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स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में जुड़ी सुरीली तान, उस्ताद अमजद अली खान ने बेटों संग बनाया ये भजन

गणतंत्र दिवस के मौके पर विश्वविख़्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ख़ान ने अपने दोनों सरोद वादक बेटों अमान अली बंगश और अयान अली बंगश के साथ मिलकर महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे’ को एक अद्भुत ढंग से प्रस्तुत किया है। सभी धर्मों के मूल में परहित को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसी विचार से ओत प्रोत इस भजन को अपना सबसे प्रिय भजना माना और जहां भी गए इसका खूब प्रचार प्रसार भी किया। अब देश की आजादी के 75वें साल में सरोद पर इस की तीन मिनट की प्रस्तुति को मंगलवार को यूट्यूब चैनल और अन्य ऑडियो प्लेटफॉर्म पर रिलीजज किया गया।

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महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे’ की महत्ता से सभी परिचित है। इसे साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी की मौजूदगी में अक्सर गाया जाता था और आज भी इसे उतनी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ गांधीवादी लोग गाते हैं। उस्ताद अमजद अली खान और उनके दोनों बेटों ने इस भजन को बहुत ही मनोहारी अंदाज में प्रस्तुत किया है। इस भजन की मूल आत्मा को बरकरार रखते हुए इसे बेहद सादगी मगर बहुत ही प्रभावी तरीके से फ़िल्माया भी गया है।”

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उस्ताद अमजद अली खान कहते हैं, “संगीत में सभी को एक ही धागे में पिरोकर रखने की ताकत होती है। खुशबू, पानी, आग, रंग और हवा की तरह ही संगीत का सभी से गहरा नाता होता है। दुनिया में भाईचारे और सद्भावना की अलख जगाए रखने के लिए ‘वैष्णव जन तो’ की अहमियत आज की तारीख में पहले से कहीं अधिक है।”

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