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बंगाल की हार से भाजपा को मिली सीख, दूसरे दलों के नेताओं को UP में नहीं मिलेगी धड़ल्ले से एंट्री

भारतीय जनता पार्टी (BJP) उत्तर प्रदेश में दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को लेकर विशेष सावधानी बरत रही है। सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों के साथ बाहरी नेताओं की प्रतिबद्धता को भी ध्यान में रखा जा रहा है। जिन नेताओं को दल में लिया जाएगा, उनकी 2024 की रणनीति में उपयोगिता को भी परखा जा रहा है।

भाजपा ने उत्तर प्रदेश में चुनावी रणनीति को देखते हुए ज्वाइनिंग कमेटी गठित की है। जिसका अध्यक्ष पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को बनाया गया है। इस हाई प्रोफाइल कमेटी में दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश चंद्र शर्मा को रखा गया है। साथ ही दयाशंकर सिंह को भी शामिल किया गया है। चूंकि इस तरह की समिति बनाने का सुझाव पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से दिया गया था, इसलिए इसका रणनीतिक महत्व बहुत ज्यादा है।

दरअसल, हाल में प्रदेश में दूसरे दलों से आए कुछ ऐसे नेताओं को शामिल किया गया था, जिन पर पार्टी के ही नेताओं ने सवाल उठाए थे और केंद्रीय नेतृत्व तक शिकायत की गई थी। एक ऐसे ही नेता की सदस्यता बाद में निरस्त भी करनी पड़ी थी। इससे पार्टी की किरकिरी हुई थी।

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पश्चिम बंगाल से सीख
चूंकि चुनाव के समय काफी नेताओं की आवाजाही होती है, इसलिए पार्टी ने सतर्कता बरतने के लिए ही इस तरह की कमेटी गठित की है। पश्चिम बंगाल में भी पार्टी ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेताओं को शामिल किया था, लेकिन चुनाव नतीजे अनुकूल न आने पर कई नेता पार्टी छोड़कर चले गए। इससे भी पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है।

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दूसरे राज्य भी अपना सकते हैं तरीका
पार्टी के एक महासचिव ने कहा कि चूंकि उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। उसका राजनीतिक प्रभाव ज्यादा होता है, इसलिए पार्टी वहां के चुनावों को लेकर अतिरिक्त सावधानी भी बरत रही है। बड़ा प्रदेश होने से कई जानकारी छूट जाती है, इसलिए पूरी जांच पड़ताल जरूरी है। हालांकि, अन्य राज्यों में भी दूसरे दलों से नेता आते रहते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत छोटे राज्य होने से वहां पर जानकारी जुटाना ज्यादा आसान होता है। यूपी से सीख लेते हुए दूसरे राज्य भी इस तरह की समितियां बनाकर अपने यहां दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरत सकते हैं।

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