दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई की टीम ने शुक्रवार को नई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के मामले को लेकर छापेमारी की. सीबीआई ने इसी मामले में 21 और ठिकानों पर भी छापेमारी की है.
मनीष सिसोदिया और सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरोपों को झूठा बताया है. वहीं बीजेपी नेताओं ने कहा है कि इस मामले से केजरीवाल सरकार का भ्रष्टाचार सामने आया है.
मनीष सिसोदिया का कहना है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है. वहीं, सीबीआई ने एफ़आईआर में उन पर लाइसेंस धारकों को ग़लत तरीक़े से फ़ायदा पहुंचाने के लिए नई आबकारी नीति के निर्माण और उसे लागू करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाया है.
साथ ही उन पर आबकारी नीति में गैर-क़ानूनी ढंग से बदलाव करने का आरोप भी है. एफ़आईआर में लाइसेंस धारकों से सरकारी कर्मचारियों को पैसे मिलने का भी ज़िक्र किया गया है.
क्या कहती है सीबीआई की एफ़आईआर-
सीबीआई ने इस मामले में 17 अगस्त, 2022 को एफ़आईआर दर्ज की थी जिसमें सबसे पहला अभियुक्त मनीष सिसोदिया को बनाया गया है और कहा गया है कि बिचौलियों ने ग़लत तरीक़ों से फ़ायदा पहुंचाने में मदद की है.
- सीबीआई ने मनीष सिसोदिया और अन्य अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 477-ए (अनुचित लाभ लेने के लिए अकाउंट्स के साथ फ़र्ज़ीवाड़ा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है.
- मनीष सिसोदिया और तत्कालीन आबकारी आयुक्त ए गोपी कृष्णा और अन्य लोगों ने लाइसेंस धारकों को अनुचित तरीक़े से फायदा पहुंचाने के लिए सक्षम प्राधिकरण से मंज़ूरी लिए बिना आबकारी नीति, 2021-2022 से जुड़े फ़ैसले लिए थे.
- आरोप है कि आबकारी नीति में गैर-क़ानूनी तरीक़े से बदलाव हुए. वहीं, लाइसेंस फ़ीस और बिना अनुमति के लाइसेंस विस्तार में लाइसेंस धारकों को अनुचित फ़ायदे पहुंचाने के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया.
- सूत्र के हवाले से लिखा गया है कि कुछ लाइसेंस धारक सरकारी कर्मचारियों तक पैसे पहुंचाने के लिए रिटेल विक्रेताओं को क्रेडिट नोट जारी कर रहे हैं.
- एफ़आईआर में बताया गया है कि बड्डी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं. वो लाइसेंस धारकों से इकट्ठा किए गए पैसे अभिुयक्त सरकारी कर्मचारियों तक पहुंचाते थे.
- एक कंपनी महादेव लिकर को लाइसेंस जारी किया गया था. सनी मारवाह इसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं. सनी मारवाह शराब कारोबारी पोंटी चड्डा (जिनकी साल 2012 में हत्या हुई थी) के परिवार की कंपनियों में निदेशक भी हैं. मारवाह अभियुक्त सरकारी कर्मचारियों के संपर्क में थे और उन्हें नियमित तौर पर पैसे पहुंचा रहे थे.
कैसे शुरू हुआ मामला
इस मामले की शुरुआत 8 जुलाई को हुई थी जब दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें मनीष सिसोदिया पर कमिशन और रिश्वत के लिए शराब विक्रेता लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ देने का आरोप लगाया गया था.
ये भी आरोप था कि इस कमिशन और रिश्वत का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया था.
उप-राज्यपाल के इस मामले में सीबीआई जांच की सिफ़ारिश करने के बाद एक अगस्त को मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति को वापस ले लिया. इसके बाद दिल्ली में सिर्फ़ सरकारी शराब की दुकानों को खोले जाने की अनुमति है.
सीबीआई के अलावा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (आओडब्ल्यू) भी दिल्ली आबकारी विभाग में अलग से जांच कर रही है.