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यूपी इलेक्शन के लिए बना एक और गठबंधन, जानिए कौन-कौन सी पार्टी हुईं शामिल

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प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए पीस पार्टी और राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के बीच गठबंधन हुआ है। इसे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस नाम दिया गया है। मंगलवार को लखनऊ में एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में पीस पार्टी के अध्यक्ष डा.अय्यूब और राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने संयुक्त रूप से इस गठबंधन का एलान किया।

मीडिया से बातचीत के दौरान पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अय्यूब ने कहा कि उनका एलायंस अन्य बड़े सेक्युलरवादी दलों की तरफ से प्रस्ताव आने पर उन्हें समर्थन देने के लिए नहीं बल्कि उनके साथ मिलकर मुसलमानों, दलितों व पिछड़ों के प्रतिनिधियों को विधानसभा में पहुंचाने के लिए उनके दलों में हिस्सेदारी लेने का तैयार हैं। उन्होंने कहा कि किसी अन्य बड़े दल के साथ अगर कोई ऐसा समझौता नहीं होता है तो फिर उनका एलायंस विधानसभा की सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगा।

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एक सवाल के जवाब में डा.अय्यूब ने कहा कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे से नहीं बल्कि सेक्युलर वोटों के बंटवारे से भाजपा को फायदा होता रहा है। इस बात को इन बड़े सेक्युलर दलों को अच्छी तरह से समझन लेना चाहिए। अगर यह दल आपस में मिल जाएं तो सेक्यूलर वोटों का बंटवारा नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुसलमानों को इस बात की फिक्र नहीं है कि किसकी सरकार बनेगी बल्कि चिन्ता इस बात की जरूर है कि मुसलमानों के साथ-साथ दलितों और पिछड़ों को आखिर नुमाइंदगी क्यों नहीं मिलती? उन्होंने कहा कि प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार से सबसे ज्यादा दलित व पिछड़े आहत हैं। यह लोग अब राजनीतिक दलों की गुलामी करने को तैयार नहीं।

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ओलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि अगर छह और आठ प्रतिशत वोट लेने वाली पार्टी कहती हैं कि ‘एम’ का मतलब होता है महिला और ‘वाई’ का मतलब होता है युवा तो इससे समझा जा सकता है कि मुस्लिम की उनके जेहन में क्या हैसियत है। मौलाना ने कहा कि अगर 10 फीसदी दलित वोट के साथ एक पार्टी सरकार बना सकती है तो हम जैसे 22.75 प्रतिशत वोट रखने वाले सोशल इंजीनियरिंग के जरिये उनका विकल्प क्यों नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि उनका एलायंस उन सभी दलों के लिए चुनौती बनेगा जिन्होंने अब तक आमजन के लिए कोई काम नहीं किया।

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