यूपी की चुनावी जंग के लिए कुछ ऐसे तैयारी में जुटी सपा…
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Elections 2022) में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) बीजेपी (BJP) को कड़ा मुकाबला देने की तैयारी कर रही है. इसके लिए पार्टी आजम खान को मुक्त करो अभियान, राज्य भर में साइकिल यात्रा, प्रत्येक बूथ पर दो महिला पार्टी कार्यकर्ताओं को नामित करना, प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं को बढ़ाना और उन्हें पार्टी के पक्ष में लाना, व्यापारियों तक पहुंच, पिछड़ा वर्ग की बैठकें और युवाओं व किसानों को संगठित कर अपने पक्ष में लाने जैसे प्रयास कर रही है. अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी अपने 2022 के अभियान को इस तरह से चला रही है.
पार्टी के नेता सड़कों पर उतर आए हैं और समाजवादी पार्टी जनादेश यात्रा, चलो बूथ के पास चौपाल, किसान नौजवान पटेल यात्रा और संविधान बचाओ संकल्प यात्रा जैसे कई अभियान जिलों और गांवों में चला रही है. ताकि मतदाताओं के एक वर्ग तक पहुंच बनाई जा सके. पार्टी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए ‘नई हवा है, नई एसपी है’, ‘यूपी का ये जनादेश, आ रहे अखिलेश’ और ‘बड़ों का हाथ, युवा का साथ’ जैसे नारे लगा रही है.
फ्री आजम खान
समाजवादी पार्टी के इस बार यूपी में बीजेपी सरकार के खिलाफ मुस्लिम वोटों को मजबूत करने के लक्ष्य के साथ, पार्टी अपने सबसे बड़े मुस्लिम नेता और रामपुर के सांसद आजम खान की रिहाई को अपने अभियान में एक मुख्य मुद्दा बना रही है. यह इस धारणा को दूर करने के लिए है कि पार्टी आजम खान के पक्ष में नहीं थी, जो लगभग एक साल से जेल में हैं. अखिलेश यादव हाल ही में आजम खान के परिवार से मिलने रामपुर गए और मोहम्मद जौहर विश्वविद्यालय गए. उन्होंने कहा है कि वह और पार्टी पूरी तरह से आजम खान के साथ खड़े हैं और उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध है.
उसी के बाद सपा ने आजम खान की रिहाई के लिए आधिकारिक तौर पर यूपी विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया. दिल्ली में समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने इसी मांग को लेकर अध्यक्ष ओम बिरला से मिलने के लिए दस अन्य दलों के सांसदों का समर्थन हासिल किया. सपा कार्यकर्ताओं ने 14 अगस्त को राज्य भर में आजम खान का 73वां जन्मदिन भी इस प्रार्थना के साथ मनाया कि उनका नेता जल्द ही उनके बीच होगा. आजम खान का समर्थन करना यूपी के मुस्लिम मतदाताओं को एक संदेश देना है.
महिला मतदाताओं और व्यापारियों को वापस लाओ, जो बीजेपी के साथ हो गए
समाजवादी पार्टी का अभियान महिला मतदाताओं और व्यापारी समुदाय पर भी बहुत ध्यान केंद्रित है. ये दो वोटबैंक हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पिछले चुनावों में कथित खराब कानून-व्यवस्था और पिछले सपा सरकार के तहत गुंडागर्दी के कारण बीजेपी के साथ चले गए थे. पार्टी की पूर्व सांसद और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और पार्टी की वरिष्ठ महिला नेता जूही सिंह महिलाओं के बीच एक सतत अभियान का समन्वय कर रही हैं. उदाहरण के लिए पार्टी ने महिला मतदाताओं के बीच एक आश्वस्त करने वाला संदेश भेजने के लिए राज्य के प्रत्येक बूथ पर दो महिला कार्यकर्ताओं को नियुक्त करने का निर्णय लिया है.
आधी आबादी की आवाज सुनने के अभियान के नाम से सपा महिला मतदाताओं के बीच मुद्दों को उठा रही है जैसे कि बीजेपी द्वारा बंद की जा रही सपा सरकार की योजनाएं जैसे कन्याधन योजना, हाथरस जैसी कानून-व्यवस्था की घटनाएं जो डर पैदा कर रही हैं और एलपीजी सिलेंडर जैसे रोजाना के सामान की कीमतों में बढ़ोतरी.