उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज मंगलवार को बस्ती जिले के बसहवा गांव पहुंचे, जहां उन्होंने सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के नए प्रकल्प का भूमि पूजन और शिलान्यास किया। यह कार्यक्रम न केवल एक शैक्षणिक संस्थान की नींव रखने का अवसर था, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रवाद पर आधारित विचारधारा को सुदृढ़ करने का संदेश भी था।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सरस्वती शिशु मंदिर, राम मंदिर, और महाराज सुहेलदेव जैसे ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उनकी बातें न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम रहीं, बल्कि सामाजिक चेतना को भी झकझोरने वाली थीं।
कार्यक्रम का आयोजन: भारतीयता का उत्सव
कार्यक्रम का आयोजन सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के नए भवन के शिलान्यास के रूप में किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे और उनके साथ हजारों की संख्या में स्वयंसेवक, शिक्षक, विद्यार्थी, अभिभावक एवं स्थानीय नागरिक मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने भूमि पूजन करते हुए कहा:
“यह सिर्फ एक भवन का शिलान्यास नहीं, यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा और शिक्षण परंपरा का नया अध्याय है।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और शिशु मंदिरों की नींव पर चर्चा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में नाना जी देशमुख का विशेष उल्लेख करते हुए कहा:
“संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक नाना जी देशमुख ने सबसे पहले गोरखपुर में सरस्वती शिशु मंदिर की नींव रखी थी। उस समय विद्यालय में केवल 5 छात्र थे। न कोई सरकारी सहायता थी, न संसाधन, लेकिन आज पूरे देश में 12,000 से अधिक सरस्वती शिशु मंदिर संचालित हो रहे हैं, जिनमें लाखों छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि:
“यह संस्थान बच्चों को भारतीयता का बोध कराते हैं। यहां से निकले छात्र हर क्षेत्र में समाज को नेतृत्व दे रहे हैं। यह शिक्षा व्यवस्था केवल परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण की नींव है।”
अयोध्या और राम मंदिर का गौरवगान
अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने हाल ही में अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा:
“500 वर्षों के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनना भारत की सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है।”
योगी आदित्यनाथ ने महर्षि वाल्मीकि के संदर्भ से राम की महानता को दर्शाते हुए कहा:
“जब नारद जी ने महर्षि वाल्मीकि से कहा कि यदि किसी एक चरित्र पर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ काव्य लिखा जा सकता है, तो वह चरित्र प्रभु श्रीराम का है। राम स्वयं में धर्म हैं – जो गुण धर्म के हैं, वही राम में साकार रूप में मिलते हैं।”
महाराज सुहेलदेव का इतिहास और पुनः स्मरण
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण के दौरान भारत के वीर योद्धा महाराज सुहेलदेव का भी उल्लेख किया और कहा:
“बहराइच में लगभग एक हजार वर्ष पहले महाराज सुहेलदेव ने गजनी के आक्रांता सालार मसूद को हराया था, जो मंदिर तोड़ने आया था।”
मुख्यमंत्री ने अफसोस जताते हुए कहा:
“हमें इतिहास से काटने का षड्यंत्र किया गया। हमें बताया गया कि महाराज सुहेलदेव को पूजना नहीं है, और हमने मानना छोड़ दिया। लेकिन जब हमारी सरकार आई तो हमने बहराइच में भव्य स्मारक बनवाया और आजमगढ़ में महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय की स्थापना भी की।”
News Time Nation Lucknow का ग्राउंड रिपोर्ट विश्लेषण
news time nation Lucknow की ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि मुख्यमंत्री का यह दौरा सिर्फ एक शैक्षिक भवन के शिलान्यास तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और वैचारिक उद्घोषणा जैसा बन गया।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
बिंदु | विवरण |
---|---|
शिक्षा | सरस्वती विद्या मंदिर जैसे संस्थान भारतीय मूल्य आधारित शिक्षा का केंद्र |
इतिहास | सुहेलदेव जैसे वीर योद्धाओं को पुनः स्मरण और सम्मान देना |
धर्म | राम मंदिर का निर्माण आस्था और गौरव का पुनर्जागरण |
राजनीति | मुख्यमंत्री के भाषण में स्पष्ट रूप से राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक चेतना का संदेश |
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कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य और प्रभाव
कार्यक्रम में राज्य के कई गणमान्य अतिथि, स्थानीय विधायक, संघ पदाधिकारी, समाजसेवी, शिक्षाविद् और हजारों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। सभा में बच्चों द्वारा संस्कृत में श्लोक पाठ, भारतीय परंपरा पर आधारित नृत्य, और स्वदेशी विचारधारा पर आधारित लघु नाटक प्रस्तुत किए गए।
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निष्कर्ष
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बस्ती दौरा उत्तर प्रदेश की शिक्षा, संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रवाद के चार स्तंभों को एक मंच पर प्रस्तुत करने जैसा था। news time nation Lucknow की रिपोर्ट में यह स्पष्ट होता है कि सरकार अब न केवल विकास के कार्य कर रही है, बल्कि भारत की भूली हुई सांस्कृतिक चेतना को भी पुनः जीवित करने का प्रयास कर रही है।
राम मंदिर, सरस्वती शिशु मंदिर और महाराज सुहेलदेव की बात करके मुख्यमंत्री ने यह संदेश दिया कि “भारत अब अपने इतिहास पर गर्व करना सीख रहा है।”