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थोड़ी खुशी, थोड़ा गम: मोदी सरकार के बजट में राहत के 5 बड़े ऐलान, मगर ये पांच झटके भी हैं

Union Budget 2021: कोरोना संकट के इस दौर में आत्मनिर्भर भारत पर जोर देते हुए आज यानी 1 फरवरी को मोदी सरकार ने आम बजट पेश किया। निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में टैबलेट के जरिए बजट पेश किया और पढ़ा। संकट के इस दौर में जैसा कि लोगों को अपेक्षा थी कि मोदी सरकार कुछ बड़ा ऐलान करेगी, जिससे नौकरी-पेशा वाले लोगों को राहत मिल पाएगी, मगर बजट में ऐसा कुछ खास देखने को नहीं मिला। इस बजट में कुछ लोगों को फायदा होता भी दिख रहा है तो कुछ लोगों के हाथ खाली दिख रहे हैं। एक तरह से देखा जाए तो इस बजट में थोड़ी खुशी भी मिली है तो कुछ गम भी मिला है। तो चलिए जानते हैं कि मोदी सरकार के इस बजट में किन-किनको राहत मिली है और किन्हें झटका।

कोरोना वैक्सीन के लिए 35000 करोड़ का ऐलान
मोदी सरकार के बजट की सबसे अच्छी बात यह रही कि कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। सरकार ने कोरोना वैक्सीन के लिए न सिर्फ भारी भरकम पैकेज का ऐलान किया, बल्कि कहा है कि जल्द ही दो और वैक्सीन देश में उपलब्ध होंगी। 2021-22 के लिए आम बजट प्रस्तुत करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैंने 2021-22 के लिए कोविड-19 टीकों के वास्ते 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। मैं जरूरत पड़ने पर और धन देने की प्रतिबद्धता जताती हूं। उन्होंने कहा कि भारत पहले ही कोविड-19 के दो टीकों के इस्तेमाल की मंजूरी दे चुका है और देश में जल्द ही दो और टीकों को टीकाकरण अभियान में शामिल किया जा सकता है।

बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 से बढ़कर 74 फीसदी
बीमा सेक्टर में एफडाईआ की बढ़ाकर सरकार ने विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करने की एक बड़ी कोशिश की है। सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने और रक्षोपाय के साथ विदेशी भागीदारी तथा नियंत्रण की अनुमति के लिए बीमा अधिनियम-1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया। आम बजट 2021-22 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि नए ढांचे के तहत ज्यादातर निदेशक और बोर्ड और प्रबंधन स्तर के अधिकारी निवासी भारतीय होंगे। कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे। इसके अलावा मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत सामान्य आरक्षित निधि के रूप में रखा जाएगा।

सोना-चांदी होगा सस्ता, लेदर प्रोडक्ट भी होंगे सस्ते
सरकार ने बजट में सोना-चांदी को लेकर बड़ा ऐलान किया। सरकार ने सोना-चांदी से कस्टम ड्यूटी को घटाया है। इसका मतलब है कि अब सोना-चांदी सस्ता होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट प्रस्तावों में सोने और चांदी पर आयात शुल्क में भारी कटौती का ऐलान किया। वित्त मंत्री सीतारमण ने सोने और चांदी पर आयात शुल्क में 5 फीसदी की कटौती की है। फिलहाल सोने पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क चुकाना पड़ता है। इस तरह से अब सोने पर सिर्फ 7.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगी। इतना ही नहीं, चुनिंदा लेदर को कस्टम ड्यूटी से हटा दिया गया है। इससे लेदर के प्रोडक्ट सस्ते होंगें।

पहली बार देश में डिजिटल जनगणना
देश में पहली बार डिजिटल तरीके से जनगणना होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सरकार ने आगामी जनगणना के लिए 3,726 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं और पहली बार देश में डिजिटल जनगणना होगी। वित्त मंत्री ने 2021-22 के लिए आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार एक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद पहल पर भी काम कर रही है।

