कांग्रेस, टीएमसी और एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार दोपहर राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्ष के साझे उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा के नाम की घोषणा कर दी है.
यशवंत सिन्हा ने इस बारे में आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही ट्वीट करके संकेत दे दिए थे.
मंगलवार सुबह टीएमसी छोड़ने से पहले ममता बनर्जी का शुक्रिया अदा करते हुए सिन्हा ने लिखा है – “टीएमसी में उन्होंने मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए मैं ममता जी का आभारी हूं. अब एक समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना होगा. मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करती हैं”
इससे पहले विपक्षी दलों के बीच शरद पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फ़ारूक़ अब्दुल्ला के नामों पर चर्चा हुई थी. लेकिन इन लोगों ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग लेने से इनकार कर दिया.
इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को शरद पवार के घर पर हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद आख़िरकार यशवंत सिन्हा के नाम का एलान कर दिया.
लेकिन सवाल उठता है कि कुछ साल पहले तक बीजेपी नेता रहे यशवंत सिन्हा को विपक्ष ने अपने साझा उम्मीदवार के रूप में क्यों चुना.