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23 मार्च 1931 की रात, ये वो काली रात थी जब भारत ने अपने तीन सपूतो को खोया था..

23 मार्च 1931 की रात, ये वो काली रात थी जब भारत ने अपने तीन सपूतो को खोया था.. आज उन्हीं की याद में ये दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.. भारत के इन्हीं तीन सपूतो में से आप सभी ने भगत सिंह के बारे में कितनी सारी चीजे जानी होगी… किसी ने उनकी वो तस्वीर देखी होगी जिसमे वो हैट लगाए दिखते है.. तो किन्हीं ने उन्हें बंदूक के साथ देखा होगा.. कुछ ने शायद उन्हें बस्ते और किताब के साथ भी देखा होगा… बहुत सी तस्वीरे है औऱ बहुत सी बाते, लेकिन एक बात जो शायद किसी को पता होगी वो ये की 23 साल के भगत सिंह क्रांतिकारी होने के साथ ही एक बेहतरीन लेखक भी थे.. उनके विचार औरे से बेहद अलग थे… ये उन्हीं विचारो की देन है जो उन्हें अन्य सभी क्रांतिकारियों से परे रखती है… तो चलिए आपको उन्ही की कहीं औऱ लिखी गई कुछ बेहरीन विचारो से एक बार फिर से रूबरू करवाते है..
भगत सिंह ने एक बार कहा था की बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है… उन्होने ये भी कहा है की प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्स र लोग पागल कहते हैं.. शहीद भगत सिंह बम फेंककर क्रांतिकारी नहीं बने थे… वो अपने विचारों से क्रांतिकारी बने थे… उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत थे उनके विचार…
व्यकक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं… इन शब्दो से वो लोगो को ये बताना चाहते थे की आप चाहे कितना कुछ कर लें एक व्यक्ति को नीचा दिखा कर या फिर उसे कुछ भी कह कर उसके विचारो को नहीं बदल सकते है…

वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं… वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं…

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