75 साल से अधिक उम्र के लोगों को टैक्स नहीं भरना होगा
मोदी सरकार ने 75 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को बड़ी राहत दी है। इस आयु सीमा के लोगों को अब इनकम टैक्स भरने की जरूरत नहीं होगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट भाषण में यह घोषणा भी की कि केवल पेंशन और ब्याज आय वाले 75 साल से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। ब्याज का भुगतान करने वाले बैंक अपनी ओर से कर की कटौती कर लेंगे। इसके अलावा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आयकर आकलन मामलों को फिर से खोले जाने की समय सीमा छह साल से घटा कर तीन साल कर दी। इसके साथ ही कर धोखाधड़ी से जुड़े ऐसे गंभीर मामलों में जहां छिपायी गयी आय 50 लाख रुपये या उससे अधिक है, यह अवधि 10 साल होगी।

झटका देने वाले ऐलान

डिजल-पेट्रोल पर सेस बढ़ा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.50 रुपये और डीजल पर 4 रुपये का कृषि सेस लगाने का ऐलान किया। हालांकि, ऐसा कहा जा रहा है कि इसका असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा और ये सेस कंपनियों को देना होगा। मगर आशंका जताई जा रही है कि बाद में कंपनियों की मनमानी की कीमत कहीं उपभोक्ताओं को चुकानी पड़ सकती है।

टैक्स पेयर्स को कोई राहत नहीं
कोरोना काल में टैक्स पेयर्स को कुछ छूट मिलने की उम्मीद थी, मगर वे खाली हाथ रह गए। इस बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं है। मिडिल क्लास और नौकरी-पेशा वालों के लिए न तो कोई अतिरिक्त टैक्स छूट दी गई और न ही टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया गया। कम सैलरी वाले टैक्सपेयर्स, मिडिल क्लास और छोटे-मोटे बिजनेस करने वालों को टैक्स को लेकर सबसे अधिक उम्मीदें थीं, मगर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स स्लैब में इस बार कोई भी बदलाव नहीं किया। इस तरह से मध्यम वर्गीय लोगों को पहले की तरह ही टैक्स नियमों का पालन करना होगा। सिर्फ 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को राहत मिली है।

मोबाइल फोन होंगे महंगे
सरकार के इस बजट से मोबाइल खरीदने की चाह रखने वालों को झटका लगा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोबाइल उपकरण पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मोबाइल उपकरण पर अब कस्टम ड्यूटी 2.5 फीसदी तक लगेगा। आंकड़ों की मानें तो पिछले 4 साल में सरकार ने इन मोबाइल प्रोडक्ट्स पर औसतन करीब 10 फीसदी तक इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। मोबाइल आज के वक्त में हर इंसान की जरूरत है, ऐसे में अगर यर प्रोडक्ट महंगा हुआ तो इसका असर आम लोगों पर पड़ेगा।

रोजगार को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं
मोदी सरकार ने अपने बजट में इन्फ्रास्ट्रक्टर और हाईवे निर्माण को लेकर बड़े ऐलान किए हैं। बंगाल से लेकर असम तक में राजमार्गों का निर्माण होगा। इस काम से भले ही काफी लोगों को रोजगार मिलेगा, मगर बजट में रोजगार सृजन को लेकर न तो कोई स्पष्ट और प्रत्यक्ष तौर पर बात की गई है और न ही इसे लेकर कोई ठोस रोडमैप दिखाया गया है। देश में इस साल कितने रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, इसे लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं दिखी।

किसानों की उम्मीदों को झटका
किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए ऐसी उम्मीद थी कि इस बजट में खेती-किसानी पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है और पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम में मिलने वाले पैसे को बढ़ाया जा सकता है, मगर ऐसा नहीं हुआ। पीएम किसान योजना के तहत अभी हर साल 6,000 रुपए मिलते हैं और ऐसी उम्मीदे थीं कि इसमें 3,000 रुपए का इजाफा हो सकता है। मगर ऐसा नहीं हुआ। अब तक इस योजना का लाभ 11 करोड़ 52 लाख किसान उठा रहे हैं। कई विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को देखते हुए यह फैसला ले सकती है, मगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषणों में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा।

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