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कब खुलेंगे दिल्ली के बॉर्डर? राकेश टिकैत ने कहा- अभी खत्म नहीं होगा किसान आंदोलन, रखी यह शर्त

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बीते एक साल से अधिक समय तक विवादों में रहे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला हो गया है। पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया और प्रदर्शनकारी किसानों को आंदोलन खत्म करने की अपील की, मगर किसान नेता राकेश टिकैत अब भी आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा। इससे लग रहा है कि दिल्ली के बॉर्डर अब भी नहीं खुलेंगे।

पीएम मोदी ने के ऐलान के तुरंत बाद राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा, ‘आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।’ वहीं, टीवी चैनल आजतक से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि अभी तो संकेत दिया है। फैसला तो तब होगा, जब संसद से वापस हो जाएगा। इसके अलावा एमएसपी और बिजली कानून के मुद्दों पर भी सरकार को बात करनी चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी की बात पर विश्वास न होने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि मुझे अब भी यकीन नहीं है। 29 तारीख को संसद में कानून वापसी का प्रस्ताव रखे जाने तक हम कहीं वापस जाने वाले नहीं हैं।

किसानों के लिए वरदान साबित होंगे नए कृषि कानून - Nationalist Online

प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा के बाद भारतीय किसान यूनियन उगराहां धड़े के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, ”गुरुपरब पर कृषि कानून निरस्त करने का निर्णय प्रधानमंत्री का अच्छा कदम है। उन्होंने कहा, ”सभी किसान संघ एकसाथ बैठेंगे और आगे के मार्ग के बारे में तय करेंगे। बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर बीते एक साल से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग कर रहे थे।

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इधर प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर कहा कि पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है।  उन्होंने कहा कि कृषि बजट में पांच गुना बढ़ोतरी की गई है, हर साल 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है।

पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार तीन नये कृषि कानून के फायदों को किसानों के एक वर्ग को तमाम प्रयासों के बावजूद समझाने में नाकाम रही। उन्होंने कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों विशेषकर छोटे किसानों का सशक्तीकरण था। उन्होंने घोषणा की कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाएगा और इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा

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