सुल्तानपुर: विद्यालय में बच्चों से कराई गई भाजपा नेता की दादी की पुण्यतिथि, शिक्षा पर राजनीति का साया

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संवाददाता , योगेश यादव

News Time Nation Sultanpur – उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कुड़वार थाना क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय भगवानपुर में शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है। शिक्षा सत्र के दौरान भाजपा मंडल अध्यक्ष की दादी की पुण्यतिथि मनाई गई, जिसमें बच्चों को शामिल किया गया और उनसे दिवंगत महिला के चित्र पर पुष्प अर्पण कराए गए।

इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली, प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य, और सरकारी विद्यालयों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


📍 मामला क्या है?

घटना कुड़वार ब्लॉक के भगवानपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय की है। बताया जा रहा है कि विद्यालय में जब पठन-पाठन चल रहा था, उसी दौरान एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा मंडल अध्यक्ष की दादी की पुण्यतिथि मनाई गई।

कार्यक्रम में:

  • विद्यालय के छात्र-छात्राओं को लाइन में खड़ा कर, दिवंगत महिला की तस्वीर पर फूल अर्पित कराए गए।
  • उपस्थित बच्चों से श्रद्धांजलि देने के लिए “जय घोष” और “नमन” के नारे भी लगवाए गए।
  • ग्राम प्रधान अनंतराम, शिक्षक और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

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🏫 विद्यालय में राजनीति का प्रवेश?

सरकारी स्कूल का उद्देश्य बच्चों को समान, वैज्ञानिक और गैर-राजनीतिक शिक्षा देना होता है। लेकिन इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि विद्यालय को निजी व राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया।

“जब बच्चों को विज्ञान, गणित और भाषा पढ़ाई जानी चाहिए थी, तब उन्हें एक राजनीतिक नेता की दादी की पुण्यतिथि में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया।” – स्थानीय ग्रामीण


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🧒 बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन

Right to Education Act (RTE) के अंतर्गत बच्चों को राजनीतिक, धार्मिक और निजी गतिविधियों से दूर रखने का प्रावधान है। ऐसे में विद्यालय में इस तरह की गतिविधि न केवल शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह बाल मनोविज्ञान पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।

“बच्चों को शिक्षा के नाम पर स्कूल भेजा जाता है, लेकिन वहां ऐसे कार्यक्रम कराना पूरी तरह से अनुचित है।” – राजेश श्रीवास्तव, बाल अधिकार कार्यकर्ता


📸 पुष्पांजलि की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल

इस पूरे घटनाक्रम की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि:

  • बच्चे चित्र के सामने खड़े हैं।
  • शिक्षक व अन्य लोग कार्यक्रम को संचालित कर रहे हैं।
  • एक बैनर लगाया गया है, जिसमें पुण्यतिथि का विवरण है।

इन तस्वीरों के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासनिक तंत्र में हलचल मच गई है।


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🗣️ बीईओ ने दिए जांच के आदेश

News Time Nation Sultanpur की टीम ने जब मामले की जानकारी खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) कुड़वार रोजी सिंह को दी, तो उन्होंने कहा:

“यह गंभीर मामला है। विद्यालय में कोई भी राजनीतिक या निजी कार्यक्रम शिक्षा सत्र के दौरान नहीं होना चाहिए। मैंने तत्काल प्रभाव से पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”


⚖️ क्या कहता है नियम?

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद व शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार:

  • विद्यालय परिसर में कोई भी राजनीतिक/धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता।
  • विद्यालय केवल राष्ट्रीय पर्वों या राज्य/राष्ट्रीय शिक्षा दिवस जैसे अवसरों पर विशेष कार्यक्रम कर सकते हैं।
  • शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे बच्चों को निष्पक्ष, वैज्ञानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों की शिक्षा दें।

इस प्रकार इस घटना में नियमों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है।


👥 ग्राम प्रधान की भूमिका पर भी सवाल

कार्यक्रम में ग्राम प्रधान अनंतराम की मौजूदगी ने पूरे मामले को और पेचीदा बना दिया है। उन्होंने न सिर्फ कार्यक्रम में भाग लिया, बल्कि स्थानीय लोगों के अनुसार कार्यक्रम को प्रोत्साहित भी किया।

“ग्राम प्रधान के हस्तक्षेप से शिक्षक असहज महसूस करते हैं और कई बार ऐसे कार्यक्रम कराने को मजबूर होते हैं।” – विद्यालय का एक शिक्षक (नाम न छापने की शर्त पर)


📢 राजनैतिक प्रतिक्रिया

News Time Nation Sultanpur की रिपोर्ट वायरल होने के बाद स्थानीय राजनीतिक दलों और शिक्षा संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है:

  • सपा नेता का बयान: “भाजपा सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर रही है। विद्यालयों को राजनीतिक मंच बनाना निंदनीय है।”
  • कांग्रेस कार्यकर्ता: “सरकारी स्कूलों को भाजपा अपने प्रचार तंत्र में बदलना चाहती है। हम इसका विरोध करेंगे।”

🎓 शिक्षा का गिरता स्तर और भटकता उद्देश्य

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी विद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया है?
जहां बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और आधुनिक शिक्षण की ओर अग्रसर किया जाना चाहिए, वहां उन्हें राजनीतिक श्रद्धांजलियों का हिस्सा बनाया जा रहा है।

“इस तरह के कार्य बच्चों को अनुचित संदेश देते हैं और उनका मानसिक विकास बाधित हो सकता है।” – शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. नीता वर्मा


📊 आंकड़ों की नजर से: सुल्तानपुर की प्राथमिक शिक्षा

मापदंडविवरण
कुल प्राथमिक विद्यालय (सरकारी)1,200+
छात्र नामांकन1.5 लाख से अधिक
शिक्षक-छात्र अनुपात1:40
औसत शिक्षण अवधि4.5 घंटे/दिन
सह-शैक्षणिक गतिविधियाँन्यूनतम स्तर पर

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जहां पहले से ही सरकारी स्कूल संसाधनों और गुणवत्ता की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं इस तरह के कार्यक्रम स्थिति को और बिगाड़ते हैं।


निष्कर्ष

News Time Nation Sultanpur की इस विशेष रिपोर्ट के माध्यम से यह सामने आया है कि कैसे शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों में राजनीति का हस्तक्षेप दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है।
प्राथमिक विद्यालय भगवानपुर की घटना यह बताने के लिए काफी है कि शिक्षा की पवित्रता को किन स्तरों तक गिराया जा रहा है।

अब सवाल यह है:

  • क्या बीईओ की जांच से सच्चाई सामने आएगी?
  • क्या दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी?
  • क्या आगे विद्यालयों को इस तरह के आयोजनों से मुक्त रखा जाएगा?

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

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