवत्ता का है।

Khursheed Khan Raju

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