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अमेठी में ग्राम प्रधान और अधिकारियों ने खा लिया गरीब का घर..

जमील अहमद आज भी मिट्टी के कच्चे मकान में रहते हैं…लेकिन अगर सरकारी कागजों की बात करें तो जमील अहमद के पास अपना खुद का पक्का मकान है जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें दिया गया…बावजूद इसके ये कच्चे मकान में रहते हैं… चलिये अब आपको सच्चाई की तरफ ले चलते हैं…दरअसल ये मामला प्रधान मंत्री आवास योजना और उसमें हुए घोटाले से जुड़ा हुआ है…अमेठी जिले के सिंहपुर ब्लाक के बहुआ गांव में रहने वाले जमील अहमद ने साल 2017 में सरकारी आवास के लिए अप्लाइ किया था लेकिन आज तारीख तक उन्हें आवास नहीं दिया गया…वहीं सरकारी कागजात की बात करें तो सरकारी वेबसाइट पर जमील अहमद के नाम पर मकान आवंटित हो चुका है यहां तक मकान की तीन किश्तों की शक्ल में कुल एक लाख दस हजार रुपये भी निकल चुके हैं…लेकिन आज तक उन्हें मकान नहीं दिया गया… इतना ही नहीं वेबसाइट पर बाकयदा जमील अहमद के मकान की फोटो पर अपलोड हैं… जमील अहमद की ये हालत देखकर गांव के ही समाज सेवक इरशाद ने आरटीआई दाखिल करते हुए संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जिसके जवाब में साफ लिखा गया कि जमील अहमद के नाम पर कोई मकान आवंटित नहीं है…अब सवाल ये उठता है कि जब जमील अहमद के नाम पर कोई मकान नहीं है तो उनकी डीटेल सरकारी वेबसाइट पर क्यों डाली गई…इस मामले को देखकर साफ अंदाजा लग रहा है कि इस में अधिकारियों के साथ साथ ग्राम प्रधान ने बड़ा खेल किया है..यानी जमील अहमद के हिस्से का मकान किसी और को आवंटित करते हुए उसके एवज में रिश्वत का खेल किया गया है…ग्राम प्रधान और अधिकारियों की इस मिली भगत का खामियाजा जमील जैसे गरीबों को भुगतना पड़ रहा है…ये वो खबर है जो मीडिया के जरिये सबके सामने आ गई लेकिन ऐसे ही ना जाने कितने ही जमीन अहमद होंगे जिनकी आज तक कोई सुनवाई भी नहीं हुई…

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